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leadership क्या है तथा इसके प्रकार क्या है?

इस पोस्ट में हम leadership (नेतृत्व) के बारें में विस्तार से पढेंगे.

  • 1 what is Leadership in hindi (नेतृत्व का अर्थ एवम् परिभाषा)
  • 2 types of leadership in hindi नेतृत्व के प्रकार
  • 3 नेतृत्व की शैलियां (styles of leadership in hindi)

what is Leadership in hindi (नेतृत्व का अर्थ एवम् परिभाषा)

कोई सामाजिक समूह कितना भी छोटा बड़ा क्यों न हो, उसका संगठन कुछ उद्देश्यों को सामने रखकर किया जाता है. इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए संगठन को एक विशेष प्रकार से कार्य करना होता है. किसी संगठन को विशेष प्रकार से कार्य करने की ओर ले जाना, उसके कार्यों को सही दिशा देने और संगठन पर नियंत्रण रखने वाले व्यक्ति को नेता (leader) और संगठन में उसकी भूमिका (कार्य को पूरा करने की प्रक्रिया) को नेतृत्व (leadership) कहते है.

भिन्न भिन्न विद्वानों ने इसे भिन्न भिन्न रूप से परिभाषित किया है.

  • कुंटज और ओ डोनेल की परिभाषा

“नेतृत्व किसी उद्देश्य की प्राप्ति हेतु, संदेश द्वारा व्यक्तियों को प्रभावित करने की योग्यता है,” (leadership is the ability to exert inter-personal influence by means of communication towards the achievement of the goal.)

  • काटज और काहं की परिभाषा

नेतृत्व एक प्रभाव है, जिसमें जो व्यक्ति नेता के पद पर विराजमान होता है वह अन्य व्यक्तियों को प्रभावित करता है.” (leadership is a influence in which the person who occupies the position of leader, influences the other individuals.)

  • लापिअर और फार्नसवर्थ ने स्पष्ट किया है कि नेतृत्व में दो पक्ष होते है- एक नेता जो नेतृत्व करता है और दूसरा समूह के सदस्य जो नेतृत्व स्वीकार करते है. इनमें समूह के सदस्य नेता के व्यवहार से प्रभावित होते है और नेता समूह के सदस्यों से प्रभावित होता है. परन्तु समूह के सदस्य नेता के व्यवहार से बहुत अधिक प्रभावित होते है जबकि नेता समूह के सदस्यों से कम प्रभावित होता है. उन्होंने इसी आधार पर leadership की परिभाषा दी है:-

“नेतृत्व वह व्यवहार है जो दूसरे व्यक्तियों के व्यवहार को उससे कही अधिक प्रभावित करता है जितना कि उनका व्यवहार नेता को प्रभावित करता है.” (leadership is a behavior that affects the behavior of other people more than their behavior affect that of the leader.)

यदि आप ध्यान से सोचें तो आपको पता चलेगा कि-

“ नेतृत्व किसी समूह में निरंतर चलने वाली वह प्रक्रिया है जिसके द्वारा समूह का नेता समूह का मार्ग-दर्शन करता है. समूह के सदस्यों को उद्देश्य या उद्देश्यों की प्राप्ति की ओर अग्रसर करता है और साथ ही समूह को बांधें रखता है और उस पर नियन्त्रण रखता है.”

>> अच्छे नेता की विशेषतायें क्या है?

types of leadership in hindi नेतृत्व के प्रकार

नेतृत्व के अनेक प्रकार होते है मेरी पार्कर फोलेट (M.P Follet)  के नेतृत्व को तीन भागो में विभाजित किया है –

1> पद पर आधारित नेतृत्व :- जब किसी किसी समूह में किसी व्यक्ति को समूह के सदस्यों से कार्य लेने का उतरदायित्व सौंपा जाता है और वह समूह सदस्यों को कार्य करने की ओर प्रवृत करता है , उनके कार्यों को सही दिशा देता है और उनके कार्यों से सम्पादन सही ढंग से करता है तो इसे नेतृत्व को पद आधारित नेतृत्व कहते है इस नेतृत्व में पद पर आसीन व्यक्ति नेता होता है और वह अपने अधीन कार्यरत व्यक्तियों को आदेश देता है ,उनका निर्देशन करता है और साथ ही उन पर नियन्त्रण रखता है!

2> व्यक्तित्व पर आधारित नेतृत्व :- जब किसी समूह में कोई व्यक्ति अपने व्यक्तित्व और कार्यों के आधार पर नेतृत्व करता है और वह समूह के सदस्यों को उदेश्यों की प्राप्ति के लिये क्रियाशील करता है , उनका मार्गदर्शन करता है, तो ऐसे नेतृत्व को व्यक्तिगत आधारित नेतृत्व कहते है इस प्रकार के नेतृत्व  में नेता समूह के सदस्यों को उदेश्यों की प्राप्ति के क्रियाशील करता है और उनका मार्गदर्शन करता है इस नेतृत्व में सदस्य अपनी इच्छा से कार्य करते है और लगन के साथ करते हैं!

3> कार्य एवं योग्यता पर आधारित नेतृत्व :- जब कोई व्यक्ति किसी क्षेत्र विशेष में विशिष्ट ज्ञान होने के आधार पर उस क्षेत्र विशेष में कार्यरत व्यक्तियों का दिशा निर्देशन करता है ,तो इसे ज्ञान एवं कार्य के आधार पर आधारित नेतृत्व कहते है

इस प्रकार के नेतृत्व में क्षेत्र विशेष ज्ञान के साथ चिन्तन एवं तर्क का बड़ा महत्व होता है इसमे नेता और समूह के सदस्यों के बीच सहयोगपूर्ण सम्बन्ध होते है

इसे भी पढ़ें:- entrepreneur in hindi उद्यमी क्या है?

नेतृत्व की शैलियां (styles of leadership in hindi)

किसी समूह में उदेश्य की प्राप्ति के लिए नेता किसी रूप में कार्य करता है और समूह के सदस्य किस रूप में कार्य करते है, कार्य करने के इन तरीकों को नेतृत्व की शैली कहते है, नेतृत्व की अनेक शैलियाँ है –

( white lippitt and Livin ) ने समूह में नेता के निर्णय लेने और कार्य करने के आधार पर नेतृत्व की शैलियों को तीन भागों में विभाजित किया है-

  • सत्ताधारी नेतृत्व ( authoritarian leadership)  :-  इस शैली में समूह के नेता को निर्णय लेने और निर्णय के अनुसार कार्य के संचालन करने का पूर्ण अधिकार होता है वह स्वयं निर्णय लेता है और अपने इच्छानुसार कार्य का संचालन करता है इस प्रकार इसमें अधिकारों का केन्द्रीकरण (centralization) होता है यह नेतृत्व कार्य उन्मुखी (task oriented) होता है इस में उदेश्य की प्राप्ति किस प्रकार की जा सकती है ,इस पर अधिक ध्यान दिया जाता है इसमें समूह के सभी सदस्य नेता के आदेशों के अनुसार कार्य करते है.

इस शैली की सबसे बड़ी विशेषता यह है की इसमें समूह में व्यवस्था एवं अनुशासन रहता है , समूह के सभी सदस्य अपना अपना कार्य सही ढंग से करते है और समूह के उदेश्यों की प्राप्ति करते है!

दूसरी ओर इसकी सबसे बड़ी कमी यह है की यदि समूह में नेता का निर्णय गलत हुआ तो उदेश्य की प्राप्ति के स्थान पर असफलता ही प्राप्त होता है ,

इसकी दूसरी कमी यह है की इसमें समूह के सदस्य अधीनता का अनुभव करते है और उनका मनोबल गिर जाता है

तीसरी कमी यह है की इसमें नेता की अनुपस्थिति में शिथिलता आ जाती है और नेता की मृत्यु के बाद तो समूह  बिखर जाता है !

  • लोकतन्त्रीय शैली (democratic style) :- इस शैली में नेता समूह के राय से निर्णय लेता है समूह के सदस्यों की राय से योजना बनता है और समूह के सदस्यों के सहयोग से उदेश्यों की प्राप्ति की जाती है यह नेतृत्व सदस्य उन्मुखी (members oriented) होता है ,इस शैली में अधिकारों का विकेंद्रीकरण (decentralization) होता है, बड़े आकार के समूह के साथ नेता के साथ उपनेता होते है और वरिष्ठ कार्यकर्ता होते है जिन सब के सहयोग से समूह के सदस्य आगे बढ़ते है

इस शैली की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि समूह के सभी सदस्य किसी भी प्रकार के दबाव से मुक्त होते है उनका मनोबल ऊँचा होता है, वह अपने उतरदायित्व को समझते है, स्वेच्छा से कार्य करते है, और उदेश्य की प्राप्ति करते है

इस शैली में कुछ कमियां भी है बड़े समूह में ना तो सभी सदस्यों की राय ली जाती है और ना सभी की राय मानी जा सकती है राय की भिन्नता के कारण सभी सदस्य एकजुट नही हो पते और कभी कभी  उदेश्य की प्राप्ति में बाधा पड़ती है

  • अनहस्तक्षेपी शैली ( laissez-fair style) :- नेतृत्व की इस शैली में नेता समूह के सदस्यों के कार्यों में हस्तक्षेप नही करता, समूह के सभी सदस्य उदेश्यों की प्राप्ति के लिए समूह की परिपाटी के अनुसार के कार्य करते है उन पर नेता का न्यूनतम नियन्त्रण होता है.

प्रबुद्ध व्यक्तियों के छोटे समूह में यह शैली कारगर होती है प्रथमत: इसलिए कि प्रबुद्ध व्यक्तियों के आत्मसम्मान की रक्षा होती है दूसरा इसलिए कि उन पर विश्वास किया जाता है उनकी निष्ठां पर विश्वास किया जाता है और उनकी योग्यता पर विश्वास किया जाता है परिणामत: वह अपने उतरदायित्व का निर्वाह ईमानदारी से करते है और पूरी लगन से करते है

परन्तु यह शैली सामान्य व्यक्तियों के छोटे बड़े किसी भी समूह में कारगर नही होती. नेता का हस्तक्षेप ना होने अथवा न्यूनतम हस्तक्षेप होने से समूह में ना व्यवस्था होती है और ना ही अनुशासन और कार्य अनियंत्रित और अनिश्चित रूप से चलता है परिणामस्वरूप उदेश्य की प्राप्ति नही हो पाती !

नेतृत्व (leadership) की तीन शैलियों सताधारी ,लोकतन्त्रीय,एवं अनहस्तक्षेपी के अपने गुण दोष है किस समूह में नेतृत्वता की किस शैली को अपनाया जाये यह समूह के स्वरूप, उदेश्यों और सदस्यों तीनों पर निर्भर करता है इसके साथ साथ इस बात पर भी निर्भर करता है की नेता किन परस्थितियों में किस शैली को अपनाता है और किस रूप में अपनाता है.

सामान्यत: रक्षा (defence) के क्षेत्र में अधिनायकवादी  शैली अधिक उपयुक्त मानी जाती है और परिवार एवं समुदाय के क्षेत्र में लोकतन्त्रीय शैली अधिक उपयुक्त मानी जाती है. चूँकि अनहस्तक्षेप शैली अपने में उपयुक्त शैली नही है परन्तु फिर भी प्रबुद्ध व्यक्तियों के समूह में यह अधिक कारगर होती है!

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Perspectives On School Leadership In Hindi (Pdf Notes)

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Perspectives On School Leadership In Hindi

(स्कूल नेतृत्व पर दृष्टिकोण).

KVS सिलेबस के अंदर एक टॉपिक है | School Organization and Leadership | Perspectives On School Leadership In Hindi or perspectives on school leadership instructional distributed and transformative, यह उसी का एक point है | हम आज के इन नोट्स में इसे कवर करेंगे और हमारा अगला टॉपिक Vision Building/Goal Setting/SDP   होगा | हम आपको संपूर्ण नोट्स देंगे जिन्हें पढ़कर आप अपना कोई भी Teaching Exam पास कर सकते हैं तो चलिए शुरू करते हैं बिना किसी देरी के |

  • Understanding the Learner
  • Understanding Teaching Learning
  • Creating Conducive Learning Environment

इनके संपूर्ण नोट्स हम कवर कर चुके हैं | इससे पहले वाले नोट्स देखलो , सब सीरीज में अपलोड किये है | वेबसाइट के होमपेज पर जाकर चेक कर लीजिये |

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School Leadership Perspectives

(स्कूल नेतृत्व के दृष्टिकोण).

परिवर्तनकारी नेतृत्व, निर्देशात्मक नेतृत्व, वितरित नेतृत्व और प्रामाणिक नेतृत्व (Transformational Leadership, Instructional Leadership, Documented Leadership and Authentic Leadership) सहित विद्यालय नेतृत्व पर कई दृष्टिकोण हैं। परिवर्तनकारी नेता दूसरों को एक साझा दृष्टि प्राप्त करने के लिए प्रेरित और प्रेरित करते हैं, निर्देशात्मक नेता शिक्षण और सीखने में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं, वितरित नेता एक टीम के बीच नेतृत्व की जिम्मेदारियों को साझा करते हैं, और प्रामाणिक नेता ईमानदारी और नैतिक व्यवहार के साथ नेतृत्व करते हैं। स्कूल नेतृत्व पर अन्य दृष्टिकोणों में नौकर नेतृत्व, प्रामाणिक नेतृत्व और दूरदर्शी नेतृत्व शामिल हैं। विद्यालयों का नेतृत्व करने और उनमें सुधार करने के लिए प्रत्येक परिप्रेक्ष्य की अपनी विशिष्ट विशेषताएँ और रणनीतियाँ होती हैं।

विद्यालय नेतृत्व के परिप्रेक्ष्य का एक उदाहरण परिवर्तनकारी नेतृत्व है। परिवर्तनकारी नेता स्कूल के लिए एक साझा दृष्टि प्राप्त करने के लिए दूसरों को प्रेरित और प्रेरित करते हैं। वे व्यक्तिगत और सामूहिक विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं, और एक सकारात्मक और उत्पादक सीखने का माहौल बनाने का लक्ष्य रखते हैं। वे अपने और दूसरों के लिए उच्च उम्मीदें स्थापित करते हैं, और उदाहरण के द्वारा नेतृत्व करते हैं। वे छात्रों, शिक्षकों और समुदाय के साथ मजबूत संबंध बनाने के लिए भी काम करते हैं। परिवर्तनकारी नेता अपनी पूरी क्षमता हासिल करने के लिए दूसरों को प्रेरित करने और उन्हें सशक्त बनाने के लिए प्रभावी संचार, सहयोग और निर्णय लेने के कौशल का उपयोग करते हैं। वे परिवर्तन को प्रेरित करने और विद्यालय में उत्कृष्टता की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए भी अपने प्रभाव का उपयोग करते हैं।

7 Key Areas of Effective School Leadership

प्रभावी विद्यालय नेतृत्व के 7 प्रमुख क्षेत्र.

NCF, विद्यालय नेतृत्व सात प्रमुख क्षेत्रों का परिचय:

  • विद्यालय नेतृत्व पर परिप्रेक्ष्य (Perspectives on School Leadership): यह क्षेत्र उन विभिन्न विश्वासों, मूल्यों और दर्शन को समझने पर केंद्रित है जो एक विद्यालय नेता की भूमिका और जिम्मेदारियों को सूचित करते हैं। उदाहरण के लिए, कुछ नेता छात्र-केंद्रित शिक्षा को प्राथमिकता दे सकते हैं, जबकि अन्य डेटा-संचालित निर्णय लेने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। विद्यालय नेतृत्व पर विभिन्न दृष्टिकोण विद्यालय का नेतृत्व करने के लिए विभिन्न दृष्टिकोणों और रणनीतियों को जन्म दे सकते हैं।
  • अग्रणी स्कूल प्रशासन (Leading School Administration): यह क्षेत्र एक स्कूल के दिन-प्रतिदिन के प्रबंधन और प्रशासन पर केंद्रित है। इसमें बजट, शेड्यूलिंग और कार्मिक प्रबंधन जैसे कार्य शामिल हैं। उदाहरण के लिए, इस क्षेत्र में एक विद्यालय नेता बजट बनाने और प्रबंधित करने, कक्षाओं और बैठकों का समय निर्धारण करने, और कर्मचारियों की भर्ती और मूल्यांकन की निगरानी करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
  • साझेदारी निर्माण (Building Partnerships): यह क्षेत्र बाहरी हितधारकों, जैसे माता-पिता, समुदाय के सदस्यों और अन्य स्कूलों के साथ संबंधों को विकसित करने और बनाए रखने पर केंद्रित है। उदाहरण के लिए , इस क्षेत्र में एक विद्यालय नेता अभिभावक-शिक्षक सम्मेलन आयोजित करने, स्थानीय व्यवसायों के साथ साझेदारी बनाने, और संसाधनों और सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने के लिए अन्य विद्यालयों के साथ सहयोग करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
  • विकासशील स्व (Developing Self): यह क्षेत्र व्यक्तिगत और व्यावसायिक विकास और विकास पर केंद्रित है। उदाहरण के लिए , इस क्षेत्र में एक विद्यालय नेता चल रहे व्यावसायिक विकास में शामिल होने, सलाह और कोचिंग लेने और व्यक्तिगत और व्यावसायिक लक्ष्यों को निर्धारित करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
  • टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस को बदलना (Transforming Teaching-Learning Processes): यह क्षेत्र निर्देश और छात्र सीखने की गुणवत्ता में सुधार पर केंद्रित है। उदाहरण के लिए, इस क्षेत्र में एक विद्यालय नेता नए पाठ्यक्रम और निर्देशात्मक प्रथाओं को लागू करने, शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास प्रदान करने और छात्रों के सीखने और प्रगति का आकलन करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
  • टीमों का निर्माण और नेतृत्व करना (Building and Leading Teams): यह क्षेत्र शिक्षकों, कर्मचारियों और अन्य विद्यालय प्रमुखों की प्रभावी टीमों को बनाने और उनका नेतृत्व करने पर केंद्रित है। उदाहरण के लिए, इस क्षेत्र में एक विद्यालय नेता एक सकारात्मक और सहयोगी कार्य वातावरण बनाने, टीम की बैठकों और पेशेवर विकास को सुविधाजनक बनाने और टीम के सदस्यों को मार्गदर्शन और सहायता प्रदान करने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।
  • अग्रणी नवाचार (Leading Innovations): यह क्षेत्र छात्रों के सीखने और स्कूल के प्रदर्शन को बेहतर बनाने के लिए नई और नवीन प्रथाओं और कार्यक्रमों की पहचान करने और उन्हें लागू करने पर केंद्रित है। उदाहरण के लिए, इस क्षेत्र में एक स्कूल नेता नई तकनीकों पर शोध करने और उन्हें लागू करने, नए कार्यक्रमों को विकसित करने और लागू करने, और शिक्षा में नए रुझानों और सर्वोत्तम प्रथाओं के बारे में सूचित रहने के लिए जिम्मेदार हो सकता है।

संक्षेप में, स्कूल नेतृत्व के ऊपर बताए गए सात प्रमुख क्षेत्र कई अलग-अलग जिम्मेदारियों और कार्यों का एक व्यापक अवलोकन प्रदान करते हैं, जिन्हें स्कूल के नेताओं से लेने की उम्मीद की जा सकती है। हालांकि, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अलग-अलग नेता अपने स्वयं के विश्वासों, मूल्यों और अनुभवों के आधार पर अलग-अलग क्षेत्रों पर अधिक या कम जोर दे सकते हैं। प्रभावी स्कूल नेता वे हैं जो नौकरी की कई अलग-अलग मांगों को संतुलित करने में सक्षम होते हैं और ऐसे निर्णय लेते हैं जो उनके छात्रों, कर्मचारियों और समुदाय के सर्वोत्तम हित में होते हैं।

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Instructional/Academic Leadership

निर्देशात्मक/अकादमिक नेतृत्व.

  • परिभाषा (Definition): निर्देशात्मक नेतृत्व को आम तौर पर विद्यालय नेता द्वारा पाठ्यचर्या और निर्देश के प्रबंधन के रूप में परिभाषित किया जाता है। इसमें पाठ्यक्रम और निर्देश के डिजाइन, कार्यान्वयन और मूल्यांकन की देखरेख शामिल है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्र वांछित सीखने के परिणाम प्राप्त करने में सक्षम हैं।
  • पाठ्यचर्या और निर्देश पर ध्यान दें (Focus on Curriculum and Instruction): निर्देशात्मक नेता कक्षा में पाठ्यचर्या के संचालन की प्रक्रियाओं पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे यह सुनिश्चित करने के लिए काम करते हैं कि पाठ्यक्रम राज्य और राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप है और यह उनके स्कूल में छात्रों की विविध आवश्यकताओं के लिए उपयुक्त है। वे सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने और आवश्यकतानुसार पाठ्यक्रम और निर्देश में समायोजन करने के लिए छात्रों की प्रगति की निगरानी और मूल्यांकन भी करते हैं।
  • सीखने के माहौल का निर्माण (Creating a Learning Environment): निर्देशक नेता स्कूल में एक सकारात्मक और प्रभावी सीखने का माहौल बनाने की दिशा में भी काम करते हैं। इसमें निरंतर सीखने की संस्कृति को बढ़ावा देना, शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करना और सहयोग और टीम वर्क की संस्कृति को बढ़ावा देना शामिल है।

उदाहरण: एक हाई स्कूल में एक निर्देशात्मक नेता यह सुनिश्चित करने के लिए एक कार्यक्रम विकसित कर सकता है कि सभी छात्रों के पास उन्नत पाठ्यक्रम तक पहुंच हो, छात्र की प्रगति और शैक्षणिक उपलब्धि की निगरानी करें और सभी छात्रों के लिए प्रभावी शिक्षण रणनीति विकसित करने के लिए शिक्षकों के साथ काम करें। वे प्रौद्योगिकी एकीकरण और डेटा-संचालित निर्देश जैसे क्षेत्रों में अपने कौशल में सुधार के लिए शिक्षकों के लिए एक पेशेवर विकास कार्यक्रम बनाने और लागू करने के लिए भी जिम्मेदार हो सकते हैं।

संक्षेप में, निर्देशात्मक नेतृत्व विद्यालय नेतृत्व का एक महत्वपूर्ण पहलू है जो पाठ्यक्रम और निर्देश की गुणवत्ता सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। प्रभावी निर्देशात्मक नेता एक सकारात्मक और प्रभावी शिक्षण वातावरण बनाने और छात्र की प्रगति की निगरानी करने के लिए काम करते हैं, पाठ्यक्रम और निर्देश में आवश्यकतानुसार समायोजन करते हैं। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि छात्र वांछित सीखने के परिणाम प्राप्त करने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सक्षम हैं।

Instructional Leadership

निर्देशात्मक नेतृत्व.

  • विद्यार्थियों की उपलब्धि पर एकाग्रचित्त ध्यान देना (Single-minded focus on student achievement): अनुदेशात्मक नेताओं का मुख्य लक्ष्य छात्रों के लिए सीखने के परिणामों में सुधार करना है। इसमें छात्र की प्रगति की निगरानी करना और उन क्षेत्रों की पहचान करना शामिल है जहां अतिरिक्त सहायता या संसाधनों की आवश्यकता है, साथ ही प्रभावी निर्देशात्मक रणनीतियों को विकसित करने और लागू करने के लिए शिक्षकों के साथ काम करना शामिल है।
  • शिक्षक की कार्य स्थितियों और व्यावसायिक विकास में सुधार (Improving teacher work conditions and professional development): छात्र उपलब्धि पर ध्यान केंद्रित करने के अलावा, निर्देशक नेता शिक्षक की कार्य स्थितियों में सुधार करने और व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करने के लिए भी काम करते हैं। इसमें एक सकारात्मक स्कूल संस्कृति का निर्माण करना, शिक्षकों को प्रभावी होने के लिए आवश्यक संसाधन और सहायता प्रदान करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि शिक्षकों के पास अपने निर्देश में सुधार करने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण और विकास हो।
  • निर्देश के लिए सहयोगात्मक दृष्टिकोण (Collaborative approach to instruction): निर्देशात्मक नेता निर्देश तैयार करने और लागू करने के लिए शिक्षकों के साथ मिलकर काम करते हैं। इसमें शिक्षकों की निगरानी करना, प्रतिक्रिया और समर्थन प्रदान करना और निर्देशात्मक रणनीतियों को विकसित और परिष्कृत करने के लिए मिलकर काम करना शामिल है।

उदाहरण: प्राथमिक विद्यालय में एक निर्देशात्मक नेता शिक्षकों के साथ एक व्यापक पठन कार्यक्रम विकसित करने के लिए काम कर सकता है जिसमें विभेदित निर्देश, छोटे समूह निर्देश और व्यक्तिगत पठन योजनाएँ शामिल हैं। वे साक्षरता निर्देश और मूल्यांकन जैसे क्षेत्रों में अपने कौशल में सुधार करने के लिए शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर भी प्रदान कर सकते हैं, और कर्मचारियों के बीच सहयोग और टीम वर्क को बढ़ावा देकर एक सकारात्मक स्कूल संस्कृति बना सकते हैं।

संक्षेप में, निर्देशात्मक नेता छात्रों के सीखने के परिणामों, शिक्षक की कार्य स्थितियों और व्यावसायिक विकास के अवसरों में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे शिक्षकों के साथ सहयोग से काम करते हैं ताकि निर्देश को डिजाइन और कार्यान्वित किया जा सके, और स्कूल की समग्र संस्कृति और जलवायु में सुधार के लिए एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जा सके। वे यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि सभी छात्रों को सफल होने और अपनी पूरी क्षमता तक पहुंचने का अवसर मिले।

Transformational Leadership

परिवर्तनकारी नेतृत्व.

  • एक उत्पादक स्कूल संस्कृति की स्थापना (Establishing a productive school culture): परिवर्तनकारी नेता एक सकारात्मक और उत्पादक स्कूल संस्कृति बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। वे स्कूल के लिए एक स्पष्ट और सहयोगात्मक दृष्टि स्थापित करने के लिए काम करते हैं, और स्वामित्व की भावना पैदा करने और उस दृष्टि को खरीदने के लिए कर्मचारियों और छात्रों के साथ जुड़ते हैं।
  • शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में वृद्धि (Enhancing the quality of teaching-learning processes): परिवर्तनकारी नेता शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए काम करते हैं। इसमें प्रभावी निर्देशात्मक रणनीति विकसित करना, शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करना और छात्रों के लिए सकारात्मक सीखने का माहौल बनाना शामिल है।
  • विकासशील लोग (Developing people): परिवर्तनकारी नेता उन लोगों के विकास पर ध्यान केंद्रित करते हैं जिनका वे नेतृत्व करते हैं। वे वृद्धि और विकास के अवसर पैदा करने के लिए काम करते हैं, और कर्मचारियों और छात्रों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुंचने में सहायता और मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।
  • समस्या-समाधान का रवैया (Problem-solving attitude): परिवर्तनकारी नेताओं का समस्या-समाधान के प्रति सक्रिय रवैया होता है। वे न केवल समस्याओं के प्रति प्रतिक्रियाशील हैं बल्कि सक्रिय रूप से समाधान खोजते हैं और स्कूल के सामने आने वाले मुद्दों और चुनौतियों का समाधान करने के लिए पहल करते हैं।

उदाहरण: एक उच्च विद्यालय में एक परिवर्तनकारी नेता स्कूल के लिए एक दृष्टि स्थापित करने के लिए कर्मचारियों के साथ काम कर सकता है जो एक सकारात्मक और समावेशी विद्यालय संस्कृति बनाने पर केंद्रित है। वे शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान कर सकते हैं ताकि वे अपनी शिक्षा में सुधार कर सकें और स्कूल की दृष्टि में स्वामित्व की भावना पैदा करने के लिए छात्रों के साथ जुड़ सकें। वे कर्मचारियों के बीच सहयोग और टीम वर्क की भावना को भी बढ़ावा दे सकते हैं, और कर्मचारियों और छात्रों को उनकी पूरी क्षमता तक पहुँचने में सहायता और मार्गदर्शन प्रदान कर सकते हैं।

संक्षेप में, परिवर्तनकारी नेतृत्व एक नेतृत्व शैली है जो एक सकारात्मक और उत्पादक स्कूल संस्कृति बनाने, शिक्षण-अधिगम प्रक्रियाओं की गुणवत्ता बढ़ाने, लोगों को विकसित करने और समस्या को सुलझाने के दृष्टिकोण को अपनाने पर केंद्रित है। परिवर्तनकारी नेता स्कूल के लिए एक स्पष्ट और सहयोगी दृष्टि स्थापित करने, दूसरों के साथ जुड़ने और वृद्धि और विकास के अवसर पैदा करने के लिए काम करते हैं। वे समस्याओं के समाधान की तलाश में सक्रिय हैं और स्कूल के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए पहल करते हैं।

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Distributed Leadership (वितरित नेतृत्व)

  • कार्यों और उत्तरदायित्वों का प्रत्यायोजन (Delegation of tasks and responsibilities): वितरित नेतृत्व विद्यालय समुदाय के भीतर व्यक्तियों को कार्यों और उत्तरदायित्वों के प्रत्यायोजन पर ध्यान केंद्रित करता है। यह नेतृत्व की भूमिकाओं को साझा करने की अनुमति देता है और अधिक व्यक्तियों को विद्यालय के नेतृत्व में योगदान करने की अनुमति देता है।
  • मानव क्षमता को अधिकतम करना (Maximizing human capacity): नेतृत्व की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को वितरित करके, वितरित नेतृत्व का उद्देश्य स्कूल के भीतर व्यक्तियों की मानवीय क्षमता को अधिकतम करना है। यह नेतृत्व कौशल के विकास और स्कूल के भीतर लोगों की क्षमता निर्माण की अनुमति देता है।
  • शिक्षकों को सशक्त बनाना (Empowering teachers): वितरित नेतृत्व शिक्षकों को नेतृत्व की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को लेने की अनुमति देकर उन्हें सशक्त बनाता है जो उनके लिए महत्वपूर्ण हैं। यह स्वामित्व और जुड़ाव की भावना पैदा करता है, जिसके बारे में माना जाता है कि इससे छात्रों को बेहतर परिणाम मिलते हैं।
  • अकादमिक प्रदर्शन के साथ सकारात्मक संबंध (Positive relationship with academic performance): शोध से पता चला है कि जब पूरे स्कूल समुदाय में नेतृत्व वितरित किया जाता है, और शिक्षकों को उनके लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में अधिकार दिया जाता है, तो छात्रों के अकादमिक प्रदर्शन के साथ सकारात्मक संबंध होता है।

उदाहरण: एक विद्यालय नेता जो एक वितरित नेतृत्व दृष्टिकोण को अपनाता है, वह शिक्षकों के साथ उनके लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने के लिए काम कर सकता है, और फिर उन क्षेत्रों से संबंधित कार्यों और जिम्मेदारियों को सौंप सकता है। विद्यालय नेता शिक्षकों को उनकी नेतृत्वकारी भूमिकाओं में समर्थन देने के लिए उनके साथ मिलकर काम करेगा और उन्हें नेतृत्वकर्ताओं के रूप में विकसित होने में मदद करने के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करेगा। इस तरह से नेतृत्व की भूमिकाओं और जिम्मेदारियों को वितरित करके, विद्यालय नेता शिक्षकों को सशक्त बनाने और विद्यालय के भीतर व्यक्तियों की मानवीय क्षमता को अधिकतम करने में सक्षम होता है, जिससे बेहतर छात्र परिणाम प्राप्त होते हैं।

संक्षेप में, वितरित नेतृत्व एक नेतृत्व दृष्टिकोण है जो मानव क्षमता को अधिकतम करने और स्कूलों के भीतर लोगों की क्षमता निर्माण में सहायता करने के लिए कार्यों और जिम्मेदारियों के प्रतिनिधिमंडल पर केंद्रित है। यह माना जाता है कि जब पूरे स्कूल समुदाय में नेतृत्व वितरित किया जाता है और जहां शिक्षकों को उनके लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सशक्त किया जाता है, तो छात्रों के परिणामों में सुधार होने की संभावना अधिक होती है। विद्यालयों में जहां शिक्षकों का कार्य नेतृत्व की भूमिकाओं को साझा करने को बढ़ावा देने वाले तरीकों से व्यवस्थित किया जाता है, छात्रों के शैक्षणिक प्रदर्शन के साथ एक सकारात्मक संबंध होता है।

Shared Leadership/ Collaborative Leadership (साझा नेतृत्व/सहयोगी नेतृत्व)

साझा नेतृत्व/सहयोगी नेतृत्व के प्रमुख बिंदु:

  • निर्णय लेने में दूसरों को शामिल करने पर जोर (Emphasis on involving others in decision-making): साझा नेतृत्व निर्णय लेने में दूसरों को शामिल करने के लिए नेतृत्व के व्यवहार और कार्यों की एक श्रृंखला पर ध्यान केंद्रित करता है, जैसे आम सहमति बनाना, मतदान और प्रतिनिधिमंडल।
  • सहयोग का मूल मूल्य (Core value of collaboration): नेतृत्व का यह रूप सहयोग को अपने मूल मूल्य के रूप में महत्व देता है।
  • टीम-आधारित दृष्टिकोण (Team-based approach): स्कूल की गतिविधियों को उन टीमों में डिज़ाइन और कार्यान्वित किया जाता है जहाँ पेशेवर विकास के लिए खुला संचार और अवसर होते हैं।
  • प्रतिबिंब और प्रथाओं को साझा करने के माध्यम से व्यावसायिक विकास (Professional development through reflection and sharing of practices): व्यावसायिक विकास के अवसरों में प्रतिबिंब, एक दूसरे के साथ प्रथाओं को साझा करना, सहयोगी समस्या समाधान और निर्णय लेना शामिल है।
  • विश्वास निर्माण और साझा उत्तरदायित्व (Trust building and shared responsibility): विद्यालय प्रमुख की भूमिका विश्वास निर्माण के लिए परिस्थितियों का निर्माण करना है जिसमें कार्यों और जिम्मेदारियों को साझा रूप से साझा किया जाता है।
  • परस्पर सीखना और प्रगति (Mutual learning and progress): विद्यालय प्रमुख और विद्यालय में अन्य दोनों ही विद्यालयी प्रक्रियाओं में अपनी भागीदारी के माध्यम से परस्पर सीख रहे हैं और प्रगति कर रहे हैं।

उदाहरण: एक स्कूल प्रिंसिपल विशिष्ट परियोजनाओं पर काम करने के लिए शिक्षकों की टीम बनाकर साझा नेतृत्व को लागू करता है, जैसे कि एक नया पाठ्यक्रम विकसित करना या एक नया प्रौद्योगिकी कार्यक्रम लागू करना। इन टीमों को निर्णय लेने और समस्याओं को सहयोगी रूप से हल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है, और प्रिंसिपल आवश्यकतानुसार सहायता और संसाधन प्रदान करता है। प्रधानाचार्य नियमित रूप से शिक्षकों के लिए अपने अनुभवों को साझा करने और उनके काम पर विचार करने के लिए बैठकें आयोजित करते हैं, जिससे निरंतर सीखने और सुधार की संस्कृति को बढ़ावा देने में मदद मिलती है।

Leadership for Learning (सीखने के लिए नेतृत्व)

सीखने के लिए नेतृत्व के प्रमुख तत्व:

  • प्रणालीगत दृष्टिकोण (Systemic Approach): पाठ्यक्रम, निर्देश, मूल्यांकन और समर्थन प्रणालियों सहित स्कूल प्रणाली के सभी पहलुओं पर विचार करते हुए, सीखने के लिए नेतृत्व छात्र सीखने में सुधार के लिए एक प्रणालीगत दृष्टिकोण लेता है।
  • निरंतर सुधार (Continuous Improvement): LfL निरंतर डेटा विश्लेषण, प्रतिबिंब और प्रथाओं के अनुकूलन के माध्यम से छात्र सीखने के निरंतर सुधार पर जोर देता है।
  • हितधारक भागीदारी (Stakeholder Involvement): LfL सीखने और सहयोग की संस्कृति बनाने के लिए स्कूल नेताओं, शिक्षकों, छात्रों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों सहित स्कूल प्रणाली में सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी को प्रोत्साहित करता है।
  • व्यावसायिक विकास (Professional Development): LfL निर्देशात्मक प्रथाओं और नेतृत्व कौशल में सुधार पर ध्यान केंद्रित करते हुए शिक्षकों और नेताओं के लिए व्यावसायिक विकास के अवसरों को बढ़ावा देता है।
  • डेटा-संचालित निर्णय लेना (Data-Driven Decision Making): LfL निर्णय लेने की सूचना देने और कार्यान्वित रणनीतियों की प्रभावशीलता को मापने के लिए डेटा और शोध का उपयोग करता है।

उदाहरण: लीडरशिप फॉर लर्निंग फ्रेमवर्क में एक स्कूल लीडर छात्र डेटा का विश्लेषण करने के लिए शिक्षकों की एक टीम का नेतृत्व कर सकता है ताकि उन क्षेत्रों की पहचान की जा सके जहां छात्र संघर्ष कर रहे हैं और फिर उन मुद्दों को हल करने के लिए शिक्षकों को व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करते हैं। विद्यालय नेता प्रक्रिया में माता-पिता और समुदाय के सदस्यों को भी शामिल करेगा और प्रगति को ट्रैक करने और आवश्यकतानुसार समायोजन करने के लिए डेटा का उपयोग करेगा।

Models on School Leadership (स्कूल नेतृत्व पर मॉडल)

Perspectives-On-School-Leadership-In-Hindi

Leadership for Learning

(सीखने के लिए नेतृत्व).

यह सुनिश्चित करना कि स्कूल में सभी हितधारक निरंतर और आजीवन सीखने वाले हैं (Ensuring that all stakeholders in the school are continuous and lifelong learners): सीखने के लिए नेतृत्व स्कूल समुदाय के भीतर निरंतर सुधार और सीखने की संस्कृति बनाने पर केंद्रित है। उदाहरण के लिए , एक स्कूल के प्रधानाचार्य शिक्षकों को एक दूसरे से सहयोग करने और सीखने के अवसर प्रदान कर सकते हैं, कर्मचारियों के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान कर सकते हैं, और छात्रों को छात्र-नेतृत्व वाले सम्मेलनों या आत्म-चिंतन के अन्य रूपों के माध्यम से अपने स्वयं के सीखने का स्वामित्व लेने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, नेता माता-पिता और समुदाय के सदस्यों को शिक्षा प्रक्रिया में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित कर सकता है, और उन्हें अपनी शिक्षा जारी रखने के अवसर प्रदान कर सकता है।

Instructional/Academic Leadership (निर्देशात्मक / शैक्षणिक नेतृत्व)

  • पाठ्यचर्या की योजना बनाना (Planning the Curriculum): निर्देशात्मक नेता अपने स्कूलों या जिलों के लिए पाठ्यक्रम की योजना बनाते हैं और उसका विकास करते हैं। उदाहरण के लिए, एक स्कूल प्रिंसिपल राज्य के मानकों के साथ पाठ्यक्रम को संरेखित करने के लिए शिक्षकों और विभाग प्रमुखों के साथ काम कर सकता है और कुछ विषयों या ग्रेड स्तरों को पढ़ाने के लिए एक समेकित योजना बना सकता है।
  • शिक्षक व्यावसायिक विकास (Teacher Professional Development): अनुदेशात्मक नेता शिक्षकों के लिए व्यावसायिक विकास के अवसर प्रदान करते हैं। उदाहरण के लिए, एक जिला प्रशासक नई शिक्षण विधियों या शैक्षिक प्रौद्योगिकी के बारे में जानने के लिए शिक्षकों के लिए कार्यशालाओं या सेवाकालीन दिनों का आयोजन कर सकता है।
  • डिजाइनिंग टीचिंग-लर्निंग प्रोसेस (Designing Teaching-Learning Processes): इंस्ट्रक्शनल लीडर्स प्रभावी शिक्षण और सीखने की प्रक्रियाओं को डिजाइन और कार्यान्वित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य छात्रों के लिए एक परियोजना-आधारित शिक्षण कार्यक्रम विकसित करने के लिए शिक्षकों की एक टीम के साथ काम कर सकते हैं।
  • छात्र सीखने के रीति-रिवाजों का पर्यवेक्षण (Supervising Student Learning Customs): निर्देशात्मक नेता अपने स्कूलों या जिलों में छात्रों के सीखने की निगरानी और मूल्यांकन करते हैं। उदाहरण के लिए, एक जिला प्रशासक नियमित कक्षा अवलोकन कर सकता है और छात्रों की उपलब्धि में सुधार के लिए शिक्षकों को प्रतिक्रिया प्रदान कर सकता है।
  • कार्यों और उत्तरदायित्वों का वितरण (Distributing Tasks and Responsibilities): वितरित नेतृत्व में एक स्कूल या संगठन के भीतर कई व्यक्तियों के बीच नेतृत्व की जिम्मेदारियों को साझा करना शामिल है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य शिक्षकों या विभाग प्रमुखों की एक टीम को कुछ कार्यों और जिम्मेदारियों को सौंप सकते हैं, जिससे उन्हें विशेषज्ञता के क्षेत्रों में नेतृत्व की भूमिका निभाने की अनुमति मिलती है।
  • विद्यालय के भीतर सभी स्तरों पर निर्मित नेतृत्व क्षमताएँ (Leadership Capabilities built across all levels within the school): वितरित नेतृत्व विद्यालय समुदाय के सभी सदस्यों में नेतृत्व क्षमता विकसित करने पर ध्यान केंद्रित करता है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य शिक्षकों के लिए नेतृत्व प्रशिक्षण प्रदान कर सकते हैं, जिससे उन्हें अधिक जिम्मेदारियां लेने और छात्रों के सीखने को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने की अनुमति मिलती है।
  • संसाधन वितरण (Resource Distribution): वितरित नेतृत्व में विद्यालय समुदाय के सभी सदस्यों को संसाधनों का वितरण और निर्णय लेने की शक्ति भी शामिल है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य शिक्षकों, माता-पिता और छात्रों को बजट निर्णयों में शामिल कर सकते हैं, जिससे उन्हें स्कूल के भीतर संसाधनों के आवंटन के बारे में आवाज मिल सके।
  • छात्र सीखने पर ध्यान दें (Focus on Student Learning): वितरित नेतृत्व छात्र परिणामों को बेहतर बनाने के लिए स्कूल समुदाय के सभी सदस्यों के साथ मिलकर काम करने के साथ छात्र सीखने पर जोर देता है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य छात्रों की उपलब्धि पर ध्यान केंद्रित करने वाली स्कूल सुधार योजना बनाने और लागू करने में शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों को शामिल कर सकते हैं।

Transformational Leadership (परिवर्तनकारी नेतृत्व)

  • विजन और लक्ष्य निर्धारण (Vision and Goal Setting): परिवर्तनकारी नेता संगठन या स्कूल के लिए एक स्पष्ट और सम्मोहक विजन बनाने में सक्षम हैं, और उस विजन के साथ संरेखित लक्ष्य निर्धारित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य एक ऐसे स्कूल के लिए एक दृष्टि विकसित कर सकते हैं जहां सभी छात्र व्यावहारिक, परियोजना-आधारित सीखने में लगे हों और ऐसे अवसरों में भाग लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ाने के लिए विशिष्ट लक्ष्य निर्धारित करें।
  • प्रेरक और विकासशील लोग (Motivating and Developing People): परिवर्तनकारी नेता दृष्टि और लक्ष्यों की दिशा में काम करने के लिए दूसरों को प्रेरित और प्रेरित करते हैं। उदाहरण के लिए , एक स्कूल के प्रधानाचार्य व्यावसायिक विकास, सहयोग और मान्यता के अवसर पैदा कर सकते हैं ताकि शिक्षकों और कर्मचारियों के सदस्यों को लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रेरित और सक्षम महसूस करने में मदद मिल सके।
  • संरचना और प्रक्रियाओं की स्थापना (Establishing Structure and Processes): परिवर्तनकारी नेता दृष्टि और लक्ष्यों का समर्थन करने के लिए सिस्टम और प्रक्रियाएं बनाते हैं। उदाहरण के लिए , एक स्कूल के प्रधानाचार्य प्रगति को मापने और आवश्यकतानुसार समायोजन करने के लिए नियमित डेटा संग्रह और विश्लेषण के लिए एक प्रणाली स्थापित कर सकते हैं।
  • छात्र सीखने पर ध्यान दें (Focus on student Learning): परिवर्तनकारी नेता छात्र सीखने और सफलता पर अटूट ध्यान केंद्रित करते हैं। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य नियमित रूप से छात्र सीखने के परिणामों का आकलन कर सकते हैं, निर्णय लेने के लिए डेटा का उपयोग कर सकते हैं और छात्र परिणामों के लिए खुद को और दूसरों को जवाबदेह ठहरा सकते हैं।
  • ट्रस्ट बिल्डिंग (Trust Building): साझा नेतृत्व/सहयोगी नेतृत्व विश्वास की नींव पर बनाया गया है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल प्रिंसिपल ट्रस्ट बनाने और संचार चैनल खोलने के लिए शिक्षकों और कर्मचारियों के साथ नियमित बैठकें कर सकता है।
  • व्यावसायिक अभ्यास का पारस्परिक साझाकरण (Mutual Sharing of Professional Practice): सहयोगी नेता अपने पेशेवर ज्ञान और कौशल को दूसरों के साथ साझा करते हैं, और सक्रिय रूप से दूसरों के ज्ञान और कौशल की तलाश करते हैं। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य व्यावसायिक विकास सत्रों या सेवा के दिनों में शिक्षकों के लिए सर्वोत्तम प्रथाओं को साझा करने और एक दूसरे से सीखने के लिए नियमित अवसर स्थापित कर सकते हैं।
  • स्कूल के नेता और अन्य समान भागीदार के रूप में (School Leaders and Others as equal partners): सहयोगात्मक नेतृत्व की विशेषता जिम्मेदारी की साझा भावना और सभी प्रतिभागियों को समान भागीदार के रूप में देखना है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य शिक्षकों, माता-पिता और छात्रों को निर्णय लेने और समस्या-समाधान में शामिल कर सकते हैं, उन्हें शिक्षा प्रक्रिया में समान भागीदार के रूप में मानते हैं।
  • एक साथ सीखना (Learning Together): सहयोगी नेतृत्व स्कूल समुदाय के सभी सदस्यों के लिए सीखने और विकास पर जोर देता है। उदाहरण के लिए, एक स्कूल के प्रधानाचार्य चल रहे व्यावसायिक विकास के अवसर स्थापित कर सकते हैं और शिक्षकों और कर्मचारियों को स्कूल में नेतृत्व की भूमिका निभाने के लिए प्रोत्साहित कर सकते हैं।
  • The Concepts Of Diversity Disability And Inclusion In Hindi
  • RPWD Act 2016 Notes in Hindi (Pdf)
  • Types Of Disabilities Their Identification And Interventions in Hindi
  • Concept Of School Mental Health In Hindi
  • Developing School And Community As A Learning Resource (pdf)
  • Leader As Reflective Practitioner In Hindi (Notes Download)
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नेतृत्व के कार्य | Functions of Leadership in Hindi

नेतृत्व के कार्य | Functions of Leadership in Hindi

नेतृत्व के कार्य (Functions of Leadership)

नेतृत्व के कार्यों को कई अर्थों में लिया जाता है, लेकिन मुख्यतया नेतृत्व के निम्न कार्य माने जा सकते है-

(1) अभिप्रेरणा व समन्वय –  नेतृत्व का दूसरा कार्य है, समूह सदस्यों को क्षमतानुसार कार्य करने के लिए प्रेरित करना तथा उनके कार्य में समन्वय उत्पन्न कर लक्ष्य को प्राप्त करना ।

(2) निर्देशन एवं नियोजन —  नेतृत्व का प्रमुख कार्य है, कार्य का नियोजन तथा उपक्रम के सदस्यों का लक्ष्य प्राप्ति की ओर निर्देशन । समूह का नेता समूह के प्रतिनिधि के रूप में उच्च स्तरीय बैठकों में भाग लेता है तथा उपक्रम के लक्ष्य एवं नीतियाँ निर्धारित करने में सहयोग करता है। इसके उपरान्त वह उन लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए सदस्यों का मार्गदर्शन करता है।

(3) स्वास्थ्यप्रद वातावरण का निर्माण-  एक उपक्रम में संगठनात्मक वातावरण का कर्मचारियों के कार्य पर बहुत प्रभाव पड़ता है। नेता का यह कार्य है कि वह अपने विभाग में ऐसे स्वस्थ व मित्रतापूर्ण वातावरण का निर्माण करे, जिससे कर्मचारी इच्छापूर्वक तथा प्रसन्नता के साथ कार्य करने के लिए प्रेरित हों। कर्मचारियों के मध्य व्याप्त आपसी मनमुटाव तथा कटुताओं को दूर करने का प्रयास भी नेता को करना चाहिए, अन्यथा इनसे कार्य वातावरण दूषित होता है।

(4) सदस्यों को प्रोन्नति तथा विकास-  नेतृत्व का यह महत्वपूर्ण कार्य है कि वह अपने समूह सदस्यों की आकांक्षाओं तथा इच्छाओं को समझे और उन्हें सन्तुष्ट करने में योगदान दे। इसके साथ ही सदस्यों को आगे बढ़ने और विकास करने के अवसर भी प्रदान करे।

(5) पुरस्कार व दण्ड की व्यवस्था करना—  नेतृत्व अपने समूह सदस्यों के लिए पुरस्कार व दण्ड की व्यवस्था करता है। वह अच्छा कार्य करने वालों को पुरस्कार तथा अक्षम या गलत कार्य करने वालों को दण्ड देता है अथवा उच्च प्रबन्ध को इस सम्बन्ध में सिफारिश करता है। नेता को ही अपने समूह सदस्यों के मनोभावों का ठीक से पता रहता है कि किस प्रकार का पुरस्कार उन्हें अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित कर सकता है।

(6) अधीनस्थों का सहयोग प्राप्त करना—  नेता को चाहिए कि वह नेतृत्व की ऐसी शैली अपनाये जो उसे अधीनस्थों का पूर्ण सहयोग प्रदान कर सके। इस दृष्टि से वह जनतान्त्रिक दृष्टिकोण अपना सकता है, जिसमें समय-समय पर समस्याओं के समाधान हेतु कर्मचारियों का परामर्श प्राप्त किया जा सकता है और प्रबन्धकीय निर्णयों में उन्हें भागीदार बनाया जा सकता है।

(7) सूचनाएँ तकनीकी सहायता प्रदान करना-  नेतृत्व का यह कार्य है कि वह समूह सदस्यों को उनके कार्य तथा हितों से सम्बन्धित सूचनाएं प्रेषित करे तथा उन्हें कार्य करते समय कठिनाई उत्पन्न होने पर तकनीकी तथा अन्य प्रकार की सहायता भी प्रदान करे।

(8) आदर्श प्रस्तुत करना-  नेतृत्व निष्पक्ष, निःस्वाथ, योग्य व साहसी होना चाहिए। नेतृत्व को समूह के सदस्यों के सामने अपने व्यवहार व आचरण से ऐसे आदर्श प्रस्तुत करने चाहिए, अपने अनुयायियों से अपेक्षा रखता है। आचरण द्वारा आदर्शो का प्रस्तुतीकरण नेतृत्व को प्रभावशाली बनाने का एकमात्र अचूक शस्त्र है।

Important Link

  • अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
  • अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
  • भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
  • संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
  • संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
  • रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
  • संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
  • रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है ? इसके गुण-दोष
  • क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं ? What do you mean by Functional Organization?

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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IKamai India

13 गुण जो किसी लीडर में होने ही चाहिए। Leadership Qualities in Hindi.

Leadership Qualities से अभिप्राय किसी नेतृत्व में विद्यमान गुणों से लगाया जा सकता है। इसके अलावा नेतृत्व अर्थात लीडरशिप का अर्थ सामान्य बोलचाल की भाषा में किसी क्षेत्र, दल, कंपनी, समूह इत्यादि के प्रमुख व्यक्ति से लगाया जाता है। जिसका काम अपने निर्णयों द्वारा किसी Business इत्यादि को अधिक से अधिक सफलता दिलाना होता है। वह व्यक्ति जो किसी समूह, विभाग, दल इत्यादि में सबसे आगे खड़ा होता है Leader कहलाता है।

और एक ही संगठन में विभिन्न विभागों के Leaders का समूह Leadership Team कहलाती है। एक लीडर के द्वारा  लिए गए निर्णयों का अनुसरण करने वाले लोग उसकी टीम के सदस्य कहलाते हैं। बड़ी बड़ी कंपनियों संस्थानों में लीडरशिप की पूरी Team होती है, जो समय समय पर अपने अपने अन्दर समाहित लीडरशिप के गुणों का आदान प्रदान करके मिलजुलकर संगठन से जुड़े हुए निर्णय लेते हैं।

इसके अलावा दूसरे शब्दों में हम कह सकते हैं की Leadership किसी कंपनी, संस्थान, या दल की आशाओं, आंक्षाओं, इच्छाओं, मह्त्वकांक्षाओ, सपनो इत्यादि को पूरा करने हेतु  लोगो की मांगो, आस्थाओं, व्यवहारों  को प्रभावित करने  वाली एक निरंतर प्रक्रिया है।

लीडरशिप के 13 महत्वपूर्ण गुण (List of 13 essential qualities of leadership in Hindi):

लीडरशिप की 13 महत्वपूर्ण गुणों की लिस्ट नीचे दी जा रही है।

List-of Leadership Qualities in-hindi

1. योग्यता (Ability)

एक अच्छे Leader में किसी भी समूह को अच्छे ढंग से चलाने का सामर्थ्य अर्थात योग्यता (Ability) होनी चाहिए। अच्छा Leader वही होता है, जो समय समय पर अपने Business, समूह, संस्थान या दल को अपने नए नए ideas से सफलता की राह पर ले जाता है। इस Leadership Qualities को हमेशा बनाये रखने के लिए Leader को हमेशा एक विद्यार्थी के रूप में बनके रहना चाहिए। जो मार्केट के अनुरूप समय समय पर अपने skills को अपग्रेड करता जायेगा।

2. प्रभावित करने वाला व्यक्तित्व (Influencing Personality) :  

Influencing Personality से हमारा अभिप्राय इस वाक्य में शारीरिक सुंदरता से बिलकुल नहीं है। इसका अर्थ है की एक Leader में अपने Team के सदस्यों को अपने आहार, व्यवहार द्वारा प्रभावित (Influence) करने की क्षमता होनी चाहिए। ताकि Team के सदस्य काम की ओर अच्छे ढंग से अग्रसित हो सकें। इस गुण के बलबूते leader अपने सदस्यों के बीच अपना प्रभावशाली व्यक्तित्व खड़ा कर पाने में कामयाब हो पायेगा।

3. सदस्यों को परिवार की तरह मानना (Treat team’s member as a Family) :

अक्सर होता क्या है की जो Leader अपनी Team के सदस्यों से कम बात करते हैं, या फिर छोटी सी गलती होने पर उन्हें खरी खोटी सुना देते हैं। तो ऐसी Leadership से Team के सदस्य सकुचाये से रहते हैं । जिससे वे हो सकता है की Leadership से डांट के डर से Real fact छुपाने लगें। और अपने विचार यथावत Leader के सामने नहीं रख पायें।

इसलिए एक अच्छे Leader को चाहिए की वो अपने टीम के सदस्यों के साथ परिवार की तरह रिश्ते बना के रखे। और इस बात से न घबराये की टीम का कोई सदस्य उसके इस प्रकार के घुलने मिलने का कोई गलत फायदा उठाएंगे। बल्कि यह गुण विद्यमान होने से Leader को किसी संगठन या समूह के बारे में वास्तविक जानकारी मिल पायेगी।जिनको आधार मानकर Leader आगे के फैसले लेने में सक्षम हो पायेगा।

4. आदर और महत्वता (Respect and Importance) :

एक अच्छे लीडर को हमेशा इस बात का ध्यान रखना चाहिए की आदर और महत्व सबके लिए महत्वपूर्ण होता है। इसलिए अपनी Team के सदस्यों को हमेशा Respect और Importance देनी चाहिए। ताकि टीम के सदस्यों को आभास रहे की वे उस कंपनी या संस्थान के लिए कितने Important हैं। इसके कारण वे अपना काम और अधिक दक्षता के साथ करेंगे।

और Leadership का यही व्यवहार Team के बाकी सदस्यों के लिए एक प्रेरणास्रोत मार्ग प्रसस्त करेगा। जिससे वे काम  में अपनी सामर्थ्य के मुताबिक मन लगा पाएंगे । इसके अलावा यह गुण leader को सदस्यों और बाहरी लोगो के बीच उसकी Respect देगी।

5. उर्जावान (Energetic) :

Energetic से आशय ऊर्जावान होने से है । चूँकि एक Leader अपने समूह में सबसे अधिक ध्यान केंद्रित वाला व्यक्ति होता है, अर्थात समूह के अधिकतर लोगों का ध्यान उसके आचरण , व्यवहार पर रहता है । इसलिए यह जरुरी हो जाता है, की Leadership अपनी सामर्थ्य के अनुसार हर काम में संग्लित रहने की कोशिश करे । जिससे Team के अन्य सदस्यों में भी काम के प्रति ऊर्जा का प्रवाह होता रहे । और यही वह गुण है जिससे Leader बड़े से बड़े काम को समयानुसार करवा पाने में सफल होगा ।

6. आत्मविश्वास (Self Confidence):

एक Leader को Self confident अर्थात अपने आप पर विश्वास करने वाला होना चाहिए, जो उसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने में हमेशा मदद करेगा । Leadership का काम है की अपने आप पर भरोसा रख के धीर गंभीर होकर निर्णय लेना, और अपनी टीम को भी धैर्य और अनुशासन से काम करने को प्रोत्साहित करना । यह Leadership Qualities जहाँ लीडर को बेवजह परेशान होने से बचाएगी वही अपने द्वारा लिए गए निर्णयों के प्रति मानसिक शांति भी प्रदान करेगी ।

7. निष्पक्षता (Fairness decision) :

Leader को कभी भी तथ्यों को नज़रअंदाज करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए, कोई भी  निर्णय लेते वक्त किसी व्यक्तिगत भावनाओ, पसंद नापसंद इत्यादि के वशीभूत नहीं होना चाहिए । Leadership की नज़र में सभी सदस्य एक सामान होने चाहिए, और कोई  पक्षपात पूर्ण क्रिया में Leader की भूमिका नहीं होनी चाहिए ।

अगर किसी के खिलाफ या समर्थन में कुछ कहना भी हो तो तथ्यों के आधार पर कहना चाहिए । लीडर में इस गुण के होने से समूह के अन्य सदस्य बेवजह या बिना तथ्यों के Leader के पास शिकायतों का पुलिंदा लेके नहीं आयेंगे । जिससे बहुत सारे समय की बचत होगी ।

8. आशावादी सोच (Optimistic Thinking):

यदि Leadership द्वारा कोई ऐसा निर्णय लिया गया हो, जिसके परिणाम वर्तमान में नहीं दिखाई दे रहे हों, तो एक अच्छे leader का काम है की वह अपने निर्णय पर तटस्थ रहके आने वाले समय के प्रति आशावादी बना रहे । क्योकि यदि एक लीडर ही निराशावदी सोच रखने लगेगा तो बाकी सदस्यों में आशा का संचार कहाँ से होगा ।

उसको इस पर गहन विचार करना चाहिए की क्यों अभी तक उस निर्णय का परिणाम देखने को नहीं मिला, त्रुटि खोजकर उसका समाधान निकालना भी एक अच्छे Leader का कर्तव्य है । उसको इस बात का ध्यान रखना चाहिए की मेरे निराशावादी होने से टीम के सदस्य कैसे आशावादी होंगे । यह Leadership quality पूरे समूह या संगठन में आशावादी विचारों को बढाने का काम करती है ।

9. ईमानदारी (Honesty):

honesty अर्थात ईमानदारी से अभिप्राय कम्पनी, समूह, दल, संस्थान और टीम के सदस्यों के प्रति सत्यनिष्ठा और निष्कपट भाव से है । Leadership में सत्यवादिता, प्रमाणिकता, सत्यनिष्ठा इत्यादि गुणों का होना आवश्यक है । इन्ही गुणों के कारण किसी भी Leader को संगठन द्वारा  विश्वासयोग्य समझा जाता है ।

टीम के सदस्यों के साथ निष्पक्ष और निष्कपट भाव के कारण  Leader पर उनका विश्वास बढ़ता है, जिससे सहयोग की भावना का उद्गम होता है । किसी लीडर में इस गुण के होने से समूह या संगठन के अन्य सदस्यों में भी इसका प्रचार प्रसार होता है, जिससे कपटता की भावना में निरंतर कमी होती है ।

10. परानुभूति (Fellow Feeling):

Fellow Feeling यानि की सहानुभूति/परानुभूति अर्थात दूसरों की भावनाओं को समझने और महसूस करने की शक्ति, और भावनाओं का आदान प्रदान करने की क्षमता भी एक Leader में होनी आवश्यक है। क्योकि Leadership की यह Quality लीडर को निर्णय लेने में मदद करती है ।

दूसरा यह Leader को मानवीय मूल्यों, सदस्यों की समस्याओं, अपेक्षाओं, आवश्यकताओं, और शिकायतों का आभास कराने में मदद करेगी । इस Leadership qualities के माध्यम से व्यक्ति एक अच्छे Leader के रूप में ही नहीं, बल्कि लोगों के बीच एक अच्छे इन्सान के रूप में भी जाना जाता है ।

11. समग्रता (Integrity) :

Integrity अर्थात समग्रता का अर्थ ईमानदारी और मजबूत नैतिक सिधान्तों से लगाया जा सकता है । Integrity Leadership की एक महत्वपूर्ण quality है, यह बाहरी एवम आंतरिक कार्यों का एकत्रीकरण है । एक Leader वही है जो अपनी Integrity के बदौलत दूसरों का भरोसा जीतने में कामयाब हो जाता है ।

12. प्रेरणा (high motivation):

वैसे तो हर व्यक्ति में Motivation का होना जरुरी है, लेकिन एक Leader में high motivation होना अति आवश्यक है | तभी वह अन्य Team के सदस्यों को भी Motivate करने में कामयाब हो पायेगा । Motivation का अर्थ किसी कार्य को करने की इच्छाशक्ति से लगाया जा सकता है । बिना किसी इच्छाशक्ति के कोई भी व्यक्ति कुछ पाने में समर्थ नहीं हो सकता, यही कारण है की Leadership में high motivation होनी चाहिए ।

13. निर्णयात्मकता (conclusiveness) :

Conclusiveness का अर्थ निर्णयात्मकता से लगाया जा सकता है । Leader को मजबूत, आत्म विश्वासी, प्रबल व्यक्तित्व का स्वामी होना चाहिए । तभी वो कठिन से कठिन समय में भी किसी उचित निर्णय पर पहुँच पायेगा ।

निर्णयात्मकता होने से जहाँ Leadership सदस्यों द्वारा की गई गलती के बारे में उन्हें बता पायेगी, वही भविष्य में ऐसी गलती न करने की हिदायत और उसके परिणाम भी समझाने में कामयाब हो पायेगी । हालांकि इस Leadership Qualities (निर्णयात्मकता) का मतलब सहनशीलता या आक्रमता से बिलकुल नहीं है, बल्कि इसे आप इन दोनों के बीच सामजस्य रखने की प्रक्रिया कह सकते हैं ।

  • एक अच्छा लीडर कैसे बन सकते हैं |
  • चार्टेड अकाउंटेंट बनने की पूरी जानकारी.
  • खुद की निधि कंपनी कैसे शुरू करें.

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Bcom 2nd year principles business management leadership study material notes in hindi.

Table of Contents

BCom 2nd Year Principles Business Management Leadership Study Material Notes in Hindi: Meaning and Definitions of Leadership Nature and Characteristics of Leadership Function of Leadership Importance of Leadership Styles of Leadership  Deference Between Autocratic Democratic and Free rein Leadership Styles Selecting Best Leadership Style Among Power Styles Theories Principles Approaches Leadership Tannenbaum and Schmidt Leadership Theory Examination Question Long Answer Questions Short Answer Questions :

Leadership Study Material Notes

BCom 2nd Year Motivation Concepts Incentives Theories Study Material Notes in Hindi

[ leadership].

प्रत्येक व्यावसायिक उपक्रम में व्यक्तियों का समूह एक साथ मिलकर सामान्य लक्ष्य की प्राप्ति के लिए प्रयास करता है। वास्तव में प्रत्येक समूह को चाहे वह छोटा हो या बड़ा, अपने उद्देश्य का प्राप्ति हेतु सदस्यों के कार्य-कलापों के पथ-प्रदर्शन, अभिप्रेरणा एवं निर्देशन के लिए एक प्रभावशाली नेता की आवश्यकता होती है। यह नेता समूह कर्मचारियों को अभिप्रेरित कर उनसे संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त कराता है। इसमें कोई अतिशयोक्ति नहीं है कि किसी भी व्यावसायिक या आद्योगिक उपक्रम के लिए अन्य कोई साधन/पहलू इतना महत्वपूर्ण नहीं है, जितना कि कुशल नेतृत्व। कुशल नेतृत्व के अभाव में कोई भी संस्था या समूह अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने में सफल नहीं हो सकता है। पीटर ड्रकर के अनुसार, “प्रबन्धक किसी व्यावसायिक उपक्रम के प्रमुख एवं दुर्लभ साधन हैं। अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के असफल होने का प्रमुख कारण अकुशल नेतृत्व ही है।” प्रस्तुत अध्याय में नेतृत्व के विभिन्न पहलुओं की विस्तृत विवेचना की गई है।

Principles Business Management Leadership

नेतृत्व का अर्थ एवं परिभाषाएँ

Meaning and definitions of leadership).

सामान्य अर्थ में, नेतृत्त्व से आशय किसी व्यक्ति विशेष के उस गुण से है जिसके द्वारा वह अन्य व्यक्तियों/अनुयायियों/अधीनस्थों का मार्गदर्शन करता है एवं नेता के रूप में उनकी क्रियाओं का निर्देशन करता है। वास्तव में नेतृत्व एक ऐसी क्षमता है जिसके द्वारा अन्य व्यक्तियों से वांछित कार्य स्वेच्छापूर्वक कराये जाते हैं। इस प्रकार नेतृत्व का अर्थ एक. व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्तियों की क्रियाओं का इस प्रकार निर्देशन करना है ताकि निर्धारित लक्ष्यों को सुगमता से प्राप्त किया जा सके। नेतृत्व की महत्वपूर्ण परिभाषाएँ निम्न प्रकार हैं

(1) कीथ डेविस ( Keith Davis ) के अनुसार, “नेतृत्व दूसरे व्यक्तियों को पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को उत्साहपूर्वक प्राप्त करने के लिए प्रेरित करने की योग्यता है। यह वह मानवीय तत्त्व है जो एक समूह को एक सूत्र में बाँधे रखता है और इसे अपने लक्ष्य की ओर अभिप्रेरित करता है।”1

(2) बर्नार्ड ( Chester I. Barnard ) के अनुसार, “नेतृत्व किन्हीं व्यक्तियों के व्यवहार का वह गुण है जिसके द्वारा वे सामूहिक प्रयास में लगे लोगों या उनकी क्रियाओं का मार्गदर्शन करते हैं।”2.

(3) लिविंगस्टन ( Livingston ) के अनुसार, “नेतृत्व अन्य लोगों में किसी सामान्य उद्देश्य का अनुसरण करने की इच्छा जागृत करने की योग्यता है।”3 |

(4) जॉर्ज आर० टेरी ( George R. Terry ) के अनुसार, “नेतृत्व व्यक्तियों को पारस्परिक उद्देश्यों के लिए स्वैच्छिक प्रयत्न करने हेतु प्रभावित करने की योग्यता है।”4

(5) हॉज एवं जॉनसन ( Hodge and Johnson ) के अनुसार, “नेतृत्व मुख्य रूप से औपचारिक एवं अनौपचारिक परिस्थितियों में अन्य व्यक्तियों के व्यवहार आदि अभिवृत्तियों को रूप देने की योग्यता है।”

(6) फ्रकालन जी० मरे ( Franklin G .Moore) के अनसार “नेतत्त्व अनयायियों को नेता का इच्छानुसार क्रियाएँ करने के लिए तैयार करने की योग्यता है।”

(7) कूण्टज एवं ओ ‘ डोनेल ( Koontz and o’Donnell ) के अनुसार, “किसी लक्ष्य की प्राप्ति हेतु सम्प्रेषण के माध्यम द्वारा व्यक्तियों को प्रभावित कर सकने की योग्यता नेतृत्त्व कहलाती है।”2 |

(8) टेननबॉम एवं मेसारिक ( Tannenbaum and Massarik ) के अनुसार, “नेतृत्त्व एक अन्तर्वैयक्तिक प्रभाव है जिसका प्रयोग किसी स्थिति में सम्प्रेषण प्रक्रिया के माध्यम से किसी विशिष्ट लक्ष्य या लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए किया जाता है।’

(9) अल्फ्रेड एवं बीटी ( Alfred and Beaty ) के अनुसार, “नेतृत्त्व वह गुण है जिसके द्वारा अनुयायियों के समूह से इच्छित कार्य स्वेच्छापूर्वक कराये जाते हैं।”

उपर्युक्त परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् हम यह कह सकते हैं कि नेतृत्त्व उपलब्ध परिस्थितियों में निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु किए जाने वाले प्रयासों में एक व्यक्ति या एक समूह की क्रियाओं को प्रभावित करने की प्रक्रिया है। यह नेतृत्त्व प्रक्रिया, नेता का एक कार्य है। इस प्रकार नेतृत्त्व से आशय एक व्यक्ति द्वारा अन्य व्यक्तियों की क्रियाओं का मार्ग-दर्शन करने से है।

नेतृत्व की प्रकृति एवं विशेषताएँ

( nature and characteristics of leadership).

विभिन्न विद्वानों द्वारा नेतृत्त्व की दी गई विभिन्न परिभाषाओं का अध्ययन करने के पश्चात् नेतृत्त्व की प्रकृति एवं विशेषताओं को निम्नलिखित बिन्दुओं द्वारा स्पष्ट किया जा सकता है

1 व्यक्तिगत योग्यता ( Personal Ability)– नेतृत्त्व एक व्यक्तिगत योग्यता है और जिस व्यक्ति में यह योग्यता विद्यमान हो उसे नेता कहते हैं।

नेता अपने व्यवहार से दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करता है और निर्दिष्ट लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए उनका मार्गदर्शन करता है। बर्नार्ड का भी मानना है कि, “नेतृत्त्व किसी व्यक्ति के व्यवहार का वह गुण है जिसके द्वारा वह दूसरे व्यक्तियों का मार्गदर्शन करता है।”

2. अनुयायियों का होना ( Must be Followers)- अनुयायियों का अर्थ उन व्यक्तियों से है जो नेता के आदेशों-निर्देशों का पालन करें। बिना अनुयायियों के न तो नेता की विद्यमानता के बारे में सोचा जा सकता है और न ही संस्था के पूर्व-निर्धारित उद्देश्यों या लक्ष्यों की प्राप्ति की जा सकती है।

3. अनुयायियों की स्वैच्छिक सहमति ( Voluntary Acceptance of Followers )-नेता को __ अपने अनुयायियों से स्वाभाविक एवं स्वैच्छिक आज्ञापालन प्राप्त होना चाहिए। यदि अनुयायी/अन्य

व्यक्ति/अधीनस्थ भय या विवशता के कारण आज्ञापालन स्वीकार करते हैं तो यह तानाशाही कहलायेगी, नेतृत्त्व नहीं। –

4. क्रियाशील सम्बन्ध ( Working Relationship )-नेता और उसके अनुयायियों के मध्य पारस्परिक सम्बन्ध निष्क्रिय न होकर कुछ निश्चित क्रियाओं का आधार होते हैं। अन्य शब्दों में नेता और अनयायियों के पारस्परिक सम्बन्ध निष्क्रिय न होकर क्रियाशील होते हैं। नेता अपने अनुयायियों को कार्य करने के लिए दिशा प्रदान करता है और उन्हें इसका अनुसरण करने के लिए प्रेरित करता है। किसी कार्य का निष्पादन करने में नेता सबसे आगे खड़ा होकर अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन करता है और उनका सहयोग प्राप्त करता है।

5. सामान्य लक्षण ( Common Goals) नेतृत्व की यह प्रकृति है कि नेता संस्था के सामान्य लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु अपने अनुयायियों के प्रयासों को निर्देशित करता है। नेता अपने अनयायियों को निर्धारित लक्ष्यों की जानकारी देता है, उन्हें लक्ष्यों को स्पष्टतया परिभाषित करता है और उनकी लक्ष्यों की प्राप्ति में आने वाली बाधाओं को दूर करने का प्रयत्न करता है।

Principles of Business Management Leadership

6. आदर्श आचरण ( Examplary Conduct )–नेता अपने आचरण से ही अनुयायियों को अभावित करता है। अतः उसे अपने आचरण द्वारा अनुयायियों के समक्ष एक उच्च कोटि का आदर्श प्रस्तुत करना चाहिए। एक नेता जो स्वयं कार्य पर देर से आता हो, अपने अनुयायियों से ठीक समय पर आने की आशा नहीं कर सकता। नेता की कथनी (Saving) और करनी (Doing) में अन्तर नहीं हाना चाहिए। उसे अपना आचरण एक आदर्श के रूप में प्रस्तुत करना चाहिए जिसे अधीनस्थ अनुसरण कर अपनी और संस्था दोनों की प्रगति कर सकें। एल० एफ० उर्विक (L.E. Urwick) के अनुसार, “अनुयायियों को यह प्रभावित नहीं करता कि उनका नेता क्या करता है और क्या लिखता है बल्कि वह क्या है, वह कौन से कार्य करता है, वह किस प्रकार का व्यवहार करता है।

आदि तथ्य प्रभावित करते हैं।” स्पष्ट है कि अनुयायी अपने नेता का अनुसारण करते हैं, अतः आदर्श आचरण द्वारा ही वह उन्हें पर्याप्त रूप से प्रभावित कर सकता है।

7. नेतृत्त्व एक गतिशील प्रक्रिया है ( Leadership is a Dynamic Process )-नेतृत्त्व एक गतिशील प्रक्रिया (Dynamic Process) है। क्रियाविहीन अवस्था में नेतृत्त्व की आवश्यकता नहीं होती। जब तक संगठन में कार्य होता है तब तक नेतृत्त्व की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है। नेता को नित्य नई परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है और उसे नये-नये व्यवहार का प्रयोग करना पड़ता है।

8. नेतृत्त्व एक चिर नवीन प्रक्रिया है ( Ever New Process ) नेतृत्त्व का प्रकार समूह की परिस्थिति तथा समय पर निर्भर करता है। परिस्थितियों तथा समय में निरन्तर परिवर्तन होता रहता है जिसके कारण नेतृत्त्व की शैली में सदैव परिवर्तन करना पड़ता है। अत: नेतृत्त्व एक चिर नवीन प्रक्रिया (Ever New Process) है।

9. हितों की एकता ( Community of Interests )-नेता और उसके अनुयायियों के मध्य हितों की एकता होनी चाहिए। किसी संगठन में नेतृत्व का कोई प्रभाव नहीं रहता, यदि नेता और उसके अनुयायी अलग-अलग उद्देश्यों के लिए प्रयास करें। किसी संगठन में प्रभावी नेतृत्व उसी समय कहा जा सकता है, जबकि नेता और अनुयायी एक ही उद्देश्य (सामान्य लक्ष्यों) की पूर्ति के लिए कार्य करें। इस सम्बन्ध में जॉर्ज आर० टेरी (George R. Terry) ने ठीक ही कहा है कि, “नेतृत्व पारस्परिक उद्देश्यों की पूर्ति हेतु व्यक्तियों को स्वैच्छिक प्रयत्न करने के लिए प्रभावित करने की क्रिया है।” (Leadership is the activity of influencing people to strive willingly for Mutual objectives.) सामान्य तथा व्यक्तिगत उद्देश्यों में सामंजस्य स्थापित करके नेता (नेतृत्व) दोनों की प्राप्ति सम्भव बनाता है।

10. औपचारिक एवं अनौपचारिक ( Formal and Informal )-नेतृत्व औपचारिक एवं अनौपचारिक दोनों प्रकार का हो सकता है। यह सम्भव है कि किसी संस्था का औपचारिक नेता कोई प्रबन्धक हो, परन्तु वास्तविक नेतृत्त्व अनौपचारिक रूप से किसी अधीनस्थ कर्मचारी के पास हो।

11. यथार्थवादी दृष्टिकोण ( Practical Approach)- नेतृत्व का यह लक्षण इस बात को स्पष्ट करता है कि नेता का मानव आचरण के प्रति यथार्थवादी दृष्टिकोण होना चाहिए। कोई नेता तभी सफल हो सकता है जब वह अपने अनुयायियों की समस्याओं तथा भावनाओं को समझकर उनके साथ मानवीय व्यवहार करे।

12. विभिन्न गुणों का समावेश ( Combination of Various Traits)-नेता होने के लिए यह भी आवश्यक है कि नेता में उन विभिन्न गुणों का समावेश हो जो नेतृत्व करने के लिए आवश्यक होते हैं।

नेतृत्व एवं प्रबन्ध

(leradership and management).

सामान्यतया नेतृत्व एवं प्रबन्ध को एक ही अर्थ में प्रयुक्त किया जाता है, परन्तु दोनों एक दूसरे से भिन्न हैं। प्रबन्ध का मुख्य उद्देश्य विभिन्न क्रियाओं; जैसे—नियोजन, संगठन, निर्देशन, नियुक्ति, नियन्त्रण आदि में समन्वय स्थापित करते हुए संस्था के निर्धारित उद्देश्यों को प्राप्त करना है। प्रबन्धक यह कार्य व्यावसायिक संस्था में कार्य करने वाले कर्मचारियों के सहयोग से ही कराता है। बँकि मानव उत्पादन का एक सक्रिय साधन है, अत: उनसे कार्य कराने के लिए उनके साथ मानवीय व्यवहार किया जाना चाहिए तथा उन्हें अपने कर्तव्यों को प्रभावी ढंग से पूरा करने के लिए विभिन्न नेतृत्व प्रकार की प्रेरणाएँ भी दी जानी –हिए। इसके लिए कुशल नेतृत्त्व का होना अत्यन्त आवश्यक है। यह तो सत्य है कि प्रबन्ध के लिए नेतृत्त्व का विशेष महत्व है, लेकिन प्रबन्ध को नेतृत्त्व का पर्यायवाची नहीं माना जा सकता। नेतृत्त्व तथा प्रबन्ध में निम्नलिखित प्रमुख अन्तर हैं

1एक नेता का कार्य केवल अपने अधीनस्थ को एक निश्चित दिशा दिखाने तक सीमित रहता है. लेकिन एक प्रबन्धक को अपने अधीनस्थों का मार्गदर्शन भी करना होता है और अपने से बड़े। प्रबन्धक के निर्देशों और आदेशों का पालन भी करना होता है। साथ ही संस्था के उद्देश्यों को ध्यान में रखकर अपने अधीनस्थों के प्रयत्नों को उस ओर मोड़ना है।

2. नेतृत्त्व का अर्थ है कि अधीनस्थों को निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति की दिशा में सार्थक ढंग से प्रेरित करना, लेकिन प्रबन्ध एक व्यापक शब्द है जिसमें उद्देश्यों की व्याख्या से लेकर, उद्देश्यों की प्राप्ति तक के लिए योजना बनाना, कर्मचारियों का संगठन बनाना, आदेश व निर्देश देना और नियन्त्रण तक सभी कार्य सम्मिलित किए जाते हैं।

3. यदि एक नेता जो नियोजन तथा संगठन में निर्बल है वह अच्छा नेता होते हुए भी एक सफल प्रबन्धक नहीं हो सकता, लेकिन एक अच्छा प्रबन्धक जो नियोजन, संगठन एवं नियन्त्रण में निपुण है एक कुशल नेता होने के साथ-साथ प्रबन्धक भी हो सकता है।

4. नेतृत्त्व एक अत्यन्त असंगठित समूह के कार्यों में भी किया जा सकता है, लेकिन प्रबन्ध चलाने के लिए एक संगठित समूह का होना आवश्यक होता है।

नेतृत्व के कार्य

(functions of leadership).

नेतृत्व का मुख्य उद्देश्य अपने अधीनस्थों/अनुयायियों का मार्गदर्शन करते हुए उपक्रम द्वारा निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति करना है जिसके लिए नेता के रूप में निम्नलिखित कार्य करने पड़ते हैं

1 नियोजन एवं निर्देशन ( Planning and Direction)- नेतृत्व का प्रथम कार्य है कार्य का नियोजन करना एवं लक्ष्य प्राप्ति के लिए समूह के सदस्यों को मार्गदर्शन प्रदान करना है।

2. उपक्रम के प्रति निष्ठा बनाए रखना -एक कुशल नेता का प्रमुख कार्य है कि वह अपने अधीनस्थों में उपक्रम के प्रति निष्ठा बनाए रखे। यह उसी स्थिति में सम्भव हो सकता है, जबकि वह निर्णयन में, विशेषकर कर्मचारियों से सम्बन्धित निर्णयन प्रक्रिया में, संस्था के उद्देश्यों को निर्धारित करने में अधीनस्थों, कर्मचारियों को भागीदार बनाता है तथा उनकी आवश्यकताओं एवं समस्याओं का समाधान करने हेतु निरन्तर प्रयास करता रहता है।

3. अधीनस्थों का सहयोग प्राप्त करना ( Securing Co-operation of Subordinates)प्रबन्धक के रूप में अधीनस्थों का सहयोग प्राप्त करना, नेतृत्व का तीसरा प्रमुख कार्य है। इसके लिए यह आवश्यक है कि वह सहकारिता की भावना को जन्म दे, कर्मचारियों में एक साथ मिलकर कार्य करने की भावना जाग्रत करे और उन्हें यह विश्वास दिलाए कि उपक्रम की सफलता उनके हित में है।

4. अभिप्रेरणा प्रदान करना ( Inspiring)- नेतृत्व कर्मचारियों की अभिप्रेरणा का स्रोत है। कुशल नेतृत्त्व कर्मचारियों की भावनाओं व इच्छाओं को सन्तुष्ट करके उनमें कार्य करने की प्रेरणा उत्पन्न करता है।

5.  परामर्श देना ( Suggesting)— कार्य करते समय कई बार कर्मचारी दुविधा में फंस जाते हैं एवं उनके कार्य में रूकावटें आ जाती हैं। कुशल नेता ऐसे समय में योग्य परामर्श प्रदान करके सभी बाधाओं को दूर करते हैं।

6. अनुशासन बनाए रखना ( To Maintain Discipline )–नेता का एक प्रमुख कार्य अपने समूह में अनुशासन बनाए रखना भी है, क्योंकि अनुशासन के द्वारा ही वह अपने अधीनस्थों को निर्धारित नियमों का पालन करने के लिए प्रेरित कर सकता है और कार्य को सुचारु रूप से संचालित करने के लिए अनुशासन में निहित शक्ति का प्रयोग कर सकता है। प्रयास यह होना चाहिए कि कर्मचारियों में डर व भय के बिना स्व-अनुशासन की भावना पैदा हो।

7. अधीनस्थों की भावनाओं एवं समस्याओं को समझना ( Understood Emotions and Problems of Subordinates )—सफल नेतृत्व के लिए यह आवश्यक है कि नेता को अपने समूह के सदस्या एवं अपने अधीनस्थों की भावनाओं एवं समस्याओं को अच्छी तरह से समझना चाहिए। अधानस्थों की समस्याओं एवं भावनाओं का पूर्ण ज्ञान होने पर ही वह उनका समाधान कर सकता ह। अतः एक सफल नेता का प्रमुख कार्य अधीनस्थों की भावनाओं एवं समस्याओं को समझना है।

8. प्रभावी सम्प्रेषण की व्यवस्था करना-संगठन की गतिविधियों में सामंजस्य एवं सन्तुलन बनाए रखने के लिए और कर्मचारियों से मधुर सम्बन्ध स्थापित करने के लिए प्रबन्धकों को उचित प्रक्रिया की व्यवस्था करनी चाहिए। इस दिशा में कुशल नेता ही इस प्रकार की सम्प्रेषण प्रक्रिया की व्यवस्था करता है जिससे अधीनस्थों एवं उसके मध्य विचारों का निरन्तर आदान-प्रदान होता रहे।

9. पारवर्तनों को लागू करना ( Implements Changes)-नेता (प्रबन्धक) परिवर्तन प्रक्रिया का केन्द्र-बिन्द होता है। वह अपने अनयायियों को विश्वास में लेकर परिवर्तनों को आसानी से लाग करता है। प्रोफेसर गोरडन (Gorden) के अनुसार, “परिवर्तनों एवं अनिश्चितता की दुनिया में व्यावसायिक नेता परिवर्तन प्रक्रिया का ही महत्वपूर्ण अंग माना जाता है।”

10. मध्यस्थता करना ( Arbitrating )-अनेक संगठनात्मक मामलों को सुलझाने, विवादों को हल करने अथवा कर्मचारियों की असहमति को दूर करने के लिए नेतृत्त्व द्वारा मध्यस्थता की जाती है। नेता संघर्षों को दूर करके संगठन को गतिशील बनाता है।

11.प्रतिनिधित्व करना ( Representing )-नेता अपने अनुयायियों व संस्था का प्रतिनिधित्व भी करता है। वह उच्चाधिकारी, बाह्य पक्षों व सरकार के समक्ष अपने अधीनस्थों व अपनी संस्था का सही चित्र प्रस्तुत करता है।

नेतृत्व का महत्त्व

(importance of leadership).

प्रबन्ध के क्षेत्र में नेतृत्व का महत्वपूर्ण स्थान है। नेतृत्व प्रबन्ध का वह साधन है जिसके बिना संगठन निष्क्रिय रहता है। यह एक ऐसी प्रेरक शक्ति है जो मानवीय साधनों का सर्वोत्तम उपयोग सम्भव बनाती है। कुशल नेतृत्व किसी व्यावसायिक/औद्योगिक उपक्रम को अंधेरे से उजाले में ले जाता है एवं पग-पग पर उत्पन्न होने वाली कठिनाईयों पर विजय पाते हुए उसे प्रगति के मार्ग पर ले जाता है। इतिहास में ऐसे अनेक उदाहरण उपलब्ध हैं जिससे पता चलता है कि कुशल नेतृत्व में साधारण योग्यता वाले व्यक्तियों ने कमाल कर दिखाया, जबकि अनेक बार बुद्धिमान लोग नेतृत्व के अभाव में असफल रहे।

पीटर एफ० ड्रकर ( Peter F. Drucket) का मानना है कि अधिकांश व्यावसायिक संगठनों के असफल होने का प्रमुख कारण अकुशल नेतृत्व ही है। जॉन जी० ग्लोवर (John G. Glover) के अनुसार, “अधिकांश व्यावसायिक प्रतिष्ठानों के असफल होने में अकुशल नेतृत्व जितना उत्तरदायी है उतना कोई अन्य कारण उत्तरदायी नहीं है।” नेतृत्त्व का महत्व इसलिए भी अधिक है कि यह संगठनात्मक व्यवहार का एक महत्वपूर्ण सुधारक है। अत: यह ठीक ही कहा गया है कि

अभी तक इसके स्थानापन्न (Substitute) का विकास नहीं हआ है। नेतृत्व की आवश्यकता एवं ___ महत्व का हम निम्नलिखित शाषको के द्वारा और अधिक स्पष्ट कर सकते हैं

1 अभिप्रेरणा का स्रोत ( Source of Motivation )–नेतृत्व कर्मचारियों की अभिप्रेरणा का स्रोत है। कुशल नेतृत्त्व अधीनस्थों की इच्छाओं, आवश्यकताओं, भावनाओं आदि को समझता है और उन्हें सन्तुष्ट करता है। इसके परिणामस्वरूप, संस्था के कर्मचारियों में कार्य करने की प्रेरणा उत्पन्न होती है।

2. सहयोग प्राप्त करने की आधारशिला ( Basis of Getting Co-operation)-नेतृत्व हयोग प्राप्ति की आधारशिला है। कुशल नेता विभिन्न साधनों के माध्यम से अपने सहयोगियों और सहयोग प्राप्त करता है। वह अपने मैत्रीपूर्ण व्यवहार, प्रभावी सन्देशवाहन व्यवस्था, की मान्यता, शिकायतों के शीघ्र समाधान और आदर्श आचरण द्वारा अधीनस्थों का स्वैच्छिक प्राप्त करने में सफल होता है। कुशल नेतृत्व के अभाव में कर्मचारियों में द्वेष की भावना का टोता है और छोटी-छोटी बातों को लेकर आपस में विवाद उठ खडे होते हैं। संस्था के प्राप्त करने के लिए कर्मचारियों का हार्दिक सहयोग अतिआवश्यक है और यह निर्धारित केवल कुशल नेतृत्व द्वारा ही सम्भव है।

3. समन्वय में सहायक ( pful in Co-ordination) – के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण रूप से योगदान देता है। वास्तव में, नेतृत्व एक समन्वयक व्यक्तियों को समूह में बनाए रखती है। यह संस्थागत एवं व्यक्तिगत उद्देश्या का इस करता है कि दोनों को ही बिना किसी विरोध के प्राप्त किया जा सके।

4. समूह में निष्ठा उत्पन्न करना ( Creates Lovality to the Group )-कुशल अनुयायियों/कर्मचारियों के समूह के प्रति निष्ठा उत्पन्न करता है। इस हेतु वह उन्हें व्यक्तिगत उद्देश्या अनुयायिक काम करता है।। की तुलना में सामूहिक उद्देश्यों को प्राथमिकता प्रदान करने के लिए प्रेरित करता है।

5. प्रबन्धकीय कार्यों की सफलता ( Success of Managerial Functions )-व्यावसायिक प्रबन्ध के विभिन्न कार्यों; जैसे—नियोजन, संगठन, समन्वय, अभिप्रेरण, सम्प्रेषण एवं नियन्त्रण आदि का सफल क्रियान्वयन प्रभावी एवं कुशल नेतृत्व द्वारा ही सम्भव है। एक विद्वान के अनुसार, “नेतृत्व वह प्रेरक शक्ति है जो अन्य लोगों से कार्य करवाती है। कितना भी अच्छा संगठन क्यों न हो, नेतृत्त्व को प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है। संगठन केवल पूरक है।”

6. सामूहिक क्रियाओं का सफलतापूर्वक संचालन ( Effective Operation of Group Activities) सामूहिक उद्देश्यों की प्राप्ति हेतु की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं को एक सूत्र में बाँधने का कार्य नेता ही करता है। यदि वह ऐसा न करे तो समूह अव्यवस्थित हो जाता है और समूह द्वारा की गई क्रियाएँ सामूहिक उद्देश्य की पूर्ति में विफल होती हैं। लक्ष्यों की पूर्ति हेतु की जाने वाली विभिन्न क्रियाओं को एक सूत्र में पिरोने का कार्य केवल कुशल नेतृत्व द्वारा ही सम्भव है।

7. संगठनात्मक व्यवहार में सुधार ( Improvement in Organisational Behaviour )नेतृत्व संगठनात्मक व्यवहार का एक महत्वपूर्ण सुधारक है। इसका कारण यह है कि नेतृत्वकर्ता में प्रबन्धकीय योग्यता, मानवीय सम्बन्धों का ज्ञान एवं मस्तिष्क में लोचशीलता आदि गुण होते हैं एवं परिस्थितियों के अनुसार वह उनका उपयोग भी करता है।

8. प्रबन्ध को सामाजिक प्रक्रिया के रूप में परिवर्तित करने में सहायक ( Helpful in changing the Management in a Social Process )-कुशल नेतृत्व के माध्यम से प्रबन्ध एक सामाजिक प्रक्रिया के रूप में परिवर्तित हो जाता है। इससे एक ओर कर्मचारी उपक्रम की प्रगति के लिए अपना सब कुछ त्याग करने हेतु तैयार रहते हैं, दूसरी तरफ प्रबन्धक भी उनको सहायता. सुविधाएं देने का प्रयत्न करता है। वास्तव में, नेतृत्वकर्ता औपचारिक सम्बन्धों को अनौपचारिक वातावरण में परिवर्तित कर देता है।

9. व्यावसायिक सफलता का आधार ( Basis for Success of Business )-किसी व्यावसायिक संस्था की सफलता अथवा असफलता काफी सीमा तक नेतृत्व की प्रकृति पर निर्भर करती है। जहाँ एक ओर कुशल नेतृत्व व्यवसाय को प्रगति पर ले जाता है, वहाँ दूसरी ओर अकुशल नेतृत्व व्यवसाय को पत्तन अथवा असफलता की ओर ले जाता है। पीटर एफ० ड्रकर के अनुसार, ” व्यावसायिक नेता किसी व्यावसायिक उपक्रम का आधारभूत एवं दुर्लभ साधन है। अनेक व्यावसायिक उपक्रमों की असफलता का मूल कारण अकुशल नेतृत्व ही है।”

10. प्रबन्धकीय प्रभावशीलता में वृद्धि ( Increases Managerial Effectiveness )-सम्पूर्ण संस्था के प्रभावकारी प्रबन्ध के लिए नेतृत्व एक प्राथमिकता है। प्रभावकारी नेतृत्व के अभाव में संस्था के संसाधनों का कुशलतापूर्वक उपयोग नहीं हो सकता है। प्रभावकारी नेतृत्व से ही संस्था के भौतिक संसाधनों एवं मानवीय प्रयासों का प्रभावकारी समन्वय करके संस्था के उद्देश्यों को सफलतापूर्वक प्राप्त किया जा सकता है। रॉबर्ट अलबानीज (Robert Albanese) के अनुसार, “संगठनों में प्रभावकारी प्रबन्ध के लिए नेतृत्त्व एक महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।”

एक सफल नेता के गुण अथवा नेतृत्व के गुण

( qualities of successful leader or qualities of leadership).

सफल नेतृत्व किसी भी उपक्रम की आधारशिला है। नेतृत्व की किस्म पर ही व्यवसाय की सफलता या असफलता निर्भर करती है। अत: एक नेता में कुछ गुणों का होना आवश्यक है। भिन्न-भिन्न विद्वानों ने एक नेता के लिए भिन्न-भिन्न गुणों का उल्लेख किया है। विभिन्न विद्वानों ने एक सफल नेता के लिए निम्नलिखित आवश्यक गुण बताए हैं

ओर्डवे वटाड ( Ordway Tead) के अनुसार एक अच्छे नेता में निम्नलिखित दस गण हान चाहए-(i) शारीरिक एवं स्नायशक्ति, (i) उद्देश्य एवं दिशा की चेतनता, (iii) उत्साह, (iv) मत्राभाव एवं स्नेह, (v) तकनीकी क्षमता, (vi) बौद्धिक चातुर्य, (vii) चरित्र निष्ठा, (viii) शिक्षण क्षमता, (ix) निर्णयन क्षमता, तथा (x) विश्वसनीयता।

जॉर्ज आर० टैरी ( George R. Terry ) ने नेता के केवल आठ प्रमुख गुण बताये हैंशाक्त, (ii) भावनात्मक स्थिरता. (ii) मानवीय सम्बन्धों का ज्ञान, (iv) व्यक्तिगत अभिप्रेरणा, (v) सम्प्रेषण योग्यता, (vi) शिक्षण योग्यता, (vii) सामाजिक योग्यता, (viii) तकनीकी दक्षता।

हेनरी फेयोल के अनुसार एक सफल नेता में ये गुण होने चाहिएँ1. स्वास्थ्य एवं शारीरिक क्षमता, 2. योग्यता एवं मानसिक सन्तुलन, 3. नैतिक गुण, 4. ज्ञान, एवं 5. प्रबन्धकीय योग्यता। निष्कर्षतः एक सफल नेता में निम्नलिखित गुण होने चाहिएँ

1 साहस ( Courage )-एल० एफ० उर्विक के अनुसार एक सफल नेता में साहस का गुण होना चाहिए। उनके अनुसार एक नेता जिन कार्य एवं क्रियाओं को सही मानता है, उन्हें करने का नैतिक साहस होना चाहिए, निर्णय लेने एवं उन्हें लागू कराने की दृढ़ता होनी चाहिए। नेता ही सत्यता के पथ से विचलित नहीं होता है, अपने चापलूस अनुयायियों के चंगुल में भी नहीं फँसता है।

2. आत्म – विश्वास ( Self-confidence )-एक सफल नेता के लिए आत्म-विश्वास का गुण होना चाहिए । यह आत्मविश्वास अन्य तथ्यों के अलावा आत्मज्ञान पर आधारित होना चाहिए। एक नेता में आत्म-विश्वास है तो वह दसरों का विश्वास जीतने में सफल हो जाता है। इस सन्दर्भ में उर्विक के अनुसार, “अनुयायियों का पूर्ण विश्वास प्राप्त करने के लिए नेता में आत्म-विश्वास होना चाहिए।”

3. योग्यता एवं तकनीकी ज्ञान ( Intelligence and Technical Competence )-एक नेता में अपने अनुयायियों से अधिक योग्यता एवं तकनीकी सामर्थ्य होनी चाहिए। योग्य नेता संगठन में उत्पन्न समस्याओं को समझकर उपयुक्त हल निकाल सकता है और अनुयायियों को अच्छा मार्गदर्शन भी दे सकता है। इसके अतिरिक्त नेता में पर्याप्त तकनीकी सामर्थ्य, आर्थिक, वैधानिक एवं वित्तीय आदि क्षेत्र का पर्याप्त ज्ञान होना चाहिए।

4. सम्प्रेषण की योग्यता ( Ability of Communication )-नेता का मुख्य कार्य अपने अनुयायियों एवं दूसरे व्यक्तियों को सूचनाओं, आदेशों एवं विचारों आदि का सम्प्रेषण करना होता है। अत: उसमें अनुयायियों को मुख्यतया निर्देश देने और सामान्य जनता को आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करने की योग्यता होनी चाहिए। नेता द्वारा अनुयायियों को निर्देश देना ही पर्याप्त नहीं हैं, अपितु इनका पालन कराना भी आवश्यक है।

5. स्फूर्ति एवं सहिष्णुता ( Vitality and Endurance )-एक नेता में स्फूर्ति एवं सहिष्णुता होना भी आवश्यक है। यहाँ स्फूर्ति का अर्थ चैतन्यता या सजगता से है और सहिष्णुता से आशय संकटकालीन परिस्थितियों में धैर्य से कार्य करने से है। इसलिए एक नेता को सदैव भावी परिस्थितियों से सजग रहना चाहिए तथा विपत्तियों एवं कठिनाइयों में अपना धैर्य नहीं खोना चाहिए।

6. मानसिक क्षमता ( Mental Capacity )-एक नेता में विकसित मानसिक क्षमता का होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त नेता का मस्तिष्क इतना लोचशील एवं सक्षम भी होना चाहिए कि वह परिवर्तित परिस्थितियों के अनुसार अपने विचारों में परिवर्तन कर सके इसलिए मानसिक दृष्टि से विकसित खले विचार रखने वाला नेता ही द्वेषरहित परिवर्तित परिस्थितियों के अनकल सभी स्वीकार योग्य निर्णय ले सकता है।

7. प्रेरित करने की योग्यता ( Ability to Inspire )-एक नेता की अपने अनुयायियों को कार्य करने के लिए प्रेरित करने की योग्यता भी होनी चाहिए। योग्य एवं अनुभवी नेता निर्धारित लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अनुयायियों की रुचियों, विचारों, भावनाओं एवं आवश्यकताओं आदि का अध्ययन , करके और अनुयायियों को आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान करके कार्य हेतु प्रेरित कर सकता ह। इस प्रकार एक नेता अनुयायियों पर प्रभाव रखकर उनको प्रेरित करने में सफल होता है।।

8. मानवीय पहलू के साथ व्यवहार करने की योग्यता ( Ability to Deal with Human Aspects) -एक नेता में अन्य गुणों के साथ-साथ मानवीय पहल से अच्छा व्यवहार करने का योग्यता भी होनी चाहिए। उसे अनुयायियों की रुचियों, भावनाओं, उद्देश्यों, क्षमताओं एवं कमियों आदि का पूर्ण ज्ञान होना चाहिए ताकि वह अपने अनुयायियों के साथ अच्छे सम्बन्धों की स्थापना कर सके।

9. उत्तरदायित्व की भावना ( Sense of Responsibility )-एक अच्छे नेता में उत्तरदायित्वों के पालन करने की भावना भी होनी चाहिए, अन्यथा वह अधिकारों का दुरुपयोग करेगा। इसके अतिरिक्त अनुयायियों को दिये गये आवश्यक निर्देशों के प्रति भी सदैव उत्तरदायी होना चाहिए।

10.स्वस्थ निर्णय लेने की क्षमता ( Capacity of Sound Decision-making )-एक नेता में सुदृढ़ निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए, जिसे केवल आत्मविश्वास एवं आत्म-नियन्त्रण से प्राप्त किया जा सकता है। एक नेता को किसी समस्या के विभिन्न समाधानों में से सर्वश्रेष्ठ का चयन करना होता है। यह चयन (निर्णय) उसे वर्तमान एवं भावी दोनों परिस्थितियों को ध्यान में रखकर करना होता है।

नेतृत्व की शैलियाँ

(styles of leadership).

नेतृत्व की शैली से आशय अपने कर्मचारियों के समूह के प्रति नेता के व्यवहार से है। कार्य समूहों का नेतृत्व करते हुए नेता द्वारा अपनायी गई व्यवहार विधि ही नेतृत्त्व की शैली कहलाती है। विविध समयों व परिस्थितियों में भिन्न-भिन्न नेताओं द्वारा विभिन्न प्रकार से नेतृत्त्व प्रदान किया जाता है। अत: नेता के दर्शन, व्यक्तित्व, अनुभव, इच्छा और सोचने के ढंग के अनुसार ही नेतृत्त्व शैली निर्धारित होती है। नेतृत्त्व शैली अनुयायियों के प्रकार तथा सम्पूर्ण संगठन के व्यवहार, अधिकार, कार्य-उन्मुखता आदि पर भी निर्भर करती है। व्यावसायिक जगत में प्रचलित नेतृत्व शैलियों के प्रमुख प्रकार निम्नांकित हैं :

1 अभिप्रेरणा शैली ( Motivational Style )-एक नेता जिन विधियों द्वारा अपने अनुयायियों का मार्गदर्शन करता है और उन्हें कार्य हेतु अभिप्रेरित करता है, वह अभिप्रेरणात्मक शैली कहलाती है। अनुयायियों को अभिप्रेरित करने की दो शैलियाँ हैं

( अ ) धनात्मक अभिप्रेरणात्मक शैली ( Positive Motivational Style)-जब नेता अपने अनुयायियों को मौद्रिक तथा अमौद्रिक प्रेरणाएँ देकर काम करने के लिए आवश्यक निर्देश देता है तो – इसे धनात्मक अभिप्रेरण शैली कहते हैं। इस शैली में अनुयायियों को वित्तीय एवं अवित्तीय लाभ प्राप्त होने के कारण वें कार्य करने के प्रति आकष्ट होते हैं. अधिक मेहनत और लगन से कार्य करते हैं। और औद्योगिक शान्ति की स्थापना में सहायता करते हैं।

( ब ) ऋणात्मक अभिप्रेरणात्मक शैली ( Negative Motivational Style)-इस प्रकार के नेतृत्त्व में बिनु भय होय न प्रीति’ का सिद्धान्त लाग होता है। इस शैली में नेता डरा-धमकाकर, दण्ड का भय दिखाकर कार्य से हराने वेतन में कमी करने और अधिक समय तक काम लेन का घमका दकर कार्य हेतु अभिप्रेरित करता है। इस विधि द्वारा अनुयायियों को कुछ समय के लिए तो अवश्य आभप्रारत किया जा सकता है. सदैव के लिए नहीं। इस शैली को अपनाने से समूह प्रसन्नता, समूह शान्ति और औद्योगिक शान्ति के वातावरण का निर्माण किया जाना सम्भव नहीं हो पाता है।

नेतृत्त्व की इन दोनों शैलियों में से कौन-सी श्रेष्ठ है, इसका स्पष्ट उत्तर देना तो सम्भव नहीं। है। सामान्यतया एक नेता दोनों विधियों का मिश्रित रूप ही काम में लाता है। सामान्यतया नेता को धनात्मक अभिप्रेरण शैली को ही प्रयोग करना चाहिए परन्तु अनियन्त्रित व असामान्य वातावरण में अपवाद के रुप में ऋणात्मक अभिप्रेरण शैली को भी प्रयोग करना चाहिए और सामान्य दशा बनते ही फिर धनात्मक अभिप्रेरण शैली उपयुक्त रहती है।

(II) शक्ति शैली ( Power Style)- इस शैली के अन्तर्गत नेता अपनी शक्ति का उपयोग करता है। इस प्रकार नेता शक्ति के आधार पर ही नेतृत्त्व प्रदान करता है। शक्ति के आधार पर नेतृत्त्व की निम्न तीन शैलियाँ प्रचलित हैं

( अ ) निरंकुश शैली ( Autocratic Style )-नेतृत्व की इस निरंकुश अथवा सत्तावादी (Authoritarian) शैली में सभी अधिकार नेता के पास केन्द्रित रहते हैं। नेता में अपने अधिकारों के प्रति असीम मोह रहता है और वह अपने अधिकारों का विकेन्द्रीकरण करना नहीं चाहता है। वह सभी निर्णय स्वयं ही लेता है और निर्णयन प्रक्रिया में अनुयायियों को शामिल नहीं करता है। अधीनस्थों का कार्य मात्र इतना होता है कि नेता के आदेशों का पूर्णत: अनुकरण करते हुए कार्य करें। अधीनस्थों को सुझाव आदि देने का अधिकार नहीं होता है। निरंकुश नेतृत्त्व कार्यों की सफलता का श्रेय तो स्वयं लेता है और असफलता के लिए अधीनस्थों को दोषी ठहराता है। बहुत बार तो अनुयायियों को लक्ष्यों तक का ही पता नहीं होता है और वे छोटी-छोटी बातों के लिए अपने नेता पर आश्रित रहते हैं।

विशेषताएँ –(i) इसमें नेता द्वारा अधीनस्थों को आदेश प्रदान किए जाते हैं। (ii) संगठन में नेता ही एकमात्र निर्णायक भूमिका में होता है। (iii) इसमें एकल मार्गीय सन्देशवाहन होता है अर्थात् ऊपर से नीचे की ओर। (iv) इसमें निर्विवाद आज्ञाकारिता होती है। (v) इसमें नेता का कठोर पर्यवेक्षण एवं नियन्त्रण होता है। (vi) इसमें नेतृत्त्व का ‘मैं’ (I) स्वरूप होता है। (vii) इसमें नकारात्मक अभिप्रेरणाओं पर बल दिया जाता है।

प्रकार – निरंकुश शैली कठोर (Strict), उदार (Benevolent) और चालाक (Manipulative) तीन प्रकार की हो सकती है-(i) कठोर निरंकुश शैली (Strict Autocratic Style)-ऐसे में नेता अपने अनुयायियों से अति सख्ती से पेश आता है जिससे अनुयायी असुरक्षित, नेता की सत्ता से भयभीत और किसी प्रकार की सूचना से अवगत न रहने वाले होते हैं। कठोर नेता नकारात्मक प्रभावों पर विश्वास रखता है और आदेशों का पूर्णत: व अक्षरशः पालन चाहता है। (ii) उदार निरंकुश शैली (Benevolent Autocratic Style)-इसमें नेता का अभिप्रेरणात्मक स्वरूप धनात्मक होता है जो उच्च उत्पादकता प्राप्त करने के लिए मध्यम निरंकुशता को अपनाता है। वह कर्मचारियों के हितैषी के रूप में सत्ता का प्रयोग करके उन्हें विभिन्न प्रकार के पारितोषण प्रदान करता है। (iii) चालाक निरंकश शैली (Manipulative Autocratic Style)-इसमें नेता अपने अनुयायियों को यह महसस कराने में सफल होता है कि वे निर्णयन प्रक्रिया में हिस्सा ले रहे हैं, जबकि वह निर्णय पहले से ही लिए रहता है। वह अपने स्वार्थ में सब काम करता है और अनुयायियों को दबा करके रखता है। वास्तव में, नेता अपने चालाकीपूर्ण व्यवहार से अधीनस्थ को वस्तुस्थिति जानने ही नहीं देता है।

गुण दोष दोषनिरंकुश शैली अनेक बार खासतौर से आपातकालीन दशाओं में सफल भी हुई है क्योंकि वह प्रबन्धकों को प्रभावी रूप से अभिप्रेरित करती है। यह शीघ्र निर्णयन की अनुमति करती है. क्योंकि एक ही व्यक्ति सम्पूर्ण समूह के बारे में निर्णय करता है। जब अधीनस्थ पहलपन में अनिच्छुक, कम योग्य और दायित्व से बचने वाले हों तो निरंकुश शैली सफल रहती है। फिर भी निम्न कारणों से निरंकुश शैली सफल नहीं हो पाती है

(i) इससे कर्मचारियों में असन्तोष, निम्न मनोबल, निराशा, संघर्ष और अकुशलता आती है। (ii) इससे प्रजातान्त्रिक मूल्यों का हनन होता है। (iii) इससे संगठन एक ही व्यक्ति पर अधिकाधिक निर्भर होता है अत: भावी नेतृत्त्व का विकास नहीं हो पाता है।

( ब ) जनतन्त्रात्मक शैली ( Democratic Style )-नेतृत्व की इस अति आधुनिक और सर्वमान्य शैली को कर्मचारी उन्मुख व केन्द्रित शैली, परामर्शात्मक शैली व सहभागिता शैली की भी। संज्ञा प्रदान की गई है। एक सहभागिता पसन्द जनतन्त्रात्मक शैली वाला नेता निर्णयन प्रक्रिया को। विकेन्द्रित रखता है। वह अकेले निर्णय लेने की अपेक्षा अपने अनयायियों व अधीनस्थों के परामर्श व सझावों पर जोर देता है। नेतृत्व की यह शैली अधिकारों के प्रतिनिधायन पर आधारित है और इसमें नेता को अधिकार सत्ता से स्नेह नहीं होता है। वह अधिकाधिक व्यक्तियों को अधिकारों का प्रतिनिधायन करने में विश्वास रखता है। यह ‘प्रबन्ध में श्रमिक सहभागिता’ (Workers’ Participation in Management) की धारणा है जो औद्योगिक प्रजातन्त्र की स्थापना की एक पूर्व आवश्यकता होती है। इसमें प्रगतिशील प्रबन्धक कर्मचारियों की आवश्यकताओं, इच्छाओं और भावनाओं को महत्व प्रदान करते हुए उनके व्यवहार को सन्तोषजनक तथा सकारात्मक रूप से प्रभावित करते हुए नेतृत्व करता है। कर्मचारी समूह अधिकाधिक दायित्व बोध करते हुए कार्य, कार्य दशाओं व कार्य परिस्थितियों में अपेक्षित परिवर्तन को सहर्ष स्वीकार करते हैं।

विशेषताएँ –(i) इसमें निर्णयन-प्रक्रिया में अधीनस्थों को सहभागिता प्रदान की जाती है। (ii) इसमें मानवीय मूल्यों को मान्यता दी जाती है। (iii) इसमें द्विमार्गीय सन्देशवाहन होने के कारण नेता और अनुयायियों में विचारों का आदान व प्रदान होता रहता है। (iv) इसमें नेतृत्व का ‘हम’ (We) स्वरूप होता है। (v) इसमें अनुयायियों के पहलपन और सृजनात्मकता को प्रोत्साहन दिया जाता है।

गुण – दोष -जनतन्त्रात्मक शैली के प्रमुख लाभ इस प्रकार से हैं-i) इसमें कर्मचारी स्वयं को गौरवान्वित महसूस करते हैं जिससे उनकी सन्तुष्टि, मनोबल, उत्पादकता व सहभागिता बढ़ती है। (ii) इससे संगठन में स्थायित्व उत्पन्न होता है और कर्मचारियों के सोचने के ढंग और नैतिक स्तर में वृद्धि होती है। (iii) यह शिकायतों और परिवेदनाओं की संख्या में कमी लाता है। (iv) यह निर्णयन-प्रक्रिया में सुधार लाता है। (v) यह नेतृत्त्व हेतु अनुयायियों के विकास पर बल देता है। फिर भी यह शैली पूर्णतया दोषमुक्त नहीं है। इसकी निम्नलिखित सीमाएँ होती हैं-(i) यह शैली जटिल व उलझनपूर्ण संगठनों के लिए उपयुक्त नहीं है। (ii) इसमें सभी कर्मचारी समान स्तर से अभिप्रेरित नहीं होने के कारण पूर्ण मनोबल से काम नहीं करते हैं। (iii) कभी-कभी चतुर और तिकड़मी अधिशासी सहभागिता और सर्वानुमति के नाम पर इस शैली का दुरुपयोग करके अपने विचारों, इच्छाओं व पसन्दगियों को कर्मचारियों पर लाद देते हैं।

( स ) निर्बाध शैली ( Laissez-Faire or Free-Rein Style)– नेतृत्व की निर्बाधावादी या स्वतन्त्रतावादी शैली यह है कि नेतृत्व अनुयायियों के कार्यों में न्यूनतम अथवा न के बराबर हस्तक्षेप करता है। नेता समूह का नेतृत्त्व करने के स्थान पर समूह को स्वयं के भरोसे पर छोड़ देता है और शक्तियों का प्रयोग नहीं करता है। अनुयायी स्वयं लक्ष्य निर्धारित करते हैं और अपनी समस्याओं को स्वयं सुलझाते हुए लक्ष्यों की प्राप्ति के लिये प्रयत्न करते हैं। समूह के सदस्य स्वयं ही प्रशिक्षित होते हैं और स्वयं ही अभिप्रेरित होते हैं और नेता तो केवल सम्पर्क कड़ी का कार्य करता है। नेता समूह के सदस्यों को आवश्यक सचनाएँ. साधन और अधिकार प्रदान करता है। निर्बाध शैली वाले नेताओं की यह धारणा होती है कि यदि अनुयायियों को अपनी इच्छानुसार कार्य करने दिया जाए तो वे अत्यधिक परिश्रम और लगन से कार्य करके इच्छित परिणाम प्राप्त करते हैं। नेता अपने अनुयायियों को क्रियाओं का सकारात्मक और नकारात्मक किसी भी रूप में मूल्यॉकन न करके वह मात्र मध्यस्थ और समन्वयक के रूप में कार्य करता है। इसे लगाम-रहित शैली भी कहते हैं।

विशेषताएँ ( Characteristics )-निर्बाध या स्वतन्त्र शैली में निम्नलिखित विशेषताएँ होती

1 इसमें नेता/प्रबन्धक द्वारा न्यूनतम हस्तक्षेप होता है।

2. इसमें निर्णय लेने की पूर्ण स्वतन्त्रता होती है, चाहे वह व्यक्तिगत या सामूहिक हो।

3. नेता प्रबन्धक के सम्पर्क कडी एवं समन्वयकर्ता के रूप में कार्य करते हैं।

4. नेता केवल अनुयायियों को आवश्यक साधन, अधिकार एवं आवश्यकतानुसार मार्गदर्शन देते हैं।

5. यह कर्मचारियों में सामूहिक हितों के प्रति उच्च समर्पण की भावना तथा श्रेष्ठ प्रेरणात्मक वातावरण पर अधिक जोर देती है।

6. इसमें अधिकारों का प्रत्यायोजन किया जाता है।

7. इसमें नेता अनुयायियों के कार्यों का पर्यवेक्षण तथा नियन्त्रण नहीं करता है।

गुण ( Merits)- निर्बाध शैली के निम्नलिखित गुण या लाभ हैं

1 कर्मचारी पूर्ण निष्ठा, परिश्रम एवं लगन से कार्य करते हैं।

2. इस शैली में शीघ्र एवं श्रेष्ठ परिणामों की प्राप्ति होती है, क्योंकि अनुयायी/अधीनस्थ स्वयं लक्ष्य निर्धारित करते हैं, प्रशिक्षित होते हैं एवं अभिप्रेरित भी होते हैं।

3. कर्मचारियों में उत्तरदायित्व की भावना का विकास होता है।

4. उपक्रम तीव्रता से उन्नति करता है, क्योंकि प्रत्येक कर्मचारी की प्रतिभाओं का पूरा-पूरा उपयोग होता है।

5. अधीनस्थों को अपने व्यक्तित्व के विकास का पूर्ण अवसर मिलता है।

6. अधिकारियों को अधीनस्थों से पूर्ण सहयोग प्राप्त होता है।

दोष ( Demerits )-निर्बाध शैली के निम्नलिखित दोष हैं

1 इस शैली का बहुत अधिक उपयोग नहीं किया जाता है, क्योंकि इसमें नेता के योगदान की उपेक्षा की जाती है।

2. इस शैली की स्वतन्त्रताओं का दुरुपयोग हो सकता है, क्योंकि दूसरे के लिए एक उचित वातावरण की आवश्यकता होती है।

3. अनुयायियों /अधीनस्थों के कार्यों में तालमेल बैठाना कठिन होता है।

4. नेता का महत्त्व कम हो जाता है, क्योंकि उसकी भूमिका केवल सम्पर्क कड़ी, मध्यस्थ एवं समन्वयकर्ता के रूप में होती है।

शक्ति शैलियों में सर्वश्रेष्ठ नेतृत्व शैली का चुनाव

( selecting best leadership style among power styles).

प्राय: यह प्रश्न पूछा जाता है कि नेतृत्व की शक्ति शैली (Power Style) के तीनों रूपों में से एक नेता को कौन-सी शैली (Style) अपनानी चाहिए, यह काफी सीमा तक नेता की इच्छा तथा परिस्थितियों पर निर्भर करता है। वर्तमान प्रजातन्त्रीय युग में नेता को जनतन्त्रात्मक शैली को अपनाना चाहिए। इस स्वरूप को अपनाने से सौहार्दपूर्ण सम्बन्धों का निर्माण किया जा सकता है, औद्योगिक प्रजातन्त्र को बढ़ावा दिया जा सकता है एवं अनुयायियों की कार्यक्षमता, उत्पादकता एवं मनोबल में वृद्धि की जा सकती है।

(III) पर्यवेक्षकीय शैली ( Supervisory Style) नेतत्व की तीसरी शैली पर्यवेक्षकीय शैली है। नेतृत्त्व की इस शैली में प्रबन्धक किसी उद्देश्य विशेष को ध्यान में रखते हुए नेतृत्त्व करता है। इस प्रकार के नेतृत्त्व में नेता या तो कर्मचारियों को अधिक महत्त्व प्रदान करते हुए नेतृत्त्व करता है अथवा उत्पादन को अधिक महत्त्व प्रदान करते हुए नेतृत्त्व करता है। संक्षेप में, पर्यवेक्षकीय शैली को निम्नलिखित दो भागों में बाँटा जा सकता है

( अ ) कर्मचारी अभिमुखी शैली ( Employee Oriented Supervisory Style)-इस शैली के अन्तर्गत नेता/प्रबन्धक अपने अनुयायियों अथवा अधीनस्थों को अधिक महत्त्व प्रदान करता है। उनके साथ वह मानवीय व्यवहार करता है, उनकी आवश्यकताओं को मान्यता देने के साथ-साथ उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा का भी ध्यान रखता है। वह कर्मचारियों की समस्याओं का भली प्रकार अध्ययन करके उनके समाधान में योगदान देता है। समूह के सभी सदस्यों में वह ‘टीम भावना’ भरता है एवं एकजुट होकर कार्य करने की अभिप्रेरणा पैदा करता है।

( ब ) उत्पादन अभिमुखी शैली ( Production Oriented Style)-नेतृत्व की इस शैली में काम तथा उत्पादन को अधिक महत्त्व दिया जाता है। उत्पादन बढ़ाने की दृष्टि से सभी आवश्यक कार्य किये जाते हैं। यद्यपि इस शैली में कर्मचारियों को कुछ सुविधाएँ भी दी जाती हैं, लेकिन उनका उद्देश्य उत्पादकता एवं उत्पादन बढ़ाना ही होता है। संक्षेप में, इस शैली के अन्तर्गत नेता यह विश्वास और धारणा लेकर नीति निर्धारित करता है कि उत्पादन की उन्नत विधियाँ अपनाने से, कर्मचारियों को निरन्तर कार्यरत रखने से और उन्हें कार्य करते रहने के निमित्त प्रेरित करने से उत्पादन उद्देश्य की पूर्ति हो सकती है। इस प्रकार नेतृत्व की यह शैली केवल उत्पादन-अभिमुखी ही है, कर्मचारियों के मानवीय दृष्टिकोण पर इसमें कोई ध्यान नहीं दिया जाता। उपक्रम के दृष्टिकोण से तो उत्पादन-प्रधान नेतृत्त्व अच्छा होता है, परन्तु कर्मचारियों के दृष्टिकोण से यह बात सही नहीं है।

नेतृत्व की विचारधाराएँ , सिद्धान्त अथवा उपागम

Theories, principles or approaches of leadership).

विभिन्न विद्वानों ने नेतृत्व के सम्बन्ध में अलग-अलग विचारधाराओं का विकास किया है। कुछ विद्वानों के अनुसार, “नेता पैदा होते हैं, बनाए नहीं जाते हैं।” जबकि आधुनिक विद्वानों का कहना है कि नेता जन्म भी लेते हैं और तैयार भी किये जाते हैं। नेतृत्व की प्रमुख विचारधाराएँ अग्रलिखित हैं

1 महान् व्यक्ति विचारधारा ( The Greatman Theory) -यह विचारधारा इस दाष्टकाण पर आधारित है कि. “नेता. नेता ही होता है. प्रत्येक व्यक्ति नेता नहीं बन सकता, क्वानता ता पैदा होते हैं. बनाये नहीं जाते हैं।” नेताओं में वंशानुगत रूप से जन्मजात से एक महान नेता अपने यग के रचयिता होते हैं न कि वह युग उनका रचयिता होता है। जैसे-महात्मा गाँधी, माओ. अब्राहम लिंकन एवं सिकन्दर आदि।

इस विचारधारा के समर्थकों का कहना है कि नेतृत्व एक कला है, जिसे शिक्षा-प्रशिक्षण द्वारा प्राप्त नहीं किया जा सकता है और व्यक्तियों में जन्मजात कुशलता, महानता, कल्पना शक्ति, निर्णय शक्ति, पहलपन एवं दूरदर्शिता मिलती है जो वंशानुगत (Hereditary) चलती है। संक्षेप में, इस विचारधारा के मुख्य लक्षण निम्नलिखित हैं

(i) कुछ लोगों को महान् नेता बनने का दैवी वरदान मिलता है। ऐसे नेता मानवता के लिए दैवीय उपहार हैं, क्योंकि इन नेताओं में दिव्य गुण एवं विशिष्टता होती है।

(ii) प्रत्येक व्यक्ति में नेता बनने एवं महानता अर्जित करने की आकांक्षा नहीं होती है।

(iii) नेता बनने, अपने अनुयायियों को प्रभावित करने एवं सफलता पाने के लिए जन्मजात, नेतृत्व-कौशल आवश्यक एवं पर्याप्त होते हैं।

(iv) नेतृत्व एवं प्रभावशीलता स्वतन्त्र चर होते हैं। परिस्थिति जन्य घटकों; जैसे—अनुयायी की प्रकृति एवं आवश्यकता, कार्य की माँग तथा सामाजिक-आर्थिक वातावरण का इन पर सामान्यतया कोई प्रभाव नहीं पड़ता।

(v) यह विचारधारा इस बात को अमान्य बताती है कि किसी व्यक्ति को नेतृत्त्व करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है। अत: नेतृत्व गुणों को शिक्षण-प्रशिक्षण द्वारा विकसित नहीं किया जा सकता है।

नेतृत्व की महान् व्यक्ति विचारधारा की प्रमुख आलोचनाएँ (Criticisms) निम्नलिखित हैं

(i) नेतृत्व की यह विचारधारा बहुत पुरानी है, क्योंकि नेतृत्व जन्मजात प्रतिभा नहीं है, अपितु यह एक अर्जित प्रतिभा है।

(ii) इसमें वैज्ञानिक विवेचना का अभाव है।

( iii) यह विचारधारा काल्पनिक अधिक एवं वास्तविक कम है।

(iv) आधुनिक जटिल एवं परिवर्तनशील व्यवस्था में पैदायशी नेता के खरे उतरने का सन्देह रहता है।

2. गुण – मूलक विचारधारा ( The Trait Theory)- ओर्डवे टीड (Ordway Tead) तथा चेस्टर आई बनार्ड (Chester I. Barnard) इस विचारधारा के प्रमुख प्रवर्तक माने जाते हैं। इन्होंने अनेक नेताओं के गुणों का अध्ययन करके यह निष्कर्ष निकाला कि सफल नेताओं में कुछ विशिष्ट वैयक्तिक गुण पाए जाते हैं तथा जिन व्यक्तियों में ये विशिष्ट गुण होते हैं वे नेतृत्त्व के उच्च शिखर को प्राप्त कर लेते हैं।

विभिन्न शोध परिणामों के अनुसार एक सफल नेता में भिन्न-भिन्न गुण पाए जाते हैं, अनेक शोधकर्ताओं ने एक सफल नेता में पाए जाने वाले गुणों की सूची तैयार की है। इनमें से कुछ गुण ये हैं बद्धिमता, विद्वता, उत्तरदायित्व, सामाजिक भागीदारी, परिपक्वता, शारीरिक शक्ति, प्रशासकीय योग्यता आत्मविश्वास, उत्साह, निर्णयन क्षमता, तर्क शक्ति, सम्प्रेषण योग्यता, आत्मविश्वास आदि।

इस विचारधारा का यह भी मानना है कि उपर्युक्त सभी गुण किसी व्यक्ति में जन्म से होते हैं, इन्हें अर्जित नहीं किया जा सकता। इस प्रकार यह विचारधारा भी यह मानकर चलती है कि “नेता जसलेते हैं.बनाए नहीं जाते।” (Leader are born not made)। नेतृत्व की यह विचारधारा 1950 तक अपना विशेष महत्त्व रखती थी।

समालोचना ( Evaluation )-नेतृत्त्व की गुणमूलक विचारधारा के कुछ लाभ निम्नानसार

(i) यह विचारधारा सरल एवं समझने योग्य है।

( ii) यह सभी व्यक्तिगत गुणों को महत्त्व देती है।।

(iii) इन गुणों के आधार पर अच्छे नेता (प्रबन्धक) का चनाव आसानी से किया जा सकता है।

आलोचनाएँ ( Criticisms)– नेतृत्व की गुण-मूलक विचारधारा की प्रमुख आलोचनाएँ निम्नलिखित हैं

(i) यह विचारधारा व्यक्ति के शील गुणों पर ही अधिक ध्यान देती है, परिस्थित्यात्मक घटकों (Situational Factors) की ओर कोई ध्यान नहीं देती।

(ii) यह विचारधारा यह भी स्पष्ट नहीं करती कि नेता के अनेक गणों में से कौन-से गुण अधिक महत्त्व के हैं और कौन-से कम महत्त्व के। ।

(iii) यह विचारधारा एक नेता में जो गुण होने चाहिएँ उन सभी को जन्मजात मानती है, लेकिन यह आवश्यक नहीं है कि ये सभी जन्मजात हों, इनमें से कुछ को अर्जित भी किया जा सकता है।

 (iv) यह विचारधारा नेता के आचरण या व्यवहार को स्पष्ट तो करती है, लेकिन विश्लेषण नहीं करती।

(v) यह विचारधारा यह भी स्पष्ट नहीं करती है कि कौन-से गुण एक व्यक्ति में नेता होने के लिए आवश्यक हैं और कौन-से उसे इस पद को बनाए रखने के लिए आवश्यक हैं।

3. परिस्थितिमूलक विचारधारा ( Situational Theory )-गुण-मूलक विचारधारा के अनुसार, “नेता पैदा होते हैं बनाए नहीं जाते।” परन्तु कुछ विद्वानों का मानना है कि नेतृत्त्व की क्षमता अर्जित की जा सकती है। नेता जन्मजात भी होते हैं एवं परिस्थितियों के अनुसार उनका निर्माण भी किया जा सकता है। इस विचारधारा के समर्थक विद्वानों का मत है कि नेता एवं प्रबन्धक में कुछ गुण; जैसे—भाषण देने की क्षमता, बुद्धिमत्ता, धैर्य, समझ, स्थायित्व एवं सत्यनिष्ठा तो होने चाहिएँ, परन्तु परीक्षा की घड़ियों में वह इन गुणों का किस प्रकार प्रयोग करता है, यह सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण बात है। दूसरे शब्दों में, परिस्थितियाँ ही किसी व्यक्ति को नेता बना देती हैं। इतिहास इसका साक्षी है। अनुकूल परिस्थितियों ने ही 1930 में जर्मनी में हिटलर को, इटली में मुसोलिनी को, अमेरिका (1930) में रूजवेल्ट को, चीन में माओ-त्से-तुंग को नेता बना दिया था। स्पष्ट है कि नेतृत्त्व की सफलता उस परिस्थिति विशेष से प्रभावित होती है, जिसमें नेता कार्य करता है। नेतृत्त्व की ‘महान्-व्यक्ति’ तथा गुणमूलक विचारधारा का मोह-भंग होने के पश्चात् विचारकों ने परिस्थितियों के अध्ययन पर ध्यान केन्द्रित किया। इस सम्बन्ध में एम० स्टॉगडिल (M. Stogdill), शार्टल, आर० जे० हाउस, एस० केर, टेननबॉम, फिडलर, विक्टर तुम, पॉल हर्से तथा ब्लेन्चार्ड आदि विचारकों ने अनेक अध्ययन किये हैं। वस्तुतः इस विचारधारा के अनुसार नेता या नेतृत्त्व की । प्रभावशीलता उन परिस्थितियों पर निर्भर करती है जिनमें नेता कार्य करता है। परिस्थितियाँ भी नेता के व्यवहार एवं शैली को प्रभावित करती हैं। यदि परिस्थितियाँ अनुकूल होती हैं तो उसका नेतृत्त्व प्रभावी हो जाता है, परन्तु प्रतिकूल परिस्थितियों में नेता का मार्गदर्शन व्यर्थ हो जाता है। इस विचारधारा के अनुसार नेता में परिस्थिति के साथ समायोजन करने का गुण होना अत्यन्त आवश्यक है। अत: प्रत्येक नेता को अपने वातावरण की परिस्थितियों के अनुरूप ही नेतृत्त्व शैली या प्रणाली चुननी एवं अपनानी चाहिए तभी वह सफल हो सकता है, अन्यथा नहीं।

ओहियो स्टेट विश्वविद्यालयों के शोध केन्द्र ने नेतृत्त्व को प्रभावित करने वाली परिस्थितियों को निम्न चार भागों में बाँटा है

(i) सांस्कृतिक वातावरण-समाज के विश्वास, मूल्य एवं मान्यताएँ।

(ii) वैयक्तिक भिन्नताएँ–अनुयायियों की अभिरुचियाँ, शारीरिक लक्षण, व्यक्तित्व, प्रेरणाएँ, आयु, शिक्षा, अनुभव आदि।

(iii) कार्य भिन्नताएँ-मानसिक स्तर, दायित्व, भूमिका, प्रशिक्षण आदि ।

( iv) संगठनात्मक भिन्नताएँ-आकार, स्वामित्व, क्रियाएँ, नीतियाँ, लक्ष्य।

संक्षेप में, नेतृत्व के पारिस्थितिक दृष्टिकोण (Situational Approach) की निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं

(i) यह दृष्टिकोण मानता है कि “नेता दी हुई परिस्थितियों की उपज अथवा परिणाम होते

(Leaders are the product of given situations)”

दूसरे शब्दों में, “नेता परिस्थितियों से ही पैदा होता है (Leader emerges out of situations)|”

(ii) नेता , समूह तथा वातावरण के बीच निरन्तर एक अन्तर्व्यवहार चलता रहता है।

(iii) अनुयायी उस व्यक्ति को नेता मानते हैं जिसे वे अपनी आवश्यकताओं की सन्तुष्टि के साधन के रूप में देखते हैं।

(iv) इस दृष्टिकोण की मान्यता है कि नेतत्व की कोई भी शैली या प्रणाली सदैव सभी पारास्थातया में उपयुक्त नहीं होती है। नेतृत्त्व की कोई भी शैली अपने आप में सर्वोत्तम नहीं होती। अतः प्रत्येक नेता को अपने वातावरण के अनुरूप ही नेतृत्त्व शैली का चयन करना चाहिए।

(v) इस दृष्टिकोण में मुख्य बल “दृष्टिगत व्यवहार”(Observed Behaviour) पर होता है, जन्मजात अथवा प्राप्त योग्यता या नेतृत्त्व की अन्त: क्षमता पर नहीं।

(vi) नेतृत्त्व की प्रकृति सदैव पारिस्थितिक होती है।

(vii) यह दृष्टिकोण बतलाता है कि प्रत्येक प्रबन्धक को बदलती हुई परिस्थितियों के अनुरूप अपनी नेतृत्त्व शैलियों का समायोजन करना आना चाहिए। इस प्रकार शिक्षा, प्रशिक्षण एवं विकास के द्वारा व्यक्ति अपनी नेतृत्त्व भूमिका को प्रभावी बना सकता है।

(viii ) भिन्न-भिन्न परिस्थितियाँ भिन्न-भिन्न नेतृत्व योग्यता एवं व्यवहार की माँग करती हैं।

समालोचना ( Critical Analysis)-नेतृत्व की यह विचारधारा अत्यन्त यथार्थपूर्ण मानी गई है। इस विचारधारा के कुछ सकारात्मक पहलू या कुछ गुण निम्नानुसार हैं

(i) यह विचारधारा वास्तविक धरातल पर आधारित है।

(ii) यह विचारधारा परिस्थितियों का विश्लेषण करते हुए उचित नेतृत्त्व शैली को अपनाने का सुझाव देती है। अत: यह विचारधारा एक नेता का उचित मार्गदर्शन करती है।

(iii) यह विचारधारा नेता के गुणों का मूल्यांकन करने का आधार प्रस्तुत करती है। (iv) यह विचारधारा परिस्थिति को अपनी समग्रता (In its entirety) में देखने पर जोर देती

(v) यह विचारधारा अभिप्रेरण की प्रणाली के साथ जुड़ी है। परन्तु इस विचारधारा की कुछ कमियाँ भी हैं जो निम्नानुसार हैं

(i) यह विचारधारा इस बात को स्पष्ट नहीं करती है कि जो नेता एक परिस्थिति में योग्य है, वह दूसरी परिस्थिति में योग्य होगा अथवा नहीं।

( ii) यह विचारधारा परिस्थितियों को महत्त्वपूर्ण मानती है। परिस्थितियों के आधार पर नेता की सफलता एवं असफलता को निर्धारित किया जाता है। अतः नेता की व्यक्तिगत योग्यताओं का महत्त्व गौण हो जाता है।

(iii) यह विचारधारा प्रभावशाली नेता बनाने या विकसित करने की प्रक्रिया नहीं बताती है। अत: नेतृत्त्व विकास में इसका कोई योगदान नहीं मिलता।

परिस्थितिमूलक विचारधारा पर आधारित कुछ महत्त्वपूर्ण विचारधाराएँ

( अ ) टेनेनबॉम तथा शमिट की नेतृत्व विचारधारा

(tannenbaum and schmidt’s leadership theory).

रॉबर्ट टेनेनबॉम तथा वारेन एच० शमिट (Robert Tannenbaum and Warren H. Schmidt) ने 1958 में पारिस्थितिगत नेतृत्व सांतत्यक या पैमाना (Situational leadership continuum) विकसित किया। तत्पश्चात् सन् 1973 में उन्होंने इसमें कुछ संशोधन किया। उन्होंने इस पैमाने पर विभिन्न प्रकार के नेतृत्व व्यवहार एवं नेतृत्त्व शैलियों को स्पष्ट करने का प्रयास किया। नेतत्व सांतत्यक की अवधारणा नेतृत्व व्यवहार की अधिक उचित व्यवस्था करती है।

टेनेनबॉम तथा शमिट ने नेतृत्व सातत्यक या पैमाने (Leadership continuum) के दो चरम छोरों (Extreme ends) पर नेतृत्त्व की दो परस्पर विपरीत शैलियों को दर्शाया है। एकदम बायीं ओर के छोर पर अत्यन्त अधिकारी-केन्द्रित नेतृत्व (Highly boss-centred leadership) शैली को दर्शाया है। इसे प्रबन्धक-सत्ता प्रभाव क्षेत्र माना गया है । इसके एकदम दायीं ओर के छोर पर।

अत्यन्त अधीनस्थ – केन्द्रित नेतत्व ( Highly subordinate -centred leadership) 9 इसे गैर-प्रबन्धक सत्ता क्षेत्र माना गया है। इन दोनों छोरों के बीच नेतृत्त्व की अन्य अनेक शालया कल्पना की गई है तथा पाँच अन्य शैलियों को स्पष्ट रूप से दर्शाया गया है।

सातत्यक या पैमाने के एकदम बायीं ओर के छोर पर अत्यन्त अधिकारी-केन्द्रित नेतृत्व शैली को दर्शाने का आशय यह है कि ऐसा नेता या नायक सभी अधिकार अपने ही हाथ में केन्द्रित रखता है। ऐसा नेता निरंकुश या तानाशाह प्रवृत्ति का होता है। ऐसा नेता अपने अधीनस्थों पर सत्ता का अत्यधिक प्रयोग करता है और अधीनस्थों को कोई अधिकार नहीं देता है।

सांतत्यक या पैमाने के एकदम दायीं ओर के छोर पर अत्यन्त अधीनस्थ-केन्द्रित नेतृत्व शैली को दर्शाने से आशय है कि ऐसा नेता प्रजातान्त्रिक मूल्यों पर पूर्णत: विश्वास करता है। ऐसा नेता या नायक अपने अधीनस्थों को सत्ता का पूर्ण विकेन्द्रीकरण कर शासन करता है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि इस पैमाने के दोनों ही चरम छोरों (Extreme ends) पर दो विपरीत प्रकार की चरम नेतृत्त्व शैलियों को दर्शाया गया है। ज्यों-ज्यों इस पैमाने के बायें छोर से दायें छोर की ओर बढ़ते हैं तो अधीनस्थों की स्वतन्त्रता बढ़ती जाती है तथा नेता की अधिकार सत्ता घटती जाती है। इसके विपरीत, यदि दायें छोर से बायें छोर की तरफ बढ़ते हैं तो अधीनस्थों की स्वतन्त्रता घटती हुई दिखाई देती है तथा नेता की अधिकार-सत्ता बढ़ती हुई दिखाई पड़ती है। इन दोनों ही चरम छोरों के बीच (अधिकार सत्ता के बढ़ने-घटने के कारण ही) अन्य अनेक नेतृत्त्व शैलियों की कल्पना की गई है तथा अन्य पाँच नेतृत्त्व शैलियों का स्पष्ट उल्लेख भी किया है। इस प्रकार इस सांतत्यक या पैमाने पर कुल सात नेतृत्त्व शैलियों एवं उनमें नेता के व्यवहार को दर्शाया गया है जिनका संक्षिप्त विवरण (बायीं ओर से दायीं ओर जाने की स्थिति में) निम्नानुसार है

(i) प्रबन्धक निर्णय लेता है तथा घोषणा करता है—एकदम बायीं ओर के चरम छोर की स्थिति में नेता स्वयं निर्णय लेता है तथा अधीनस्थों को उन निर्णयों से सूचित करता है। अधीनस्थ उन सभी निर्णयों को यथावत् क्रियान्वित करने हेतु बाध्य होते हैं, क्योंकि नेता पूर्णत: निरंकुश एवं तानाशाह है।

(ii) प्रबन्धक निर्णयों को स्वीकार करवाता है—नेतृत्त्व की दूसरी स्थिति में नेता (प्रबन्धक) स्वयं निर्णय लेता है तथा अधीनस्थों से उन निर्णयों को स्वीकार करवाता है या उन्हें स्वीकार करने हेतु बाध्य करता है।

(iii) प्रबन्धक विचार प्रस्तुत करता है तथा प्रश्न आमन्त्रित करता है-इस प्रकार की नेतत्त्व शैली में नेता (प्रबन्धक) निर्णय कर लेते हैं तथा वे उनके सम्बन्ध में अधीनस्थों से प्रश्न आमन्त्रित करते हैं। दूसरे शब्दों में नेता निर्णय लेने के बाद अधीनस्थों से प्रश्न या सन्देह आमन्त्रित करता है। नेता उन प्रश्नों या सन्देह का समुचित उत्तर या समाधान देता है और अधीनस्थों को उन निर्णयों को क्रियान्वित करना होता है।

(iv) प्रबन्धक संशोधन – योग्य अन्तरिम निर्णय ( tentative decisions) प्रस्तुत करता है-इस स्थिति में नेता (प्रबन्धक) कोई निर्णय इस सोच के साथ ले लेता है कि आवश्यकता पड़ने पर उसमें संशोधन कर लिया जायेगा। ऐसे नेता अधीनस्थों के समक्ष अपना निर्णय प्रस्तुत करते हैं। तथा अधीनस्थों से उस पर उनके विचार आमन्त्रित करता है। तत्पश्चात् उन विचारों को ध्यान में रखकर नेता उस निर्णय की समीक्षा करता है तथा आवश्यकता हो तो उसमें आवश्यक संशोधन कर लेता है। .

( v) प्रबन्धक समस्याएँ रखता है , अधीनस्थों से सुझाव माँगता है तथा निर्णय लेता ‘ है-बायें छोर से दायें छोर की ओर बढ़ते समय नेतृत्त्व की शैली ऐसी दिखायी है जिसमें नेता

(प्रबन्धक) अपनी समस्याएँ अधीनस्थों के समक्ष रखकर उनसे उसके समाधान हेतु सुझाव माँगता है। तत्पश्चात् वह नेता उन सुझावों को ध्यान में रखकर स्वयं उचित निर्णय कर लेता है।

(vi) प्रबन्धक द्वारा निर्णय की सीमाएँ निर्धारित की जाती हैं तथा अधीनस्थ निर्णय लेते है-इस प्रकार की नेतृत्त्व शैली में नेता (प्रबन्धक) निर्णय की सीमाएँ (नीतियाँ, नियम बजट आदि) ‘अधीनस्थों को स्पष्ट कर देते हैं तथा अधीनस्थों को निर्णय करने हेतु कहा जाता है। तब अधीनस्थ उन सीमाओं के भीतर स्वयं निर्णय करते हैं। इस प्रकार इस शैली के नेतृत्व में प्रजातान्त्रिक मूल्यों की छाप दिखने लगती है।

(vii) प्रबन्धक एवं अधीनस्थ संयुक्त रूप से निर्णय करते हैं-सांतत्यक के एकदम चरम दायो सीमा तक पहुँचने पर एक ऐसी नेतत्व शैली प्रकट होती है जिसमें नेता (प्रबन्धक) द्वारा निर्धारित सीमा के भीतर नेता एवं अधीनस्थ दोनों मिलकर संयुक्त रूप से निर्णय करते हैं।

इस प्रकार टेनेनबॉम तथा शमिट ने नेतत्त्व की इन सात शैलियों की स्पष्ट कल्पना की और उन्हें सांतत्यक पर दर्शाया. किन्त उन्होंने कभी भी यह नहीं सझाया कि इनमें से कौन-सी नेतृत्त्व शैली अपनानी चाहिए। इसके विपरीत. उन्होंने यही कहा कि नेतृत्व की कोई भी शैली सदैव अच्छी या बुरी नहीं होती है। नेतत्त्व की कौन-सी शैली अच्छी या बुरी है, यह उस समय की परिस्थितियाँ ही निर्धारित करती हैं। अत: उनका सझाव है कि नेतत्त्व शैली का चयन किसी समय विशेष पर विद्यमान परिस्थितियों एवं शक्तियों (Situations and forces) को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए। उनके अनुसार सामान्यत: निम्नांकित परिस्थितियों या शक्तियों के प्रभाव को ध्यान में रखकर किसी विशिष्ट नेतृत्व शैली का चयन करना चाहिए

1 नेता के व्यक्तित्व में व्याप्त शक्तियाँ-नेता को अपने व्यक्तित्व में व्याप्त या कार्यरत शक्तियों (Forces) को ध्यान में रखकर नेतृत्व शैली का चयन करना चाहिए। उदाहरणार्थ : नेता की शिक्षा, ज्ञान, अनुभव, नैतिक मूल्य, अधीनस्थों पर भरोसा करने की आदत आदि नेता में व्याप्त शक्तियाँ हैं। नेता को अपनी इन शक्तियों को ध्यान में रखकर नेतृत्व शैली का चयन करना चाहिए।

2. अधीनस्थों में व्याप्त शक्तियाँ अधीनस्थों में भी कुछ शक्तियाँ व्याप्त होती हैं; जैसे—उनकी पृष्ठभूमि, शिक्षा, अनुभव, नैतिक-सामाजिक मूल्य, उत्तरदायित्व स्वीकार करने की इच्छा आदि। नेता का इन्हें भी ध्यान में रखकर नेतृत्त्व शैली का चयन करना चाहिए।

3. परिस्थिति में व्याप्त शक्तियाँ-किसी समय विशेष की परिस्थिति में भी कुछ शक्तियाँ व्याप्त होती हैं एवं सक्रिय रहती हैं। उदाहरणार्थ, संस्था का आकार एवं जटिलता; संस्था के लक्ष्य एवं उसकी संगठन संरचना संस्था के सामाजिक-नैतिक मूल्य; संस्था की परम्पराएँ; संस्था के कार्य की प्रकृति एवं उसमें प्रयुक्त प्रौद्योगिकी आदि। इन सबको भी नेतत्व शैली के चयन में ध्यान रखना चाहिए।

4. संगठनात्मक एवं सामाजिकीय वातावरण की शक्तियाँ टेनेनबॉम तथा शमिट ने। सन् 1973 में जब अपने नेतृत्व सांतत्यक या पैमाने का संशोधन किया तो उन्होंने सर्वाधिक महत्त्व संगठनात्मक वातावरण एवं सामाजिकीय वातावरण को दिया। उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि ये दोनों वातावरण भी नेतृत्व की शैली को गम्भीर रूप से प्रभावित करते हैं। इन वातावरण के घटकों में इन्होंने उपभोक्ता आन्दोलन, श्रम आन्दोलन आदि को सम्मिलित किया और स्वीकार किया। कि ये नेतृत्त्व की शैली को गम्भीर रूप से प्रभावित करते हैं। ये वातावरण की सभी शक्तिया। नेता/प्रबन्धकों के अधिकारों को चुनौती देते हैं तथा उन्हें सही प्रकार से निर्णय करने तथा अधीनस्थों के साथ सही ढंग से व्यवहार करने हेतु बाध्य करते हैं। ।

इस प्रकार स्पष्ट है कि टेनेनबॉम तथा शमिट ने किसी नेतृत्व शैली को अपनाने का सुझाव नहीं दिया, बल्कि परिस्थितियों के अनुसार उपयुक्त नेतृत्व शैली अपनाने पर बल दिया।

( ब ) फीडलर की आकस्मिकता विचारधारा ( Contingency Theory)-नेतृत्व की परिस्थिति मूलक विचारधारा से यह निष्कर्ष निकलता है कि नेतृत्व की कोई भी शैली (Style) सभी परिस्थितियों में सफल नहीं हो सकती। इस दृष्टिकोण के आधार पर वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर फीडलर (Feidler) ने आकस्मिकता की विचारधारा का सुझाव दिया। फीडलर के अनुसार नेतृत्व की प्रभावशीलता न केवल नेता के व्यक्तिगत गुणों पर निर्भर करती है, बल्कि संगठन में नेतृत्व के बने वातावरण पर भी बहुत कुछ निर्भर करती है। समुदाय की कार्य सफलता नेतृत्त्व शैली और नेता के लिए सामूहिक परिस्थिति के अनुकूल स्थिति के उचित मिलान पर निर्भर करती है। दूसरे शब्दों में नेतृत्व एक प्रक्रिया है जिसमें नेता के प्रभाव का प्रयोग करने की योग्यता, सामूहिक कार्यगत परिस्थितियों में निर्भर होता है तथा नेता की अपनी शैली, व्यक्तिगत और दृष्टि समूह को क्रियाशील रखती है। इस दृष्टि से हमें नेता की शैली और विभिन्न स्थिति की जानकारी होनी चाहिए।

फीडलर ने नेतृत्व की शैलियों को दो वर्गों में बाँटा है-उत्पादन-प्रेरित शैली तथा मानवीय सम्बन्ध प्रेरित शैली। उत्पादन प्रेरित शैली के अन्तर्गत अधीनस्थों के काम का संरक्षण व निर्देशन इस प्रकार से किया जाता है जिससे कार्य तथा उत्पादन को अधिक महत्त्व मिलता है, जबकि मानवीय सम्बन्ध प्रेरित शैली में मानवीय व्यवहार पर अधिक ध्यान दिया जाता है। प्रबन्धक कर्मचारियों को अभिप्रेरित करता है तथा उनका सहयोग और विश्वास प्राप्त करता है।

फीडलर ने नेतृत्व की परिस्थितियों को प्रभावित करने वाले निम्न तीन तत्त्व बताए हैं

1 पद की शक्ति ( Position Power )-पद की शक्ति नेता को उस पद पर आसीन होने के कारण संगठनात्मक अधिकार के अन्तर्गत प्राप्त होती है। इस शक्ति के आधार पर एक नेता अपने अनुयायियों को निश्चित निर्देशों के अनुसार कार्य करने के लिए विवश एवं बाध्य कर सकता है।

2. कार्य संरचना ( Task Structure )-फीडलर के अनुसार कार्य संरचना सुनिश्चित अथवा अनिश्चित हो सकती है। सुनिश्चित कार्य संरचना में कार्य का वर्गीकरण व विभाजन स्पष्ट तथा आसानी से होता है, जबकि अनिश्चित कार्य संरचना में कार्य का वर्गीकरण स्पष्ट नहीं होता, जिसके कारण किसी निश्चित व्यक्ति को उत्तरदायी नहीं ठहराया जा सकता है।

5. नेता – सदस्य सम्बन्ध ( Leader-member Relations)-नेता-सदस्य सम्बन्ध का आशय यह है कि नेता को अनुयायियों द्वारा किस सीमा तक स्वीकार किया जाता है तथा वे नेता के प्रति कितनी निष्ठा रखते हैं। यह तत्त्व परिस्थिति को प्रभावित करता है और कार्यशैली पर भी इसका प्रभाव पड़ता है।

एक नेता के लिए परिस्थिति तब अनुकूल होती है जब ये तीनों घटक उच्च सीमा में होते हैं अर्थात् जब नेता व अनुयायियों के सम्बन्ध अच्छे होते हैं, कार्य-संरचना पूर्णत: परिभाषित होती है तथा जब नेता की पद सत्ता सुदृढ़ होती है। इसके विपरीत जब ये तीनों घटक निम्न (Low) होते हैं तो नेता के लिए परिस्थिति अनुकूल नहीं होती है।

संक्षेप में , यह विचारधारा इस मान्यता पर आधारित है कि सफल नेतृत्त्व तीन घटकों-नेता, स्थिति तथा अनुयायी के सुमेल (Match) पर निर्भर करता है। फीडलर के अनुसार कोई प्रबन्धक इस सुमेल को निम्न प्रकार बना सकता है

अपनी नेतृत्व शैली को समझ कर, GD परिस्थिति का विश्लेषण करके, तथा dil) अपनी नेतृत्त्व शैली को परिस्थिति के अनुरूप ढाल कर

(अ) अपनी शैली को परिस्थिति में जोड़कर; अथवा

(ब) परिस्थिति में अपनी शैली के अनरूप परिवर्तन करके।

5. अनुयायी विचारधारा ( The Follower Theory) नेतृत्त्व की अनुयायी विचारधारा के प्रतिपादक एफ० एच० सेन्सफोर्ड हैं। आपने नेतत्त्व की गुण-मूलक एवं परिस्थिति मूलक विचारधाराआ क दोषों को दर करने हेत इस विचारधारा का विकास किया। इनका मान्यता हाक नेता के लिए अनुयायियों का होना आवश्यक है और अनुयायियों के बिना इनका अस्तित्व भी नहीं होता है। जो व्यक्ति अनुयायियों की आवश्यकताओं (जीवन-निर्वाह, सुरक्षात्मक, सामाजिक, अहकारी एवं आत्मविश्वास आदि) की पूर्ति में सर्वाधिक रुचि लेता है, उनको सहयोग करता है, अनुयायी उसी व्यक्ति को अपना नेता मान लेते हैं, लेकिन नेतृत्त्व की यह विचारधारा व्यावसायिक प्रबन्ध के क्षेत्र में लागू नहीं हो सकती, क्योंकि व्यावसायिक उपक्रमों के अन्तर्गत प्रबन्धक के रूप में नेता तो चुनकर आता है। हाँ, यह बात जरूर है कि बाद में वह अपने व्यवहार से कर्मचारियों का अधिकारी ही न बना रहकर उनका सच्चा नेता एवं हितैषी भी बन जाता है। ___संक्षेप में, किसी नेता की नेतृत्त्व क्षमता के मूल्यांकन का आधार उसके अनुयायियों के आचरण का अध्ययन एवं विश्लेषण होना चाहिए तभी वह उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में सफल होगा।

6. पथ – लक्ष्य नेतृत्व विचारधारा ( Path-Goal Leadership Theory )-इस नेतृत्त्व विचारधारा का विकास रॉबर्ट हाउस तथा मिचेल (Roburt House and Mitchell) ने किया है।

पथ-लक्ष्य नेतृत्व विचारधारा का सार यह है कि यह नेता का कार्य होता है कि वह अपने अनुयायियों की उनके लक्ष्यों की प्राप्ति में सहायता करे तथा यह सुनिश्चित करने में आवश्यक निर्देशन एवं समर्थन दे कि उनके लक्ष्य संगठन के समग्र उद्देश्यों के अनुरूप ही हैं। वस्तुतः यह विचारधारा बताती है कि प्रभावशाली नेता अपने अनुयायियों को अपने लक्ष्य सहायक होते हैं तथा उनके मार्ग में आने वाली कठिनाइयों व अवरोधों को दूर करते हैं। यह विचारधारा अधीनस्थों के अभिप्रेरण, सन्तुष्टि एवं निष्पादन पर नेता व्यवहार के प्रभाव को स्पष्ट करती है।

इस विचारधारा के अनुसार एक नेता का व्यवहार उसके अधीनस्थों को उसी सीमा तक स्वीकार्य होता है जहाँ तक वे उस व्यवहार को अपनी सन्तुष्टि के तत्काल स्रोत अथवा भावी सन्तुष्टि के एक साधन के रूप में देखते हैं। दूसरे शब्दों में, एक नेता का व्यवहार उसी सीमा तक अभिप्रेरणात्मक (Motivational) होता है

( अ ) जहाँ तक यह अधीनस्थों की आवश्यकता सन्तुष्टि को प्रभावी निष्पादन पर अवलम्बित (Contingent) करता है, तथा

( ब ) जहाँ तक यह प्रभावी निष्पादन के लिए आवश्यक शिक्षण, निर्देशन, सहायता एवं पुरस्कार प्रदान करता है।

इस सम्बन्ध में रॉबर्ट हाउस ने निम्नलिखित चार प्रकार के नेतृत्व व्यवहार (शैलियों) का निर्धारण किया था

(i) निर्देशात्मक नेतृत्व (Directive Leadership)—इसमें नेता कर्मचारियों को बताता है कि उन्हें क्या कार्य करना है, उनके कार्य का समय, दंग, विशिष्ट निर्देश, अपेक्षित परिणाम आदि का निर्धारण करता है। इसमें अधीनस्थों को कोई सहभागिता नहीं दी जाती है।

(ii) समर्थनकारी नेतृत्व ( Supportive Leadership)-इस नेतृत्त्व व्यवहार में नेता मित्रवत, मिलनसार एवं पहुँच-योग्य (Approachable) होता है तथा मानवीय सम्बन्धों पर ध्यान देता है।

( iii) सहभागी नेतृत्व ( Participative Leadership)-इसमें नेता अधीनस्थों से सुझाव माँगता है तथा उनका उपयोग करता है, किन्तु फिर भी वह निर्णय स्वयं ही लेता है।

 (iv) उपलब्धि – अभिमती नेतत्व ( Achievement -Oriented Leadership) अधीनस्थों के लिए चुनौतीपूर्ण लक्ष्य निर्धारित करता है तथा इनकी प्राप्ति तथा श्रेष्ठ निष्पादन हतु वह अधीनस्थों में पूर्ण विश्वास व्यक्त करता है।

यह विचारधारा बतलाती है कि उपर्यक्त विभिन्न नेतत्व शैलियों को एक ही नेता विभिन्न परिस्थितियों में प्रयोग में ला सकता है। अपनी शैली का चयन करने के पूर्व वह दो पारिस्थितिक घटकों (अ) अधीनस्थों के वैयक्तिक लक्षण, तथा (ब) वातावरणीय दबाव एवं मांगों पर विचार कर सकता है।

उपर्युक्त पारिस्थितिक घटकों के अधीन चार नेतत्व शैलियों में से किसी एक का चयन करके नेता अधीनस्थों के अवबोध को प्रभावित करते हुए उन्हें अभिप्रेरित करता है जो अन्तत: भूमिका स्पष्टता, लक्ष्य प्रत्याशा, सन्तुष्टि एवं निष्पादन को जन्म देता है।

इस प्रक्रिया को नेता निम्न प्रकार पूरा करता है(i) परिणामों के लिए अधीनस्थों की आवश्यकताओं को पहचानना तथा उन्हें जाग्रत करना। (ii) कार्य-लक्ष्य प्राप्ति के लिए अधीनस्थों को सहयोग देना। (iii) शिक्षण एवं निर्देशन के द्वारा लक्ष्यों तक पहुँचने के पथ को सुगम करना। (iv) अपनी प्रत्याशाओं के स्पष्टीकरण में अधीनस्थों की सहायता करना। (v) निराशा पैदा करने वाले अवरोधों को दूर करना। (vi) प्रभावशाली निष्पादन के अधीन वैयक्तिक सन्तुष्टि के अवसरों में वृद्धि करना।

उपर्युक्त कार्यों को करके नेता अधीनस्थों के लक्ष्यों तक पहुँचने के मार्ग को सुगम बनाता है, लेकिन इस पथ-लक्ष्य सुविधाकरण की प्रक्रिया में नेता पारिस्थितिक घटकों को ध्यान में रखते हुए उपयुक्त नेतृत्व शैली का चयन करता है।

7. व्यवहारवादी विचारधारा ( The Behavioural Theory )-नेतृत्व की इस विचारधारा के प्रवर्तक रे० ए० किलियन (Ray A. Killian) हैं। यह विचारधारा इस मान्यता पर आधारित है कि नेतृत्व का अध्ययन, ‘नेता करता है’ के आधार पर किया जाना चाहिए, न कि ‘नेता क्या है’ के आधार पर। अन्य शब्दों में इस विचारधारा का सम्बन्ध नेता के व्यवहार से है न कि व्यक्तिगत गुणों से।

रे० ए० किलियन के अनुसार, “एक नेता मूल रूप से चाहे निर्णय लेने वाला हो, समस्याओं का समाधान करने वाला हो, परामर्शदाता हो, सूचना प्रदान करने वाला हो या नियोजक हो उसे अपने अनुयायियों के समक्ष आदर्श आचरण प्रस्तुत करना चाहिए। आदर्श आचरण अर्थात् अच्छे व्यवहार के अभाव में वह कभी भी सफल नेता नहीं बन सकता। इस प्रकार यह विचारधारा नेता के आचरण या व्यवहार को सबसे अधिक महत्त्व देती है। यदि नेता स्वयं अनुशासन में नहीं रहता और वह अपने अनुयायियों से अनुशासन में रहने की आशा करता है तो उसकी यह आशा व्यर्थ है। उदाहरणार्थ, यदि एक व्यक्ति स्वयं शराबी है और वह अपने अनुयायियों से यह आशा करे कि वे शराब का सेवन न करें तो उसकी यह आशा निराधार होगी।” व्यवहारवादी विचारधारा के अन्तर्गत लिकर्ट तथा ब्लैके एवं मॉटन की नेतृत्व विचारधाराएँ उल्लेखनीय हैं।

8. लिकर्ट की प्रबन्ध प्रणाली ( Management System of Likert )-रैन्सिस लिकर्ट (Renisis Likert) ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर मिशीगन विश्वविद्यालय में तीन दशकों तक नेतृत्व शैलियों पर व्यापक शोध अध्ययन किए। इन शोध अध्ययनों के आधार पर उन्होंने नेतृत्व की चार शैलियों/प्रणालियों का विकास किया। इन चारों शैलियों में नेताओं के व्यवहार के विभिन्न । पहलुओं की जानकारी मिल जाती है। उनके द्वारा विकसित चारों नेतृत्व प्रणालियाँ/शैलियाँ निम्नानुसार।

प्रणाली 1 : शोषणकारी-निरंकुश नेतृत्व। प्रणाली 2 : हितकारी या शुभ चिन्तक निरंकुश नेतृत्व। प्रणाली 3 : परामर्शदायी नेतृत्व। प्रणाली 4 : सहभागी सामूहिक नेतृत्व।

प्रणाली 1 : शोषणकारी – निरंकश नेतृत्व ( System 1 : Exploitative-authoritative Leadership)– लिकर्ट ने नेतृत्व की प्रथम प्रणाली या शैली को शोषणकारी-निरंकुश या अधिनायकवादी नेतृत्व कहकर पुकारा है। ऐसे नेता या नायक अत्यधिक निरंकुश होते हैं। उन्हें अपने अधीनस्थों पर बहुत ही कम भरोसा एवं विश्वास होता है। वे अपने अधीनस्थों से कार्य करवाने हेतु भय एवं दण्ड का सहारा लेते हैं। वे कभी-कभी ही अपने अधीनस्थों की प्रशंसा करते हैं या उन्हें पुरस्कार देते हैं। वे सभी निर्णय स्वयं ही लेते हैं। प्रशासन व्यवस्था में सन्देशवाहन की प्रकृति ऊपर से नीचे की ओर अत्यधिक औपचारिक होती है तथा वे कभी-कभी ही अधीनस्थों की बात सुन लेते हैं। फलतः ऐसे नेताओं/प्रबन्धकों के नेतृत्त्व में उत्पादकता बहुत ही सामान्य स्तर की होती है।

प्रणाली 2: हितकारी या शुभचिन्तक निरंकुश नेतृत्व ( System 2 : Benevolent Autocratic Leadership)- इस प्रणाली में भी प्रबन्धक मुख्यत: निरकुंश ही होता है। प्रबन्धक अपने अधीनस्थों पर केवल उतना ही विश्वास करता है जितना एक मालिक अपने नौकर पर करता है। इस शैली को अपनाने वाले प्रबन्धक सभी निर्णय स्वयं ही करते हैं, किन्तु अधीनस्थों को उन निर्णयों के क्रियान्वयन में थोडी स्वतन्त्रता दी जाती है। ऐसे नेता अपने अधीनस्थों को आवश्यकतानुसार पुरस्कार या दण्ड देकर अथवा भय दिखाकर कार्य करने हेतु अभिप्रेरित करते हैं। ऐसे नेता अपने अधीनस्थों से कभी-कभी कुछ सुझाव भी माँगते हैं तथा उन्हें अपनी बात कहने का अवसर भी देते हैं। ऐसे नेतृत्व के अधीन उत्पादकता सामान्यतः मध्यम प्रकार की ही देखी जाती है।

प्रणाली 3: परामर्शकारी नेतृत्व ( System 3 : Consultative Leadership)- इस प्रकार की नेतृत्व शैली अपनाने वाले नेता/प्रबन्धक अपने अधीनस्थों पर थोड़ा विश्वास एवं भरोसा अवश्य करते हैं, परन्तु पूर्ण विश्वास नहीं करते हैं। ऐसे नेता नीतिगत निर्णय करने से पूर्व अपने अधीनस्थों से परामर्श करते हैं, तत्पश्चात् वे स्वयं ऐसे निर्णय करते हैं, किन्तु दैनिक कार्यों के सम्बन्ध में स्वयं निर्णय करने हेतु स्वतन्त्र होते हैं। नेता समय-समय पर महत्त्वपूर्ण मामलों पर अधीनस्थों से सलाह करते रहते हैं, तथा सुझाव माँगते रहते हैं। इस प्रकार ऐसे नेतृत्त्व के अधीन संचार की द्वि-मार्गी व्यवस्था बन जाती है। ऐसे प्रबन्धक अपने अधीनस्थों को कार्य हेतु अभिप्रेरित करने के लिए पुरस्कार देते हैं किन्तु कभी-कभार दण्ड भी देते हैं या भय दिखाते हैं। ऐसे नेताओं के अधीन उत्पादकता औसत स्तर की होती है।

प्रणाली 4 : सहभागी समूह नेतृत्व ( System 4 : Participative Group Leadership) नेतृत्त्व की इस प्रणाली/शैली को अपनाने वाले प्रबन्धक/नेता अपने अधीनस्थों में पूर्ण विश्वास एवं भरोसा रखते हैं। वे अपनी संस्था के सभी सदस्यों के बीच संचार की खुली-द्वार नीति (Open-door communication policy) अपनाते हैं। फलत: संस्था के सभी अधिकारी एवं अधीनस्थ आपस में व्यापक रूप से संदेशों एवं विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। ऐसा नेता अपने अधीनस्थों के विचारों एवं सुझावों को प्राप्त करने एवं उपयोग करने पर विश्वास करते हैं।

ऐसे नेतृत्व के अधीन संस्था के सभी सदस्य संस्था के उद्देश्यों एवं नीतियों के निर्धारण में भूमिका निभाते हैं। वे अपने कार्य के सम्बन्ध में स्वयं निर्णय करते हैं। ऐसा नेता अपने अधीनस्थों के कार्यों एवं परिणामों का अनेक आधारों पर मूल्यांकन कर उचित पुरस्कार (Reward) देते हैं। _ निष्कर्ष : लिकर्ट ने अपने निष्कर्ष में प्रणाली 4 : सहभागी समूह नेतृत्व का प्रबल समर्थन किया है। लिकर्ट ने अपने अध्ययन में यह पाया है कि सहभागी समूह नेतृत्त्व को अपनाने वाले प्रबन्धक ही सर्वाधिक प्रभावशाली नेतृत्त्व प्रदान करने में सफल हुए हैं और इस प्रणाली को लागू करने वाले उपक्रम लक्ष्य निर्धारित करने तथा उन्हें प्राप्त करने में अन्य की तुलना में अधिक प्रभावपूर्ण एवं सफल सिद्ध हुए हैं। इस प्रणाली में सहयोगात्मक सम्बन्ध उत्पादकता तथा कार्य सन्तष्टि बढ़ाने में सहायक होते हैं। इनसे प्रत्येक कर्मचारी को अपने महत्त्व तथा आदर का अहसास होता है। इस प्रणाली में कर्मचारियों को आत्म-विकास का अवसर मिलता है।

नेताओं के प्रकार

(types of leaders).

प्रबन्ध के विभिन्न विद्वानों ने भिन्न-भिन्न आधारों पर नेताओं का वर्गीकरण किया हा सद में, नेताओं के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं

1. निरंकुश नेता ( Authoritarian or Autocratic Leader) इसे तानाशाह नेता भी कहते हैं। यह नेता सभी अधिकारों को अपने पास केन्द्रित रखता है तथा सारे निर्णय स्वयं ही लेता है। यह अनुयायियों को निर्णयन प्रक्रिया में शामिल नहीं करता. वरन उन्हें निर्णयों के क्रियान्वयन हेतु आवश्यक निर्देश देता है। यह अपने अनुयायियों को लक्ष्यों की जानकारी भी नहीं देता है, अत: वे पूर्णत: नेता पर आश्रित रहते हैं। निरंकुश नेता यह मानकर चलता है कि व्यक्ति स्वभाव से हा। आलसी होते हैं तथा उत्तरदायित्वों से बचना चाहते हैं।

2. जनतन्त्रीय नेता ( Democratic Leader) यह नेता लक्ष्यों व नीतियों के निर्धारिण में अपने कर्मचारियों को शामिल करता है। यह अधिकांश निर्णय अपने कर्मचारियों के साथ विचार-विमर्श करके लेता है। यह समस्त समूह के सुझाव आमन्त्रित करके ही कार्य-पद्धतियों का निर्धारण करता

3. निर्वाधवादी नेता ( Laissez-faire Leader)- निर्बाधकारी नेता अनुयायियों को पूर्ण कार्य स्वतन्त्रता देने में विश्वास करता है। वह निर्देशन में ज्यादा उत्सुक नहीं होता तथा अनुयायियों को अपने भरोसे पर छोड़ देता है। यह अनुयायियों को स्वयं अपने लक्ष्य निर्धारित करने तथा आवश्यक निर्णय लेने की स्वतन्त्रता देता है। नेता उन्हें आवश्यक अधिकार एवं सूचनायें प्रदान करता है। वह केवल एक सम्पर्क-कड़ी का कार्य करता है। वह अनुयायियों की क्रियाओं का मूल्याँकन नहीं करता है। इस नेता की यह धारणा होती है कि कार्य स्वतन्त्रता से कर्मचारियों में दायित्व-बोध उत्पन्न होता है तथा अच्छे परिणामों की प्राप्ति होती है।

4. व्यक्तिगत नेता ( Personal Leader)— यह नेता व्यक्तिगत सम्बन्धों के आधार पर नेतृत्त्व की स्थापना करता है। यह नेता व्यक्तिगत रूप से अनुयायियों को निर्देश देता है तथा व्यक्तिगत प्रभाव से ही उनका पालन करवाता है।

4. अव्यक्तिगत नेता ( Impersonal Leader)- इस प्रकार का नेतृत्त्व वहाँ स्थापित किया जाता है जहाँ कर्मचारी अधिक संख्या में कार्य करते हैं तथा नेता के लिए यह सम्भव नहीं होता है कि वह प्रत्येक कर्मचारी से व्यक्तिगत सम्पर्क कर सके। ऐसा नेता अधिक व्यस्त होता है, अत: वह अव्यक्तिगत रूप से ही अपने नेतृत्त्व की स्थापना करता है।

5. क्रियात्मक नेता ( Functional Leader)- क्रियात्मक नेता अपनी योग्यता एवं ज्ञान के आधार पर अपने अनुयायियों का विश्वास प्राप्त कर लेता है। वह जटिल विषयों के सम्बन्ध में अपने अनुयायियों को आवश्यक निर्देश देता है। वह अपने ज्ञान एवं अनुभव के आधार पर जटिल परिस्थितियों में भी लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए अनुयायियों को आवश्यक परामर्श देता है।

6. औपचारिक अथवा संस्थात्मक नेता ( Formal or Institutional Leader)- औपचारिक नेता अपने पद के प्रभाव के कारण उच्च स्थिति में होता है। उच्च पद के कारण ही उसके पास आदेश देने, महत्त्वपूर्ण निर्णय लेने, आज्ञा पालन करवाने की असीम शक्ति होती है। ये नेता पद के कारण ही सम्मान प्राप्त करते हैं। इनके अपने अनुयायियों के साथ औपचारिक सम्बन्ध होते हैं।

7. अनौपचारिक नेता ( Informal Leader)— यह समूह का स्वाभाविक एवं वास्तविक नेता होता है। कुछ व्यक्ति संगठन में, यद्यपि उनके पास कोई औपचारिक पद या सत्ता नहीं होती है, अपने ज्ञान, व्यक्तिगत सम्बन्धों, सन्दर्भो अथवा अन्य असाधारण प्रतिभा के कारण अपना नेतृत्व कायम कर लेते हैं।

8. बौद्धिक नेता ( Intellectual Leader)- बौद्धिक नेता वे नेता होते हैं जो अपनी बुद्धि, ज्ञान, आत्मविश्वास, धैर्य, व्यवहार, आदि के द्वारा अपने अनुयायियों का स्वैच्छिक सहयोग, विश्वास, वफादारी एवं निर्देशों का स्वपालन प्राप्त करने में सफल होते हैं।

परीक्षा हेतु सम्भावित महत्त्वपूर्ण प्रश्न

(expected important questions for examination), दीर्घ उत्तरीय प्रश्न, ( long answer questions).

प्रश्न 1. नेतृत्व से आप क्या समझते हैं ? इसकी विशेषताओं एवं शैलियों की विवेचना कीजिये।

What do you understand by leadership ? Discuss its characteristics and styles.

प्रश्न 2. “नेतत्व से आशय अगुआई करना, संचालन करना, आदेश देना एवं अन्य व्यक्तियों से श्रेष्ठ होना तथा लब्ध-प्रतिष्ठित होना है।” व्याख्या कीजिये तथा नेतृत्व की विभिन्न शैलियों की विवेचना कीजिये।

“Leading means to lead, to direct, to hold commnad and to excel over others and to be in prominence.” Explain and discuss the various styles of leadership.

प्रश्न 3. नेतृत्व की प्रमुख विचारधाराओं (सिद्धान्तों) का सविस्तार वर्णन कीजिये।

Discuss in detail the main theories of Leadership.

प्रश्न 4. नेतृत्व की अवधारणा क्या है? इसके विभिन्न सिद्धान्तों का वर्णन कीजिये।

What is the concept of leadership ? Explain its different theories.

प्रश्न 5. व्यवसाय में नेतृत्व से आप क्या समझते हैं ? एक अच्छे व्यावसायिक नेता में क्या गुण होने चाहिये।

What do you understand by leadership in business? What should be the qualities of a good business leader ?

प्रश्न 6. नेतृत्व से आप क्या समझते हैं ? नेतृत्व के विभिन्न स्वरूपों का वर्णन कीजिये।

What do you mean by leadership ? Describe briefly the various leadership styles.

प्रश्न 7. नेतृत्व को परिभाषित कीजिये। प्रबन्ध में इसका क्या महत्व है ? एक अच्छे नेता के गुणों की व्याख्या कीजिये।

Define Leadership. What is its importance in management ? Describe the merits of a good leader.

प्रश्न 8. नेतृत्व से आप क्या समझते हैं ? नेतृत्व के कार्यों का वर्णन कीजिये।

What do you understand by Leadership ? Describe the functions of leadership.

लघु उत्तरीय प्रश्न

( short answer questions).

प्रश्न 1. “नेतृत्व परिस्थित्यात्मक है।” स्पष्ट कीजिये।

Leadership is situational.” Discuss.

प्रश्न 2. नेतृत्व से आप क्या समझते हैं ? यह प्रबन्धकीय कौशल से किस प्रकार भिन्न है ?

What do you mean by leadership ? How is it different from managership?

प्रश्न 3. नेतृत्व की आवश्यकता एवं महत्त्व को समझाइये।

Explain the need and importance of leadership.

प्रश्न 4. नेतृत्व के आशय एवं महत्त्व को स्पष्ट कीजिये।

Explain the meaning and importance of leadership.

प्रश्न 5. एक सफल (अच्छे) नेता के आवश्यक गुणों का वर्णन कीजिये।

Describe the essential qualities of a successful (good) leader.

प्रश्न 6 . व्यवसाय में नेतृत्व से आप क्या समझते हैं ?

What do you mean by leadership in business?

प्रश्न 7. “एक अच्छा नेता जरूरी नहीं कि वह एक अच्छा प्रबन्धक हो।’ टिप्पणी कीजिये। ”

A good leader is not necessarily a good manager.” Comment.

प्रश्न 8. नेतृत्व की प्रजातान्त्रिक शैली की विवेचना कीजिये।

Describe democratic style of leadership.

प्रश्न 9. नेतृत्व के स्वरूप से क्या तात्पर्य है?

What is meant by Leadership styles?

वस्तुनिष्ठ प्रश्न ( Objective Type Questions)

1 बताइये कि निम्नलिखित वक्तव्य ‘सही हैं’ या ‘गलत’

State whether the following statements are ‘True’ or ‘False’

(i) नेतृत्व के सभी गुण जन्मजात होते हैं।

All the leadership qualities are by birth.

(ii) सभी प्रबन्धक नेता होते हैं।

All managers are leaders.

(iii) नेतृत्व की निरंकुश शैली में अनुयायियों से विचार विमर्श करके नीतियों का निर्धारण किया जाता है।

In autocratic leadership style all policies are determined by consulting with subordinates.

(iv) लिकर्ट की चार प्रबन्ध प्रणालियाँ हैं।

Likert’s has suggested four management systems.

उत्तर -( i) गलत (ii) सही (ii) गलत (iv) सही

2. सही उत्तर चुनिये (Select the correct answer)

(i) नेतृत्व का स्वरूप निम्न में से कौन सा नहीं है?

Which of these is not a leadership style?

( अ ) अभिप्रेरक (Motivational)

( ब ) शक्ति (Power)

( स ) पर्यवेक्षीय (Supervisory)

( द ) प्रबन्धकीय प्रोत्साहन (Managerial support)

(ii) नेतृत्व की शैली जो उसके समूह से परामर्श पर आधारित होती है, कहलाती है

The leadership style which is based on consultations with his group is called :

( अ ) निरंकुश शैली (Autocratic style)

( ब ) निर्बाध शैली (Free-rein style)

( स ) जनतन्त्रात्मक शैली (Democratic style)

उत्तर -( i) ( द) (ii) (स)

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लीडरशिप पर निबंध (Leadership Essay in Hindi)

Leadership

लीडरशिप एक गुण है जिससे आप दूसरों पर बढ़त प्राप्त कर सकते हैं। नेता सार्वजनिक जीवन जीते हैं जिससे आसपास के लोगों को मार्गदर्शन और प्रेरणा मिलती है। एक महान नेता में कई गुण होते हैं जो उन्हें लोकप्रिय बनाते हैं। लीडरशिप करने की क्षमता एक गुण है जो कुछ ही लोगों के अन्दर देखी जाती है। कुछ लोगों को यह विरासत में मिलती है जबकि कुछ इसे समय की अवधि के साथ प्राप्त करते हैं।

नेतृत्व पर छोटा व बड़ा निबंध (Short and Long Essay on Leadership in Hindi, Netritva par Nibandh Hindi mein)

निबंध 1 (300 शब्द).

कुछ लोगों में जन्म से ही नेताओं के गुण पाए जाते हैं। ऐसे गुण उन्हें विरासत में मिलते है या यूँ कहे  उनके खून में पाए जाते है। अन्य लोग ऐसे व्यक्तियों से प्रेरित हो लीडरशिप के गुण हासिल करने के लिए लगातार प्रयास करते हैं। कुछ इन गुणों को प्राप्त करने में असफल रह जाते हैं और कुछ लगातार प्रयासों के माध्यम से इन्हें प्राप्त करने में सफल हो जाते हैं। हालांकि लीडरशिप एक शक्तिशाली गुण है इसके अलावा नेताओं के पास अन्य कई ऐसे गुण होते हैं जो उनकी लोकप्रियता को बढ़ाते हैं।

एक अच्छे नेता के गुण

एक अच्छे नेता के पाँच मुख्य गुण हैं:

ईमानदारी नेता के मुख्य गुणों में से एक है। एक नेता उदाहरण के आधार पर लीडरशिप करता है इसलिए यदि आप चाहते हैं कि आपकी टीम आपकी उम्मीदों पर खरी उतरे, आपकी विचारधाराओं पर भरोसा करे, आपके द्वारा प्रदान किए गए कार्यों में ईमानदारी का पालन करें तो आपको खुद ईमानदार होना ज़रूरी है। एक धोखेबाज व्यक्ति हेराफेरी के जरिए लोगों को आकर्षित ज़रूर कर सकता है पर वह जल्द ही निश्चित रूप से अपनी विश्वसनीयता खो देगा।

एक नेता खुद को दूसरों से बेहतर नहीं समझता इसलिए वह किसी से भी दूरी बनाए रखने में विश्वास नहीं करता। वह विचारों को साझा करने, मुद्दों पर चर्चा करने और सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने के लिए दो तरफा संचार का प्रवाह सुनिश्चित करता है।

  • आत्म-विश्वास

नेताओं के आत्मविश्वास का स्तर त्रुटिहीन है। वे अपने स्वयं के कार्यों और सोच के बारे में निश्चित हैं और अपने अनुयायीओं को कैसे प्रेरित करना है यह अच्छी तरह से जानते हैं। अच्छे नेताओं को अपनी टीम में पूरा विश्वास होता है।

अच्छे नेता तथ्यों के साथ छेड़खानी नहीं करते। व्यक्तिगत और पेशेवर दोनों रिश्तों में काम करते समय वे पारदर्शिता बनाए रखते हैं। यह उनके लक्षणों में से एक है जिसके लिए नेता की छवि अत्यधिक विश्वसनीय और सम्मानित मानी जाती हैं।

जो व्यक्ति असहिष्णु है, जिसे अक्सर गुस्सा आता है वह कभी भी अच्छा नेता बनने के योग्य नहीं हो सकता है। एक अच्छे नेता बनने के लिए धैर्य रखना मुख्य कुंजी है। अगर कोई व्यक्ति धैर्य रखता है तो ही वह दूसरों की गलतियों को समझ सकता है और उन्हें सुलझाने में सहायता कर सकता है।

एक अच्छे नेता में दूसरों को प्रेरित करने और भविष्य के नेताओं को पैदा करने के लिए अपने अधीनस्थों में लीडरशिप गुणों को पैदा करने की क्षमता होती है।

निबंध 2 (400 शब्द)

अच्छा लीडरशिप से तात्पर्य आत्मविश्वास, ईमानदारी, प्रतिबद्धता, अखंडता, धैर्य, पारदर्शिता, रचनात्मकता, सकारात्मक दृष्टिकोण, खुला दिमाग, जिम्मेदारी को व्यक्त करने की क्षमता और प्रभावी रूप से संवाद करने की क्षमता सहित कई गुणों को अपने अन्दर समाए रखने से है। जहाँ नेता अक्सर दूसरों को प्रेरणा के रूप में देखते हैं वहीं उनमे खुद कई प्रकार की अच्छाई और बुराई होती है।

एक नेता होने के अच्छे नतीजे

आइए एक नेता होने के अच्छे नतीजों को विस्तार से देखें:

लोग आपको एक प्रेरणा के रूप में देखते हैं। आप उनके लिए मार्गदर्शन का एक स्रोत हैं और वे आपके सामने विभिन्न मुद्दों पर सुझाव प्राप्त करने के लिए आ सकते हैं। इससे उनके मन में आपके लिए सम्मान की भावना विकसित होती हैं।

  • स्वयं जागरूकता का बढ़ना

आप सुधार के प्रयास में अपने सकारात्मक और नकारात्मक पहलुओं का विश्लेषण करने की कोशिश करते हैं क्योंकि ऐसे कई लोग हैं जो आप का अनुसरण करते हैं। इससे आत्म-जागरूकता बढ़ जाती है।

  • सोच का विस्तार

एक अच्छा नेता अपनी टीम के लोगों की शक्तियों और कमजोरियों और साथ ही उनकी स्थिति को समझते हुए उनको अपना सर्वश्रेष्ठ कार्य करने में सहायता करता है। इससे न केवल अपने आस-पास के लोगों की मदद होती है बल्कि खुद की मानसिकता में भी व्यापक स्तर पर विस्तार होता है।

  • निर्णय लेने का कौशल

एक नेता के रूप में आपको न केवल अपने लिए बल्कि अपनी टीम के लिए निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। आपके फैसले लेने के कौशल में इस प्रकार विकास होता है।

  • सपनों को विकसित करें

एक नेता के रूप में आप उन लोगों को मार्गदर्शन करते हैं जो आपका अनुसरण करते हैं और इस तरह अपने सपनों को पूरा करने का प्रयास करते हैं। अच्छे लीडरशिप से आपके व्यवसाय / फर्म को भी सफलता मिल सकती है।

एक नेता होने के बुरे नतीजे

आइए एक नेता होने के बुरे नतीजों को विस्तार से देखें:

चूंकि आप नेता हैं तो आप अपनी टीम के सदस्यों के कृत्यों के लिए जिम्मेदार हैं। आप अपनी टीम के सभी कार्यों के लिए जवाबदेह हैं।

कोई फर्क नहीं पड़ता आप अपनी टीम के कितने करीब हो और दो-तरफ़ा संचार को कितना प्रोत्साहित करते हो, जो आपसे मीठा बोलकर अपना काम निकलवाना चाहते है उनका कार्य करके आप अपनी टीम के बाकी सदस्यों के बीच अलगाव की भावना को जन्म दे सकते हैं।

  • सभी प्रकार के लोगों के साथ काम करना

एक नेता के रूप में आपको दोनों अच्छे और बुरे लोगों से निपटना पड़ सकता है। वे आपके धैर्य को चुनौती दे सकते हैं और यह समय के गुज़रने के साथ काफी निराशाजनक हो सकता है। इस प्रकार की चुनौती का एकमात्र जवाब शांत रहना है।

यदि आपके पास लीडरशिप करने के गुण हैं तो आप एक नेता की भूमिका निभा सकते हैं, अगर आपके लीडरशिप करने के आवश्यक गुण हैं तो आपको इस स्थिति को सावधानी से संभालना होगा। हालांकि अपना अंतिम निर्णय लेने से पहले सभी प्रकार के नकारात्मक पक्ष का ज़रूर ध्यान रखें।

Leadership Essay

निबंध 3 (500 शब्द)

अन्य गुणों की तरह लीडरशिप करने का गुण भी विरासत में मिलता है। कई बार हम दूसरों (ज्यादातर माता-पिता और शिक्षक) की छवि से प्रभावित हो जाते हैं – वे हमें कैसा बनता देखना चाहते हैं और हमारे निर्णयों पर कैसी प्रतिक्रिया देते हैं इस ख्याल में हम अपने वास्तविक जीवन को भूल जाते हैं और जैसा वे चाहते है उस तरीके का व्यवहार हम करना शुरू कर देते हैं। अगर आपको लगता है कि आपके पास एक अच्छा नेता बनने के सारे गुण मौजूद हैं लेकिन इसको लेकर जरा संदेह में हैं तो निम्नलिखित कदम आपको स्पष्टता पाने में मदद कर सकते हैं।

सात लक्षण आपके लीडरशिप के गुण से संबंधित:

  • आप सहानुभूति दिखा सकते हैं

एक अच्छे नेता के मुख्य गुणों में से एक यह है कि वह आसपास के लोगों के साथ सहानुभूति दिखाए। आपके पास लोगों के मुद्दों को समझने और विभिन्न विचारों का उपयोग करके उन्हें हल करने में मदद करने के लिए लीडरशिप के गुण होने चाहिए। यदि आपके विचार और दृष्टिकोण प्रभावी साबित होते हैं तो आप निश्चित रूप से इस पहलू में बढ़त प्राप्त कर सकते हैं।

  • प्रभावी संचार प्रधान गुण है

एक अच्छे नेता की एक और महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि वह कुशलता से बात कर सके। एक अच्छा नेता जानता है कि कब हस्तक्षेप और बातचीत करनी है तथा कैसे उस स्थिति को कुशलता से संभालना है। अगर आपमें ये सभी गुण हैं और दूसरों को सुनने का धैर्य भी हैं तो विचारों के आदान-प्रदान बनाए रखने में आपको आसानी होगी।

  • आत्मविश्वास और विश्वास को पहचानना

आत्मविश्वास ऐसी चीज़ है जो हर किसी के पास नहीं है। यदि आप अपने बारे में आश्वस्त हैं तथा आत्मविश्वास और विश्वास को अलग करने वाली रेखा को पहचानते हैं तो आपके पास लीडरशिप करने के मुख्य गुण मौजूद है।

  • आसानी से उपलब्धता

एक अच्छा नेता अपने गुणों के बारे में जानता है इसलिए वह घमंड की हवा को अपने ऊपर हावी नहीं होने देता। वह जनता का नेता है जिससे आसानी से संपर्क स्थापित किया जा सकता है।

  • विश्लेषणात्मक और समस्या सुलझाने का कौशल

अगर आप सही और गलत का अच्छा अंदाज़ा लगा सकते हैं तो जल्द किसी निष्कर्ष पर न जाएं। किसी भी स्थिति में आप चीजों को अच्छी तरह से विश्लेषण करके, जांच परख करके, पक्ष-विपक्ष को देख कर ही फिर निर्णय लें। आप उन लोगों में से एक हैं जो किसी समस्या के चारों ओर मंडराने या बहाने बनाने की बजाय हर उसका हल ढूंढने का प्रयास करते हैं।

  • सकारात्मक दृष्टिकोण

आप हर स्थिति में आशावादी रहते हैं तो आप उन व्यक्तियों में से एक हैं जो समस्याग्रस्त स्थितियों में भी उज्ज्वल पक्ष को देखते हैं। आप अपने आप में विश्वास करते हैं और अक्सर खुद को याद दिलाते हैं कि अगर कुछ कर-गुज़रने की इच्छा है तो कुछ भी असंभव नहीं है।

  • अच्छा निरीक्षण कौशल

एक नेता को विभिन्न प्रकार के लोगों से निपटने की आवश्यकता होती है। उसे लोगों की सहायता करने, उनके मुद्दों को सुलझाने, उनसे संबंधित प्रमुख निर्णय लेने और कई मामलों में उनके कार्यों के लिए उत्तरदायी भी होने की ज़रूरत पड़ती है। यदि आप लोगों और उनकी परिस्थितियों को समझ रहे हैं तो आपको बेहतर समझ है और नेता के रूप में आप प्रभावी निर्णय लेने में सक्षम होंगे।

अगर आप में ये गुण हैं तो आप किसके लिए इंतज़ार कर रहे हैं? अपनी पसंदीदा क्षेत्र में सफलता की आपकी यात्रा में शामिल होने के लिए एक नेता की भूमिका निभाएं।

निबंध 4 (600 शब्द)

लीडरशिप एक अनूठा गुण है जो हर किसी के पास नहीं हो सकता। यदि आपके पास यह है तो आप खुद को भाग्यशाली मान सकते हैं। सही दिशा में अपने करियर को बढ़ाने और अपने आस-पास के लोगों को प्रेरणा देने के लिए लीडरशिप के गुण को आगे बढ़ा बढ़ाना जरुरी है। हालांकि आगे बढ़ने और अपने कौशल को सुधारने से पहले विभिन्न प्रकार के लीडरशिप शैलियों को समझना जरूरी है।

लीडरशिप शैलियों के प्रकार

  • डेमोक्रेटिक लीडरशिप

आपके अधीनस्थ काम करने वाले इस प्रकार के लीडरशिप में निर्णय लेने की प्रक्रिया का एक हिस्सा हैं। इस तरह का लीडरशिप अधीनस्थों के योगदान पर केंद्रित होता है। हालांकि उनके निर्णयों और कार्यों की अंतिम जवाबदेही नेता की है। यह सबसे पसंदीदा लीडरशिप शैलियों में से एक माना जाता है।

  • परिवर्तनकारी लीडरशिप

इस प्रकार का लीडरशिप स्वयं के, समूह के सदस्यों, संगठन के साथ ही अन्य कारकों में सुधार करके प्रदर्शन को प्रभावित करने के बारे में है। एक परिवर्तनकारी नेता उच्च लक्ष्यों को स्थापित करके और उत्पादकता बढ़ाने के लिए उन्हें प्रोत्साहित करके दूसरों को प्रेरित करता है।

  • टीम लीडरशिप

एक टीम का नेता अपनी परियोजना में पूरी टीम को शामिल करता है। नेता अपनी टीम को कड़ी मेहनत करने के लिए प्रेरित करता है और साथ ही वह निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त करने और पेशेवर ज्ञान के विकास के लिए काम करता हैं।

  • सामरिक लीडरशिप

इस प्रकार की लीडरशिप शैली में ऐसा नेता होता है जो मूल रूप से एक फर्म/कंपनी का प्रमुख होता है लेकिन वह शीर्ष प्रबंधन के विचारों को साझा नहीं करता है। वह सभी स्तरों पर पूरी टीम के साथ शामिल होता है। वह नई संभावनाओं और यथार्थवाद की आवश्यकता के बीच की खाई को जोड़ने के लिए एक पुल की तरह कार्य करता है।

  • लोकतांत्रिक लीडरशिप

इस प्रकार का लीडरशिप शैली बॉस पर केंद्रित होती है। यहां नेता सभी अधिकार अपने पास रखता है। वह अपनी टीम से परामर्श किए बिना अपने विवेक पर पूरी तरह से निर्णय लेता है। वह अपनी टीम के साथ संवाद कर उनसे तत्काल कार्यान्वयन की अपेक्षा करता है। वह अकेले अपने निर्णयों के लिए जिम्मेदार है। इस शैली में किसी प्रकार की कोई ढील नहीं बरती जाती। इस तरह के लीडरशिप की अक्सर आलोचना की जाती है।

  • दूरदर्शी लीडरशिप

इस प्रकार का नेता अपनी टीम के सदस्यों की प्रतिभा और जरूरतों को पहचानता है। वह सफलता की दृष्टि को स्थापित कर इच्छित परिणाम प्राप्त करने के लिए सामूहिक प्रयास करता है।

  • कोचिंग लीडरशिप

प्रदर्शन को बढ़ाने के लिए एक कोचिंग नेता लगातार अपनी टीम के सदस्यों को मार्गदर्शित और उनकी निगरानी करता है। वह अपनी टीम के सदस्यों को प्रेरित करता है और उन्हें कठिन काम करने के लिए प्रोत्साहित करता है। लीडरशिप की इस शैली को अत्यधिक सराहना मिलती है।

  • सुविधाजनक लीडरशिप

अगर टीम कम काम कर रही है तो एक सुगम नेता अपनी टीम के सदस्यों को समय-समय पर निर्देश देकर उनकी काम करने की प्रक्रिया को कुशलतापूर्वक चलाने में मदद करता है। यदि उच्च कार्यशील टीम है तो नेता काम करने के हल्का दृष्टिकोण भी अपना सकता है।

  • क्रॉस-सांस्कृतिक लीडरशिप

इस प्रकार का लीडरशिप तब होता है जब अलग-अलग सांस्कृतिक पृष्ठभूमि वाले लोगों से निपटना होता है। संयुक्त राज्य अमेरिका में विभिन्न संगठनों में काम करने वाले कई नेता क्रॉस-सांस्कृतिक हैं क्योंकि विभिन्न संस्कृतियों के लोग वहां कार्यरत हैं।

  • अहस्तक्षेप लीडरशिप

लीडरशिप के इस प्रकार की शैली में टीम के सदस्यों को अधिकार दिए जाते हैं। टीम के सभी सदस्यों को काम करने की छूट मिली होती है और नेता की ओर से किसी तरह का कोई दखल अंदाजी नहीं होता। यह एक प्रभावी लीडरशिप शैली नहीं मानी जाती।

  • लेन-देन संबंधी लीडरशिप

लीडरशिप के इस प्रकार की प्रक्रिया में लेन-देन संबंधी कार्य शामिल है। इस प्रक्रिया के अंतर्गत टीम के सदस्यों को सही ढंग से नेता के विचारों और निर्णय को लागू करने के लिए सम्मानित और पुरस्कृत  किया जाता है।

  • करिश्माई लीडरशिप

इस प्रकार की शैली में नेता अपने अनुयायीओं के विश्वास मूल्यों और व्यवहार को बदलने के लिए समय लेता है ताकि अपने कर्मचारियों से बेहतर काम करवाया जा सके।

अगर आपको ऐसा लगता है की लीडरशिप के गुण को अधिक प्रकारों में नहीं बांटा जा सकता तो यहाँ दी गई जानकारी यह मिथक तोड़ने में मदद कर सकती हैं। इससे आप अपने अंदर मौजूद लीडरशिप के गुणों और अद्वितीय लीडरशिप शैली को पहचान कर उन पर महारथ हासिल कर सकते हैं।

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what is leadership in hindi-नेतृत्व क्या होता है ?

हेल्लो दोस्तों आज के इस पोस्ट में आपको leadership in hindi  के बारे में बताया गया है की क्या होता है कैसे काम करता है तो चलिए शुरू करते है

नेतृत्व के कार्य (Functions of Leadership) 

नेतृत्व के गुण अथवा लक्षण (quality or traits of leadership) , नेतृत्व (leadership) .

नेतृत्व किसी व्यक्ति का एक अहम गुण है जिसके द्वारा वह दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित करता है और एक समान उद्देश्य के लिए उनके प्रयासों को एक जगह जोड़ता है। इस तर्क के अनुसार प्रबन्धक, किसी संगठन में एक लीडर का कार्य करता हैं और अपने अधीनस्थों द्वारा किये जा रहे प्रयासों एवं गतिविधियों को संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति हेतू जोड़ता है।

नेतृत्व एक युक्ति, एक तरकीब, होशियारी अथवा चतुराई है जिससे दूसरे व्यक्तियों से अपना मनचाहा कार्य कराने के लिए तैयार कर लिया जाये। नेतृत्व एक मानवीय तत्व है जो मनुष्य के समूह को बाँधता है और लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है। नेतृत्व के सम्बन्ध में कुछ प्रमुख परिभाषायें निम्न प्रकार हैं

(i) कुंटज् तथा ओ-डोनेल (Koontz and O’ Donnel) के अनुसार, “नेतृत्व किसी प्रबन्धक की योग्यता है जो अपने अधीनस्थों को आत्मविश्वास और जोश के साथ कार्य करने की प्रेरणा देती है।”

“Leadership is the ability of a manager to induce subordinates (followers) to work with confidence and zeal”.

(ii) जार्ज आर. टेरी (George R. Terry) के अनुसार , “नेतृत्व लोगों को प्रभावित करने की कला है जो खुशी से सामूहिक उद्देश्यों को पाने के लिए उद्यम करता है।”

“Leadership is the activity of influencing people to strive willingly for group objectives”.

इसे भी पढ़े- what is committee organisation in hindi-समिति सगठन क्या है?

iii) पीटर एफ. डकर (Peter F. Drucker) के अनुसार , “नेतृत्व व्यक्ति की सोच को ऊँचा उठाता है, व्यक्ति के कार्यनिष्पादन को उच्च स्तर पर ले जाता है, व्यक्ति के व्यक्तित्व को सामान्य सीमाओं से ऊपर उठाता है।”

“Leadership is the lifting of a man’s visions to higher sights, the raising of a man’s performance to higher standard, the building of man’s personality beyond its normal limitations”.

(iv) बरनार्ड (Bernard) के अनुसार , “नेतृत्व किसी व्यक्ति विशेष का व्यावहारिक गुण है जिसके द्वारा वह अन्य व्यक्तियों को प्रभावित व संगठित करके अभिष्ट कार्य कराने में सफल हो जाता है, साथ ही उनका मार्ग-दर्शन भी करता है।”

“Leadership is the quality of a particular person through which he get success to influence and join the people to do the job. He also guides them”.

(v) कीथ डेविस (Keith Devis) के अनुसार , ”दूसरे व्यक्तियों को निश्चित उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए उत्सुक बनाने व उनकी सहर्ष सहमति प्राप्त करने की योग्यता को नेतृत्व कहते हैं।”

“Leadership is the ability to persuade others to seek defined objectives enthusiastically. It is the human factor which binds a group together and motivates it forward goals”.

सारांश में यह कह सकते हैं कि-

(i) नेतृत्व एक उद्देश्यपूर्ण व्यवहार करने की प्रक्रिया है।

(ii) यह सामूहकि रूप से व्यक्तियों को प्रभावित करने की प्रक्रिया है।

(iii) यह प्रबन्धन का एक विशेष गुण है।

(iv) किसी उपक्रम की सफलता उसके नेतृत्व की योग्यता पर निर्भर करती है।

(v)बिना  प्रभावी  नेतृत्व के संगठन, आदमी, मशीन एवं पदार्थ को व्यर्थ करता है।

(vi) अन्य व्याक्तयों को प्रभावित व संगठित करके उनसे अभिष्ट कार्य कराने में सफलता दिलाने वाले व्यक्ति का

व्यावहारिक गुण ही उसके कुशल नेतृत्व का परिचायक है।

सफल नेतृत्व के लिए दो बातें आवश्यक हैं

(a) मानवीय भावनाओं की बेहतर समझ होनी चाहिए अर्थात् सामूहिक व्यवहार, मानवीय सम्बन्ध तथा प्रबन्धकीय कुशलता का सामान्य ज्ञान होना चाहिए।

(b) उपरोक्त गुणों को प्रयोग करने का प्रशिक्षण। नेतृत्व के मुख्य कार्य निम्न हैं

(i) सबको एकत्र करने तथा निर्देशन करने वाला (Integrating and Directing) -संगठन के उद्देश्यों की पूर्ति के

लिए सामूहिक प्रयासों को एक साथ लाना और उनको निर्देशित करना नेतृत्व का मुख्य कार्य है। अपने व्यक्तिगत प्रभाव व व्यवहार से एक अच्छा लीडर अपने अधीनस्थों में आत्मविश्वास पैदा करता है, उन्हें आवश्यक सलाह देता है और अच्छे परिणाम के लिए प्रेरित करता है।

( ii) टीम भावना विकसित करना (Develops Team Spirit) —एक प्रभावी लीडर टीम भावना में विश्वास रखता है। अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए अपने अधीनस्थों के मध्य टीम भावना से कार्य करने की इच्छा विकसित करता है।

(iii) मध्यस्थ (Arbitration) -जब समूह विचार विमर्श करता है तो एक दूसरे के विचारों में टकराहट संभव है ऐसे में एक अच्छा लीडर मध्यस्थ की भूमिका निभाता है और एक निर्णय पर पहुँचने में मदद करता है।

(iv) कार्य का माहौल बढ़ाना (To Develop Environment Conducive to Work) —एक सकारात्मक सोच और परस्पर सहयोग की भावना जागृत करके उपक्रम में कार्य करने के अनुकूल माहौल तैयार करता है। (v) शीर्ष प्रबन्धन एवं कामगारों के मध्य संपर्क बनाना (To Make a Healthy Link between Top Management & Workers)-एक अच्छा नेतृत्व कामगारों के सामने प्रबन्धन का पक्ष प्रस्तुत करता है तथा प्रबन्धन के सामने कामगारों का पक्ष प्रस्तुत करता है। संगठन की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि लीडर कितने प्रभावकारी ढंग से यह कार्य कर पाता है।

(vi) सलाहकार की भूमिका निभाता है (Act as a Counsellor) -एक लीडर को कभी-कभी अपने समूह के सदस्यों के जोश को बढ़ाने का कार्य करना पड़ता है। किसी बाधा को समाप्त करना और साथियों के लिए उत्प्रेरक का कार्य करना भी एक अच्छे लीडर की पहचान करना।

(vii) प्रोत्साहन (Motivation) –यदि लीडर अपने समूह के सदस्यों को प्रोत्साहित करता है और उनके कौशल का

संगठन के हित में सदुपयोग करता है तो संगठन का विकास सुनिश्चित हो जाता है।

(viii) अधिकारों का प्रयोग (Use of Power) -एक लीडर अपने अधीनस्थों से धनात्मक व्यवहार पाने के लिए कभी कभी अपने अधिकारों और शक्ति का भी प्रयोग करता है।

एक अच्छे नेतृत्व के गुण अथवा लक्षण निम्न हैं।

(i) भौतिक गुण (Physical qualities)

(ii) मनोवैज्ञानिक गुण (Psychological qualities).

(iii) alleah Tu (Intellectual qualities)

(iv) चारित्रिक गुण (Character qualities)

(i) भौतिक गण (Physical Qualities) -एक अच्छा लीडर सेहतमंद, सहनशील, मृदु भाषी होना चाहिए जिससे  अपना कार्य प्रभावशाली तरीके से कर सके।

(ii) मनोवैज्ञानिक गुण (Psychological Qualities) -एक अच्छे लीडर में निम्न मनोवैज्ञानिक गुण होने चाहिए (a). उत्साही

(b) सहयोग की भावना

(d) प्रेरणा देने वाला

(e) भावनात्मक रूप से मजबूत।

 (iii) बौधिक गुण (Intellectual Qualities) -एक व्यावसायिक संगठन की उन्नति, विकास तथा सफलतापूर्वक संचालन के लिए बौधिक रूप में मजबूत लीडर का होना आवश्यक है। कुछ महत्वपूर्ण बौधिक गुण निम्न हैं

(a) सृजनात्मकता (Creativity),

(b) स्पष्ट सोच (Clear vision),

(c) सम्प्रेषण कुशलता (Communication skill),

(d) समस्या सुलझाने एवं निर्णय लेने का गुण (Capacity for sound judgement),

(f) बुद्धिमता (Intelligence),

(g) स्वः जानकारी रखने का गुण (Self awareness)।

(iv) चारित्रिक गुण (Character Qualities) -लीडर का मजबूत चरित्र अपने अधीनस्थों के लिए एक उदाहरण होता है।

कुछ महत्वपूर्ण चरित्रिक गुण निम्न प्रकार हैं

(a) ईमानदारी (Integrity),

(b) स्व: अनुशासन (Self discipline),

(c) भौतिक एवं नैतिक साहस (Physical & moral courage),

(d) मानवता (Humanism)।

संक्षेप में हम कह सकते हैं कि एक लीडर’ को

(i) उत्साही होना चाहिए तथा कार्य की पहल करने को अग्रसर रहना चाहिए।

(ii) दूसरों की बात को सुनना एवं समझना चाहिए परन्तु निर्णय अपने विवेक के अनुसार ही लेना चाहिए।

(iii) मानसिक एवं शारीरिक रूप से मजबूत होना चाहिए।

(iv) आस-पास होने वाली गतिविधियों को सज्ञान में रखना चाहिए।

(v) खुले दिमाग का होना चाहिए तथा मनोवैज्ञानिक रूप से सुदृढ़ होना चाहिए।

(vi) विश्लेषण करने एवं निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए।

(vii) चारित्रिक रूप से इतना मजबूत होना चाहिए कि अन्य उससे प्रेरणा हासिल कर सके।

(viii) आशावादी, कम्पनी के प्रति ईमानदार तथा परिपक्व (Mature) होना चाहिए।

(ix) औद्योगिक मनोविज्ञान एवं मानव सम्बन्धों का ज्ञान होना चाहिए।

(x) मौखिक वार्ता स्पष्ट और संचार क्षमता कुशल होनी चाहिए।

(xi) दूरदर्शी, सृजनात्मक एवं रचनात्मक होना चाहिए

leadership in hindi

reference- https://www.mindtools.com/pages/article/newldr_41.htm

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  • 15 Leadership Skills in Hindi: क्या हैं अच्छे लीडर की Qualities
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15 Leadership Skills & Qualities in Hindi

Leadership Skills and Qualities in Hindi

नेतृत्व करना एक विशेष कला है और यह काबिलियत सामान्य व्यक्तियों के भीतर नहीं पाई जाती है। हाँ, यह अवश्य है कि यदि कोई बहुत मेहनत करे, तो वह Leadership के कई गुणों से अपनी Personality को निखार सकता है। बेहतर तरीके से Life Management (जीवन प्रबंधन) कर पाना भी ऐसे ही लोगों के लिए संभव है, जिनके अंदर नेतृत्व करने की विशेष योग्यता हो।

Leadership Skills किसी व्यक्ति की Personality का अत्यंत महत्वपूर्ण और खास भाग है। एक सफल और संतोषप्रद जीवन कैसे जिया जाये, यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्या आप के अंदर सही नेतृत्व क्षमता है? यह एक ऐसी योग्यता है, जो तभी पूर्णता पाती है, जब आपका व्यक्तित्व सही तरह से विकसित होता है।

Lao Tzu कहते हैं – “एक Leader सबसे अच्छा तब होता है जब लोग मुश्किल से ही उसका होना जान पायें, और जब उसका काम पूरा हो जाये, उसका उद्देश्य पूरा हो जाये तो वह सब कहें: यह हमने खुद किया है।”

दूसरे शब्दों में यदि आप लोगों को और ज्यादा सीखने को, और ज्यादा काम करने के लिए Inspire कर सकते हैं, तो आप एक अच्छे Leader हैं। जीवन में आगे बढ़ने के लिए और कठिन परिस्थितियों का सामना करने के लिए आपमें Leadership Capability का होना बहुत ही जरूरी है। इसलिए अगर आप चाहते है कि आप भी एक Successful और Notable Leader बन सकें, तो अपना लीजिये ये 15 गुण –

जानिये क्यों जरुरी है नेतृत्व जीवन में सफलता पाने के लिये – Leadership Quotes in Hindi: नेतृत्व

1. Leader has A Vision दूरदृष्टि

एक Impressive और Successful Leader होने की अहम शर्त है – Visionary होना। ऐसा व्यक्ति अपनी अदभुत कल्पनाशक्ति और बुद्धिमत्ता के जरिये पहले ही भविष्य की योजनाओं का Plan तैयार कर लेता है। Visionary Leaders के पास प्रत्येक कार्य के लिए एक स्पष्ट योजना तो होती ही है, इसके अलावा वे एक Backup Plan भी हमेशा तैयार रखते हैं, जिससे वे कम समय में ही अपने इच्छित लक्ष्य को पा लेते हैं। वे केवल अनुमान के आधार पर कोई काम नहीं करते।

Thomas Carliel के अनुसार “अंतर्द्रष्टि के बिना ही काम करने से अधिक भयानक चीज़ दूसरी नहीं है।” इसलिए एक Successful Leader के लिए कार्य की योजना बनाना और योजनानुसार कार्य करना बहुत जरूरी है। दूसरे शब्दों में कहें तो एक सच्चा Leader ऐसा Open-minded Visionary होता है, जो कार्य के संबंध में सभी तरह के पूर्वाग्रहों से मुक्त और सटीक आकलन क्षमता से युक्त होता है।

क्यों जरुरी है Vision कामयाबी हासिल करने के लिये – Vision Quotes in Hindi: दूरदृष्टि

2. Leader has Self-confidence and Optimism आत्मविश्वास और आशावाद

एक Successful Leader को Highly Self-confident होना चाहिए, क्योंकि अपनी क्षमताओं पर थोडा सा भी संदेह व्यक्ति को सफल नहीं होने देता। Samuel Johnson ने आत्म-विश्वास को सफलता का प्रथम रहस्य माना है। जो व्यक्ति आत्म-विश्वास से भरपूर और निडर नहीं होते हैं, उनकी Leadership को बार-बार Challenge face करने पड़ते हैं। ऐसे Leader को उसके Colleagues लम्बे समय तक स्वीकार नहीं कर पाते हैं।

आत्म-विश्वास से भरा हुआ Leader अपनी Team में भी आत्म-विश्वास जगा देता है और उन्हें अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए Inspire करता है। एक Self-confident Leader ही वास्तव में एक उच्च आशावादी व्यक्ति हो सकता है। जब प्रयास करने के बावजूद असफलता मिल रही हो, तो केवल Self-confident और Optimistic Person ही धीर बने रह सकते हैं और उद्देश्य को हासिल करने की दिशा में लगातार प्रयास जारी रख सकते हैं।

आपका आत्म विश्वास ही आपका सबसे बड़ा मित्र है पर कैसे? – Self Confidence Story in Hindi: आत्म-विश्वास की शक्ति

3. Leader has Ability to Take Right Decisions सही निर्णय लेने की क्षमता

एक अच्छे Leader के पास तुरंत और बेहतर निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। क्योंकि जो व्यक्ति अपने Decisions को बार-बार बदलता रहता है, उसकी Impartiality और Intelligence Doubtful रहती है। इसके अलावा यदि किसी गलत निर्णय से Negative Results आते हैं तो न केवल Team का मनोबल ही टूटता है, बल्कि उन्हें आपकी Leadership Capability पर भी सन्देह हो सकता है।

इसलिए एक Successful Leader के अंदर, खूब सोच विचार कर दूरदर्शिता के साथ, सही निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए और आपके द्वारा लिए गए निर्णय, तभी सही तरह से लागू किये जा सकते हैं, जब वे हर द्रष्टिकोण से सही हों। जब कभी भी आप किसी सफल व्यापार को देखेंगे, तो पाएंगे कि किसी ने कभी साहसी निर्णय लिया था। अगर आप निर्णय नहीं ले पाते हैं, तो आप Boss या Leader कुछ भी नहीं बन सकते।

क्या हैं एक अच्छे Leader के सबसे महत्वपूर्ण गुण – Leader Meaning in Hindi

4. Leader has Firm belief in Ideals & Principles आदर्शों और सिद्धांतों के प्रति निष्ठा

एक True Leader के अंदर अपने आदर्शों और सिद्धांतों के प्रति अटूट निष्ठा होनी चाहिए। यह उस हद तक हो कि यदि उसे खुद में भी कोई कमी या कमजोरी दिखाई दे, तो उसे न केवल वास्तविकता को स्वीकार करने का साहस दिखाना चाहिए, बल्कि उन्हें दूर करने का भी पूरा प्रयास करना चाहिए। वरना अपने Colleagues द्वारा उसका स्थान ले लेने का डर उसे कमज़ोर और अक्षम बना सकता है।

लोग उसी व्यक्ति के आदेशों पर चलना पसंद करते हैं, जिसकी कथनी और करनी में कोई अंतर न हो। यदि आप स्वयं ही काम के प्रति उदासीन है, तो इस बात की अपेक्षा न करे कि दूसरे लोग आपके नेतृत्व को स्वीकार करेंगे। केवल कहने की अपेक्षा लोगों पर आपके आचरण का प्रभाव ज्यादा पड़ता है। अर्थात आप सरल, स्पष्टवादी, दृढ और यथार्थवादी सोच के ईमानदार व्यक्ति बनने का प्रयास करें।

सच्चे और प्रभावशाली लीडर का सबसे जरुरी गुण उनका सुद्रढ़ चरित्र ही है – Character Quotes in Hindi: चरित्र

Essential Leadership Qualities in Hindi

5. leader has positive attitude सकारात्मक द्रष्टिकोण.

जिंदगी को खुशहाल और सफल बनाने के लिए हमें जिस चीज़ की सबसे ज्यादा जरूरत है, वह है द्रष्टिकोण। और किसी व्यक्ति को एक Successful Leader बनाने के लिए जिस चीज़ की जरूरत है, वह भी और कुछ नहीं, बल्कि एक Positive Attitude ही है। Thomas Jefferson ने इन शब्दों में क्या खूब कहा है –

“एक Positive Mental Attitude रखने वाले व्यक्ति को, दुनिया की कोई चीज़ उसका उद्देश्य हासिल करने से नहीं रोक सकती। वहीँ Negative Mental Attitude रखने वाले व्यक्ति की मदद, धरती पर कोई आदमी नहीं कर सकता।”

द्रष्टिकोण एक छोटी चीज़ है, लेकिन यह बहुत बड़ा अंतर पैदा कर देती है।” अच्छे Leader मुसीबतों में भी अपना Attitude Positive ही रखते हैं, क्योंकि वे जानते हैं, सकारात्मक द्रष्टिकोण, सकारात्मक विचारों और घटनाओं की एक ऐसी श्रंखला शुरू करता है, जो आगे चलकर असाधारण परिणाम लाती है।

जानिये कैसे नजरिया आदमी की पूरी जिंदगी बदल सकता है – Positive Attitude Story in Hindi

6. Leader has Courage साहस

अदम्य साहसी होना एक Successful Leader का आवश्यक गुण है। साहसी होने का अर्थ है – डर को जीतना, मुश्किलों का दिलेरी से सामना करना। हमें यह ध्यान रखना चाहिए कि बिना साहस के हम कोई भी दूसरा गुण लम्बे समय तक धारण नहीं कर सकते हैं। हम दयालु, ईमानदार, उदार या सत्यवादी कुछ भी नहीं बन सकते हैं। देशभक्त कैसाबिंका ने अप्रतिम साहस के बल पर ही अपना नाम इतिहास के अमर नायकों में दर्ज करा लिया था।

एक Leader को बुद्धिमत्ता और असीम साहस के साथ प्रतिकूल परिस्थिति का सामना करने में सक्षम होना चाहिए। उसे आगे बढ़कर चुनौतियों को स्वीकार करना चाहिए और कठोर परिश्रम करना चाहिए। यह ध्यान रखिये कि मुट्ठीभर संकल्पवान लोग, जिनकी अपने लक्ष्य में दृढ आस्था है, इतिहास की धारा को बदल सकते हैं। दूसरे शब्दों में एक अच्छे Leader को, बड़ी से बड़ी मुश्किलों के बीच भी संतुलित, संकल्पित और सहनशील बने रहना चाहिए।

साहस के बिना इस संसार में कुछ भी महत्वपूर्ण हासिल कर पाना असंभव है यह आप इन विचारों से जान जायेंगे – Courage Quotes in Hindi: साहस पर अनमोल विचार

7. Leader Accepts Responsibility जिम्मेदारी स्वीकार करना

ये एक True Leader की बेहद Important Quality है। आपको अपने कार्यों के प्रति जिम्मेदार होने के साथ-साथ, अपने अधीन काम करने वाले लोगों की Mistakes और Failures के लिए भी Responsible होना चाहिए। अगर आप ऐसा नहीं करते हैं, तो आप कभी भी अपने Colleagues या Team का विश्वास नहीं जीत सकेंगे और ऐसा करने के लिए आपके पास जिम्मेदारी को स्वीकार करने का साहस और दायित्वबोध होना चाहिए।

जिम्मेदार होने का अर्थ यह भी है कि आप अपने भीतर सहकारिता की प्रवृत्ति का विकास करें। एक अच्छा Leader अपने हर काम को सहकारिता अर्थात एक-दूसरे को सहयोग देते हुए ऊपर उठाने की भावना से करता है। वह विभिन्न परिस्थितियों में Resourceful होता है। उसे समूह की भलाई में अपनी सफलता देखनी चाहिए, तभी अन्य लोग उसे प्रेम करेंगे, सम्मान देंगे और श्रद्धा की भावना रखेंगे।

अपने जीवन को बदलने की जिम्मेदारी आपको स्वयं उठानी है, पढ़ें यह प्रेरक कहानी – Hard Work Story in Hindi for Students

8. Leader is Humble and Modest in Behavior विनम्र और शालीन व्यवहार

एक कहावत है कि “जुबान से ही आदमी दोस्त और दुश्मन बनाता है।” जिन्हें दूसरों के सहयोग की अपेक्षा हो या जो लोगों का नेतृत्व करना चाहते हों, वे विनम्रता और सभ्य व्यवहार को अपने जीवन का आवश्यक अंग बना लें। महान पुरुष की पहली पहचान उसकी विनम्रता है। अगर आप मिलनसार और आसानी से उपलब्ध होने वाले व्यक्ति हैं, तो न केवल अपने साथियों में आशा, विश्वास और जोश भरने में सफल होंगे, बल्कि यह लोगों के बीच आपकी Image भी बेहतर करेगा।

इस संसार में प्रत्येक व्यक्ति, प्रशंसा और सम्मान का भूखा है। यदि आप किसी व्यक्ति से विनम्रता से बातचीत करते हैं और आपका व्यवहार भी शालीन है, तो आप उन विषयों पर भी उसकी सहज स्वीकृति हासिल कर सकते हैं, जिन्हें वह सामान्य अवस्था में मानने के लिए बिलकुल भी तैयार न होता। याद रखिये मानव में जो कुछ है, उसका विकास प्रशंसा और प्रोत्साहन से किया जा सकता है।

विनम्रता महान व्यक्तियों की नेतृत्व क्षमता का विशेष गुण है, यह इस कहानी से भी प्रकट होता है – Moral Story in Hindi for Class 6

Leadership Qualities for Success in Hindi

9. leader is enthusiastic and diligent उत्साही और परिश्रमी स्वभाव.

इस दुनिया में जितने भी Successful Leaders हुए हैं, और जिन्होंने असंभव को संभव बनाया है, उन सभी में एक प्रमुख गुण रहा है, और वो है उनका उत्साही और परिश्रमी स्वभाव। राल्फ वाल्डो एमर्सन कहते हैं, “उत्साह सभी कोशिशों का स्रोत है और इसके बिना कभी कोई महान चीज़ हासिल नहीं हुई। सफलता का असली रहस्य जोश है ।” ध्यान रखिये, कार्य उत्साह और परिश्रम से ही सिद्ध होते हैं, मनोरथ मात्र से नहीं, और आरम्भ कर देना ही आगे निकल जाने का रहस्य है।

नार्मन कजिन कहते हैं – “जीवन की सबसे बड़ी क्षति मृत्यु नहीं है, बल्कि सबसे बड़ी क्षति तो वह है जो हमारे अंदर ही मर जाती है” – अर्थात आलस्य का पैदा हो जाना। इसलिए एक True Leader को बेहद मेहनती होना चाहिए। जो व्यक्ति काम को पूजा मानते हैं और ज्यादा व अच्छा काम करने की चाहत रखते हैं, केवल वे ही अपने Colleagues को और अधिक अच्छा करने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

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10. Leader is Self-controlled and Disciplined आत्म नियंत्रित और अनुशासित

एक अच्छे Leader का अपने Behavior और अपनी Speech पर पूरा नियंत्रण होना चाहिए। जो व्यक्ति अपने व्यवहार, वाणी और कार्यों को जिम्मेदारी और अपेक्षाओं के अनुसार नियंत्रण में नहीं रख सकता, वह दूसरों को सही नेतृत्व भी नहीं दे सकता है, क्योंकि उसके मर्यादारहित व्यवहार करने से उसके नीचे काम करने वाले लोग मनमानी करने लगते हैं। इसलिए खुद पर आत्म-नियंत्रण रखने से ही, एक Leader अपने Colleagues को लक्ष्य की ओर चलने के लिए प्रेरित कर सकता है।

अनुशासन का अर्थ है – सभी कार्यों को व्यवस्थित ढंग से करना। एक True Leader को स्वयं एक Disciplined Life जीनी चाहिए और समय पर अपने काम को पूरा करना चाहिए। ऐसा होने पर ही उसके Colleagues Disciplined रहेंगे और लक्ष्य को निश्चित Deadline में पूरा करने का प्रयास करेंगे। एक अनुशासित व्यक्ति के भीतर दूसरे अच्छे गुणों का भी विकास होने लगता है। ऐसा व्यक्ति नियमों के पालन में कठोर होता है, पर लोगों से विनम्र व्यवहार करता है।

सभी सफल Leaders एक अनुशासित जीवन जीते हैं। उनके प्रत्येक काम का समय नियत होता है जबकि अनुशासनहीन व्यक्ति हमेशा समय का रोना रोता रहता है। यह ध्यान रखिये किसी भी जरुरी काम के लिए आपको अतिरिक्त समय कभी भी नहीं मिलेगा। यदि आप समय पाना चाहते हैं तो आपको इसकी व्यवस्था करनी पड़ेगी और यही अनुशासन है। इस काम में यह शानदार Time Management Tips आपकी बहुत मदद करेंगी।

शील हमारे व्यक्तित्व का आधार है और यही दुनिया की सबसे बडी दौलत भी है, जानिये इस कहानी से – Moral Story in Hindi for Class 8

11. Leader has A Feeling of Dedication संगठन के प्रति समर्पण की भावना

एक अच्छा लीडर अपने संगठन के प्रति पूरी तरह से समर्पित होता है। इसी भावना के आधार पर वह अन्य कर्मचारियों के अंदर, संगठन या उद्देश्य के प्रति समर्पण की भावना जगा सकता है। ऐसा करके ही अपने Colleagues का विश्वास जीता जा सकता है। जो Leaders अपने Organization के प्रति निष्ठावान नहीं होते, उन्हें अपने Dependents से भी ऐसी आशा नहीं रखनी चाहिए। समर्पित होने का अर्थ है – संगठन के कामों की पूरी जानकारी होना।

एक Successful Leader को अपने Organization के प्रत्येक काम की थोड़ी-बहुत जानकारी अवश्य होनी चाहिए। अन्यथा जानकारी के अभाव में उसके कर्मचारी उसे मूर्ख बना सकते हैं या संस्थान के हितों को चोट पहुंचा सकते हैं। इसके अलावा समय-समय पर उसे अपने Colleagues के कामों का Feedback भी लेते रहना चाहिए, ताकि उन्हें भी यह पता रहे कि आप वास्तव में संस्थान के हितों के प्रति जागरूक हैं।

क्या हैं कामयाबी के वे सुनिश्चित सिद्धांत जिन पर चलकर हर कोई सफल हो सकता है – Ultimate Success Tips in Hindi for Students

12. Leader is Patient and of Forbearing Nature धैर्यवान और सहनशील स्वभाव

जीवन मनुष्य की इच्छा के अनुसार नहीं चलता। अनचाही परिस्थितियाँ और घटनाक्रम जीवन में बार-बार आते रहते हैं। जब उन पर नियंत्रण बेहद मुश्किल होता है, तो अनेकों का साहस छूटने लगता है, और सहनशीलता जवाब देने लगती है। ऐसी स्थिति में जो Leader धैर्यवान और सहनशील बने रहकर मुश्किलों का सामना करता है, वही इन परिस्थितियों का सामना कर सकता है और उन्हें हटाता हुआ अपने लक्ष्य को हासिल कर सकता है।

John Quincy Adams कहते हैं, “धैर्य और सहनशीलता में ऐसा जादुई प्रभाव होता है जिसके सामने मुश्किलें गायब हो जाती हैं और बाधाएँ अद्रश्य।” धैर्य, द्रढ़ता और परिश्रम सफलता हासिल करने का ऐसा unbeatable combination है, जिसके सामने कभी कोई मुश्किल ठहर नहीं सकी है। धैर्य और सहनशीलता भले ही कडवे हों, लेकिन इनका फल हमेशा मीठा होता है।

जानिये क्यों जीवन में कामयाबी, सुख और शांति पाने के लिए धैर्य अनिवार्य है – Patience Quotes in Hindi: धैर्य

15 Ultimate Leadership Skills in Hindi

13. leader is straightforward and credibile स्पष्टवादिता और विश्वसनीयता.

व्यक्ति के व्यवहार की सरलता और स्पष्टवादिता उसे न केवल लोगों के बीच लोकप्रिय बनाती है, बल्कि विश्वसनीय भी बनाती है। एक Successful Leader को Straightforward और Trustworthy होना चाहिए, ताकि उसकी Team के साथी अपनी समस्याओं और कमजोरियों पर खुलकर चर्चा कर सकें।

लोग ऐसे व्यक्ति की Leadership में काम करना पसंद करते हैं, जो उनकी कमियों को सदभाव से लें और उन्हें दूर करने में उनकी हरसंभव मदद करें। स्पष्टवादी व्यक्ति पीठ पीछे कमियों पर चर्चा नहीं करते, बल्कि वे प्रकट होते ही उनके समाधान की दिशा में प्रयास करते हैं। एक अच्छा Leader वही होता है, जिस पर उसके Team-members पूरा भरोसा कर सकें।

जीवन में सफलता कैसे प्राप्त की जाय इसके बारे में विस्तार से जानना चाहते हैं तो पढ़ें – 12 Success Mantras in Hindi

14. Leader has Liberal and Sympathetic Thinking उदार व सहानुभूतिपूर्ण सोच

उदारता जहाँ मनुष्य के भीतर एक दैवीय सद्गुण है, वहीँ कठोरता एक बड़ा दुर्गुण। उदारता व्यक्ति के व्यक्तित्व को वह ऊंचाई देती है, जिसके बल पर दूसरे लोगों का सहयोग आसानी से पाया जा सकता है। उदार होने का अर्थ दब्बूपन नहीं है, बल्कि यह तो आत्मीयता का विस्तार और दूसरों की श्रेष्ठता का सम्मान है। एक Impressive Leader बनने के लिए व्यक्तित्व में उदारता बेहद आवश्यक है।

वहीँ Sympathy यानी सहानुभूति भी व्यक्तित्व का एक आवश्यक गुण है। विपरीत परिस्थितियां आने पर या गलती हो जाने पर लोगों को Inspire करना एक अच्छे Leader की पहचान है। इसके लिए आपमें कोमलता और करुणा होनी चाहिए। दूसरों के साथ Real Sympathy होने का अर्थ है – “बिना किसी स्वार्थ के दूसरों की सेवा के लिए खुद को तैयार रखना।”

अगर आप अपने Colleagues की Material और Spiritual Needs का ध्यान रखते हैं, तो न केवल ऐसे व्यवहार से आप उनका दिल जीत सकते हैं, बल्कि Group में एक Productive Positive Environment का निर्माण भी कर सकते हैं, जो कि अंततः Leadership का मूल उद्देश्य है।

Leaders की सकारात्मक सोच ही उन्हें सफल बनाती है पर कैसे? – Power of Positive Thinking in Hindi

15. Leader has Amicable Relations with People लोगों के साथ बेहतर संबंध

लोगों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध विकसित करना भी एक कला है। एक अच्छे Leader को अपने Colleagues के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए शुभ अवसरों पर होने वाले उत्सवों में सम्मिलित होना चाहिये और यदि शोक का कोई अवसर आये तो अपनी Sad Feelings को Express करने और मुश्किल के समय सहानुभूति दिखाने से पीछे नहीं हटना चाहिए।

एक Truly Successful Leader को Commercial और Non-commercial Field से Relations रखने चाहिए तथा उनकी जरूरत के समय हरसंभव मदद करनी चाहिए। इससे न केवल दूसरे लोगों का सहयोग मिलेगा, बल्कि उसकी विश्वसनीयता (Credibility) भी बढ़ेगी। Leadership एक ऐसी Skill है, जिसके जरिये आप बड़ी आसानी से Impossible और Huge Task को भी Easily Complete कर सकते हैं।

जब जिंदगी में छोटे-छोटे कामों को करने के लिए भी, दूसरों की Guidance और मदद की जरूरत पड़ जाया करती है, तो फिर बड़े काम में तो निश्चित ही दूसरों की मदद और Guidance की जरूरत पड़ेगी। ऐसा न करने से आगे बढ़ने में तो भटकाव होता ही है, सफलता भी संदिग्ध हो जाती है।

Andrew Carnegie के अनुसार, “ऐसा कोई व्यक्ति, किसी बड़े व्यवसाय का निर्माण नहीं कर सकता, जो इसे पूरा का पूरा स्वयं ही करना चाहता हो, या इसका संपूर्ण श्रेय लेना चाहता हो।” Leadership Skills की सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसके जरिये किसी भी काम को बड़ी कुशलता और सुन्दरता से पूरा किया जा सकता है।

कामयाब होने चाहते हैं तो मत भूलें सफलता के यह दस अचूक अस्त्र – How to Get Success in Life in Hindi

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150+ इंटरव्यू में पूछे जाने वाले प्रश्न

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इंटरव्यू किसी भी नौकरी पाने का सबसे अहम और अंतिम पड़ाव होता है। अगर आप किसी नौकरी पाने के लिए एग्जाम को पास भी कर लेते तो भी आपको आखरी इंटरव्यू देना ज़रूरी होता है। इंटरव्यू में कैंडिडेट को कई तरह से परखा जाता है। Interview questions in Hindi के ब्लॉग में आप जानेंगे कि सबसे कॉमन 150 से अधिक इंटरव्यू में पूछे जाने वाले प्रश्न कौन-कौन से हैं।

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इंटरव्यू में पूछे जाने वाले प्रश्न और उत्तर, इंटरव्यू में पूछे जाने वाले प्रश्न, इंटरव्यू में पूछे गए सवाल, इंटरव्यू में पूछे जाने वाले अजीबो गरीब सवाल, कॉमन इंटरव्यू प्रश्न, बेसिक इंटरव्यू प्रश्न, इंटरव्यू प्रश्न, सिविल इंजीनियर इंटरव्यू प्रश्न हिंदी में, आईएएस और यूपीएससी इंटरव्यू प्रश्न हिंदी में, फ्रेशर के लिए इंटरव्यू प्रश्न, नर्स से इंटरव्यू में पूछे जाने वाले प्रश्न.

सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले 10 प्रश्न उनके उत्तर के साथ नीचे दिए गए हैं, जरूरी नहीं की जो उत्तर इसमें दिए गए हैं आप वही दे हमारा उद्देश्य सिर्फ आपको मार्गदर्शन देना और प्रेरित करना है। इसके अलावा दिए गए अन्य प्रश्न भी बेहद आवश्यक है कृपया ध्यानपूर्वक पढ़ें-

  • हम आपको नौकरी क्यों दें?

जवाब: आपको मुझे हायर करना चाहिए क्योंकि मेरा मानना है कि मैं एक टीम वर्क में एक अच्छी तरह से फिट हो सकता हूं और अपने कौशल, अनुभव और योग्यता के माध्यम से कंपनी और खुद के मानक को विकसित करने में मदद कर सकता हूं। मुझे लगता है कि इस उद्योग में मेरा अनुभव और स्वायत्त रूप से काम करने की मेरी क्षमता मुझे इस पद के लिए एक अच्छा कैंडिडेट बनाती है। मैं एक ही समय में तनावपूर्ण परिस्थितियों में केंद्रित रहने की क्षमता रखता हूं। मैं अपनी समस्या को सुलझाने के कौशल के माध्यम से रणनीतिक समाधान कर सकता हूं। इसके अलावा, मुझे विश्वास है, ऊर्जावान, काम के प्रति ईमानदार और मेहनती हूं जो आपकी प्रतिष्ठित कंपनी का कर्मचारी होने के लिए एक अच्छा लक्षण होगा।

  • आपको इस नौकरी में दिलचस्पी क्यों है?

उत्तर: यह नौकरी न केवल मुझे एक उत्कृष्ट अवसर प्रदान कर रही है, बल्कि मेरी योग्यता के कारण भी फर्क करने की संभावना है। आपकी कंपनी में दीर्घकालिक और अल्पकालिक गतिविधियों का एक अच्छा मिश्रण है। मेरा मानना है कि मेरे पिछले कार्य अनुभव, योग्यता और मेरे ज्ञान से मेरे कौशल आपकी कंपनी के लिए फायदेमंद होंगे और मैं कंपनी की बेहतरी के लिए एक टीम में काम करने में सहयोग कर सकता हूं और यह मानक है।

  • अपने बारे में बताएं!

इस सवाल का जवाब देते समय अपना पूरा नाम, किस शहर से है, स्कूल शिक्षा में मिले प्रतिशत और कॉलेज की शिक्षा के बारे में जैसे कोर्स और प्रतिशत बताना चाहिए। इसके अलावा आपको सिर्फ वही बातें बताना है जो उस कंपनी और उस नौकरी से संबंधित हो। इसके अलावा कोई भी फालतू बातें करने से बचना चाहिए।

  • आपकी सबसे बड़ी ताकत क्या हैं?

कंपनी इस सवाल के जरिए आपको उन्हें नौकरी पर रखना चाहिए पता चलता है।या आप टीम के लिए किस प्रकार से कार्य कर सकते हैं। इसका जवाब आपके जॉब के डिस्क्रिप्शन पर ही आधारित होना चाहिए।

  • आपकी सबसे बड़ी कमजोरी क्या हैं?

जवाब-मुझे किसी काम को पूरा करने में कभी-कभी अधिक समय लग जाता है। या  किसी काम को करने में मुझे और लोगों से थोड़ा सा ज्यादा समय लगता है क्योंकि मैं अपने काम को पर्फेक्शन के साथ करता हूँ।

  • अब से पाँच साल बाद आप खुद को कैसे देखते हैं?

इस सवाल का जवाब देने के लिए आप पहले से अपने करियर प्लान को सही रूप में याद रखें। और इस सवाल के जवाब में आप क्या प्राप्त करना करना चाहते हैं यह बताएं, साधारण शब्दों में आपका गोल क्या है।

  • आप हमारी कंपनी में काम क्यों करना चाहते हैं?

जवाब- उदाहरण के तौर पर इसमें आप कंपनी के अचीवमेंट्स और बेहतर काम के बारे में बताएं। इसके जवाब के रूप में यह भी कहा जा सकता है कि यह कंपनी हर बार बेस्ट कंपनियों की सूची में दिखाई देती है।

  • आप पिछला पद क्यों छोड़ रहे हैं (या आपने छोड़ दिया)?

इस सवाल के जरिए interviewer आपका माइंडसेट जाना चाहता है। यदि आपने अपने काम या अनुभव की बढ़ोतरी के लिए ऐसा किया है तो बताएं अन्यथा यदि आपने तनाव के कारण ऐसा किया है तो उसका जिक्र ना करें।

  • अभी आपके करियर के विकल्प क्या हैं?

इस सवाल का जवाब देने के लिए आपको अपने करियर के गोल्स को बताना है। और जिस कंपनी में आप इंटरव्यू दे रहे हैं उस कंपनी को अपने करियर गोल्स में शामिल करें।

  • आप किस प्रकार के कार्य वातावरण को प्राथमिकता देते हैं?

इसके जवाब में आप कंपनी के वातावरण को प्राथमिकता दें। परंतु इसके साथ साथ सच्चाई से आपकी प्राथमिकता बताएं।

  • मुझे उसके बारे में बताएं जो आपने किया था – या ऐसा करने में असफल रहे कि अब आप थोड़ा शर्म महसूस करते हैं?
  •  मुझे आपको क्यों रखना चाहिए?
  • क्या आप इस पद के लिए अयोग्य नहीं हुए हैं?
  • अपनी आदर्श कंपनी, स्थान और नौकरी का वर्णन करें?
  •  आप इतने समय से काम से बाहर क्यों हैं?
  • अपने बॉस (कंपनी, प्रबंधन टीम, आदि) के मजबूत बिंदुओं और कमजोर बिंदुओं के बारे में मुझे ईमानदारी से बताएं।
  • आपने हाल ही में कितनी अच्छी किताबें पढ़ी हैं?
  • मुझे उस स्थिति के बारे में बताएं जब आपके काम की आलोचना की गई थी।
  • आपके बाहरी हित क्या हैं?
  • जॉब में बढ़ती महिलओं की हिस्सेदारी को लेकर आप क्या सोचते हैं?
  • गोपनीय मामले आपको कंपनी का कोई काम करना है और यदि आप उसमें सलाह चाहते हैं तो आप क्या करेंगे?
  • क्या आप कंपनी के लिए झूठ बोलेंगे?
  • पीछे मुड़कर देखें, तो आप अपने जीवन में क्या करेंगे?
  • क्या आपने अपनी पिछली नौकरी में बेहतर किया है?
  • क्या आप दबाव में काम कर सकते हैं?
  • आपको क्या गुस्सा आता है?
  • आप अपने करियर के अधिक पैसे इस स्टेज पर क्यों नहीं कमा रहे हैं? 
  • आपके जीवन में किसने आपको प्रेरित किया है और क्यों?
  • आपको अब तक का सबसे कठिन निर्णय क्या लेना था?
  • मुझे उस सबसे उबाऊ काम के बारे में बताएं जो आपने कभी किया है।
  • क्या आप किसी भी पिछली स्थिति में कुछ दिनों से अधिक काम से अनुपस्थित थे?
  • यदि आप बोर्ड पर आए तो आप क्या बदलाव करेंगे?
  • मुझे चिंता है कि आपके पास उतना अनुभव नहीं है जितना हम चाहते हैं।
  • आप काम की रातों के बारे में कैसा महसूस करते हैं?
  • क्या आप स्थानांतरित करने या यात्रा करने के लिए तैयार हैं?
  • क्या आपको कई लोगों को फायरिंग का अनुभव है?
  • आपके पास इतनी नौकरियां क्यों हैं?
  • क्या आप उचित भूमिका / मिशन के रूप में देखते हैं..एक अच्छा काम शीर्षक आप चाहते हैं); .a अच्छा प्रबंधक, … समुदाय की सेवा करने में एक कार्यकारी, … हमारे उद्योग में एक अग्रणी कंपनी, आदि।
  • यदि आप के पास एक आइडिया है, तो आप अपने बॉस को कैसे बताएंगे।
  • आप अपने करियर की प्रगति को कैसे बेहतर बना सकते हैं?
  • अगर आपका कर्मी समय से कार्य नहीं कर रहा है, तो आप क्या करेंगे।
  • आप अपनी फर्म के साथ लंबे समय से हैं।नई जगह मुश्किल नहीं होगा?
  • क्या मुझे आपके वर्तमान नियोक्ता से एक संदर्भ के लिए संपर्क करना चाहिए?
  • मुझे अपनी रचनात्मकता का उदाहरण दें (विश्लेषणात्मक कौशल … प्रबंध क्षमता, आदि)
  • आप कुछ सुधार का उपयोग कैसे कर सकते हैं?
  • आपको क्या चिंता है?
  • सप्ताह में कितने घंटे आप सामान्य रूप से काम करते हैं?
  • (नौकरी शीर्षक) होने का सबसे कठिन हिस्सा क्या है?
  • हाइपोथेटिकल समस्या के बारे में आप क्या जानते हैं?
  • आपके सामने अब तक की सबसे कठिन चुनौती क्या थी?
  • क्या आपने अपना व्यवसाय शुरू करने पर विचार किया है?
  • आपके लक्ष्य क्या हैं?
  • आप लोगों को नौकरी पर रखने के लिए क्या करते हैं?
  • वेतन प्रश्न – आपको कितने पैसे चाहिए?
  • आपकी अंतिम नौकरी का सबसे कठिन हिस्सा क्या था?
  • आप सफलता को कैसे परिभाषित करते हैं … और आप अपनी परिभाषा कैसे मापते हैं?
  • राय प्रश्न – आप क्या सोचते हैं … गर्भपात … राष्ट्रपति … मौत की सजा … (या कोई अन्य) विवादास्पद विषय)?
  • यदि आपने $ 10 मिलियन लॉटरी जीती, तो क्या आप अभी भी काम करेंगे?
  • अपनी अंतिम स्थिति में वापस आकर, क्या आपने अपना सर्वश्रेष्ठ काम किया है?
  • जब मैं भीतर से किसी को बढ़ावा दे सकता हूं तो मुझे आपको बाहर से क्यों लेना चाहिए?
  • हमारी कंपनी के बारे में आपने कुछ नकारात्मक सुना है?
  • आप सोशल मीडिया से जुड़ने के बारे में क्या कहेंगे?
  • एक से दस के पैमाने पर, मुझे रेट करें?
  • आप कंपनी से काम करना अधिक पसंद करेंगे या घर से?
  • आप अपनी हॉबी के बारे में कुछ बताइए?
  • यदि आपको म्यूजियम या सिनेमा हॉल जाने का अवसर मिले तो आप दोनों में से कौन सी एक जगह जाना चाहेंगे?
  • आप किस तरह की किताबें पढ़ना पसंद करते हैं?
  • आपको हमारी कंपनी के बारे में कहां से पता चला?
  • आपने हमारी कंपनी को ही क्यों चयन किया?
  • यदि आप काम करते-करते तनाव का अनुभव करने लगते हैं तो आप क्या करते हैं?

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  • आपके अनुसार क्या हमारी कंपनी में किसी प्रकार के बदलाव जरूरत है?
  • यदि आपका काम पेंडिंग है और आपके साथ काम करने वाले कलीग्स भ्रमण पर जा रहे हैं तो आप क्या करेंगे?
  • आप अपने देश के बारे में क्या कहना चाहेंगे?
  • मुझे ऐसे समय के बारे में बताइए जब आपने नेतृत्व दिखाया।
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं जब आप एक टीम में सफल रहे थे।
  • अपनी सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजना का वर्णन करें।
  • मुझे उस चीज़ के बारे में बताओ जो आपने पूरा किया है।
  • क्या आप अपने रोजगार का अंतर समझा सकते हैं?
  • आपको काम के बाहर क्या करना पसंद है?
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं, जब आपको परस्पर विरोधी प्रबंधन करना था? 
  • अपनी नेतृत्व शैली का वर्णन करें? 
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं जब आप असफल हुए या गलती की? 
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं जब आपने प्रति मुश्किल काम किया था ? 
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं जब आपको किसी को राजी करना था? 
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं जब आप किसी से असहमत थे? 
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं जब आपने एक लक्ष्य बनाया और हासिल किया …? 
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं, जब आप लोगों की सोच से आगे निकल गए थे? 
  • मुझे उस समय के बारे में बताएं जब आपको दबाव को संभालना था? 
  • मुझे एक समय के बारे में बताओ तुम्हे कुछ सीखना था? 
  • आपको मुझसे कोई प्रश्न पूछना है?

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  • क्या कोई ऐसा प्रश्न है जो हमने नहीं पूछा है परंतु आप हमारी जगह होते तो जरूर पूछते?
  • यदि आपकी कंपनी को हानि हो जाती है और वह किसी कारण से पेमेंट करने में देरी करते हैं तो आप क्या करेंगे?
  • यदि आप किसी कारण से कंपनी छोड़ना चाहते हैं परंतु वहां आपकी अत्यधिक आवश्यकता है तो आप क्या करेंगे?
  • आपकी एक बेस्ट स्किल के बारे में बताइए? 
  • यदि आप कंपनी के मैनेजर है और आपने जिस employ को काम दिया है वह बीमार है और काम अधूरा है जो समय पर पूरा होना चाहिए था तो आप क्या करेंगे? 
  • समय प्रबंधन के लिए आप क्या करते हैं? 
  • आपके पैशन के बारे में कुछ बताइए?
  • आप अपनी पर्सनालिटी डेवलपमेंट के लिए क्या करते हैं ? 
  • आपका आदर्श कौन है आप किसे फॉलो करते हैं? 
  • काम में हताश हो जाने पर आप किस प्रकार से अपने आप को मोटिवेट करते हैं? 

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101.अपनी वेबसाइट के ट्रैफ़िक को बढ़ाने के लिए सबसे अच्छा तरीका क्या हो सकता है? 

जवाब-यदि आप इसे या इसी तरह के प्रश्न के साथ प्रस्तुत करते हैं, तो नीचे दिए गए तरीकों को सूचीबद्ध करें जैसे कि उपयोगकर्ता अनुभव को अधिक आकर्षक बनाना, ऑन-पेज और ऑफ-पेज एसईओ प्रदर्शन करना, लंबी-पूंछ वाले कीवर्ड को लक्षित करना, रेफरल ट्रैफ़िक का निर्माण करना आदि।

102. कैंपिंग मार्केटिंग के पांच तत्वों का वर्णन करें। 

जवाब- इस प्रश्न के लिए, आप उन विशेषताओं का उल्लेख कर सकते हैं जिनके कारण एक विपणन अभियान अच्छा प्रदर्शन करता है जैसे आकर्षक कॉल टू एक्शन संदेश, मूल्य प्रस्ताव, वितरण विधि, लक्ष्य, अनुवर्ती, आदि। 

103.आपके अनुसार ऑनलाइन मार्केटिंग की सीमाएँ क्या हैं?  

जवाब-फ्रेशर्स के लिए सभी मार्केटिंग इंटरव्यू के सवालों के बीच, यह सबसे मुश्किल है। अपने ज्ञान और वर्तमान रुझानों के अनुसार, आप संभावित सीमाओं को भी सूचीबद्ध कर सकतेहैं- परिणाम उत्पन्न करने में समय लगता है, ऑनलाइन मार्केटिंग के लिए धन के अधिक निवेश की आवश्यकता होती है, दर्शकों पर भरोसा विकसित करने में समय लगता है, साइबर हमले और इतने पर की संभावना है ।

104.क्या आप कुछ पीपीसी टूल्स से परिचित हैं? 

जवाब-पीपीसी पे पर क्लिक के लिए एक परिचित है और इसके कुछ लोकप्रिय उपकरण हैं- 

अभियान पर नजर, सर्च मॉनिटर, अहेरेफ्स, सेमरश, आईस्पेनेज, इसी तरह, वर्ड ट्रैकर, आदि।

105.संगठन की सामग्री पहुंच बढ़ाने के लिए आपका दृष्टिकोण क्या होगा? 

जवाब-इस सवाल के लिए, आप हमेशा उन तरीकों को समझा सकते हैं जिनके उपयोग से आप अधिक दर्शकों को लक्षित कर रहे होंगे। ऐसा करने के कुछ सामान्य उपाय ईमेल प्रसारण, प्रभावशाली विपणन, सोशल मीडिया प्रचार, बैकलिंक रणनीति, फोरम और क्वैश्चन उत्तर पोस्टिंग हैं। 

106.आपके अनुसार वर्ड शब्द क्या है? और यदि आवश्यक हो तो आप वर्ड ऑफ मार्केटिंग के शब्द को कैसे अधिकतम करेंगे? 

जवाब- चाहे बड़े पैमाने पर हो या छोटे पैमाने पर व्यापार, वर्ड ऑफ मार्केटिंग के शब्द की रणनीतियों को अनुकूलित करना आवश्यक है जो उन्हें अधिक से अधिक दर्शकों तक पहुंचने में मदद करता है। ग्राहक की वरीयताओं की खोज करना, उत्कृष्ट ग्राहक सेवाएं प्रदान करना, प्रतिक्रिया और रेफरल की मांग करना, सोशल मीडिया के लिंक प्रदान करना, आदि कुछ ऐसे तरीके हैं जो मुंह विपणन के लिए अग्रणी हैं।

107.आप किस प्रकार के प्रकाशनों और ब्लॉगों का अनुसरण करना पसंद करते हैं? 

यह प्रश्न पूछकर, साक्षात्कारकर्ता आपकी प्राथमिकताओं के बारे में जानने में रुचि रखता है ताकि वे विपणन के क्षेत्र में आपके ज्ञान और वरीयताओं को समझ सकें।

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108. क्या आप बता सकते हैं कि प्रक्षेपण रेखा क्या है?

109. क्या आप कुछ संरचना को इंगित कर सकते हैं जो थकान से प्रभावित हो सकती हैं?

110. विभिन्न मंदी परीक्षण संकेतों का वर्णन और व्याख्या करें।

111. निर्मित क्षेत्र और सुपर बिल्ट-अप क्षेत्र की अवधारणा को स्पष्ट करें।

112. सामान्य छत के कुछ प्रकारों के बारे में बताएं।

113. कंक्रीट बॉक्स गर्डर पुल का विस्तार, सेल की संख्या कैसे निर्धारित की जाती है?

114. संक्षेप में समझाएँ कि पम्पिंग का उपयोग ठोस कार्यों के लिए क्यों नहीं किया जाना चाहिए

115. पॉलिथीन शीट का उपयोग करके ट्रीटमेंट क्यों नहीं किया जाना चाहिए?

116. एक बार जब फॉर्म का काम हटा दिया जाता है, तो लंबी संरचनाओं के लिए प्रॉपिंग की आवश्यकता क्यों होती है?

117. “पाइप्स में कैविटी” से आप क्या समझते हैं? इसकी क्रियाविधि स्पष्ट कीजिए।

118. तूफान के पानी के निकास पाइप के नीचे बिस्तर का उपयोग करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

119. क्ले नेल के लिए पूरी तरह से परीक्षण किया जाता है। समझाइए क्यों।

120. प्लास्टिक और लकड़ी के फेंडर के नुकसान के साथ-साथ कुछ फायदे भी दें।

121. कंक्रीट अवरोधों में घुमावदार सतह प्रोफ़ाइल हैं। इसके कारणों के बारे में संक्षेप में बताएं।  

122. आम तौर पर, कंक्रीट कैरिजवे में, दानेदार उप-ठिकानों को प्राथमिकता नहीं दी जाती है। इसके कारण बताएं। 

123. आम तौर पर, कंक्रीट के फुटपाथ स्लैब और उसके उप-आधार के बीच जुदाई झिल्ली डाली जाती है। इसके कारण बताएं।  

124. जब पंपिंग स्टेशन की बात आती है, तो जलरोधी प्रणाली में कौन से घटक प्रमुख रूप से उपयोग किए जाते हैं।

125. पुनर्ग्रहण के दौरान, मड वेव्स की घटना देखी जा सकती है। इसे कैसे ठीक किया जा सकता है?

126. रेक्लेमेशन कार्य में रेत और भू टेक्सटाइल के महत्व पर विस्तार।

127. ब्लॉक वर्क सीवेल में आने पर “स्लिप जॉइंट” के उपयोग पर प्रकाश डालें। 

128. वॉशआउट वाल्व के लिए सामान्य अभ्यास में दो गेट वाल्व होना क्यों आवश्यक है?

129. सेवा जलाशयों के फर्श को डिजाइन करने में कई दृष्टिकोण हैं। उन्हें समझाएं।

130. आप सोरसन, अवशोषण और सोखना के बीच अंतर कैसे कर सकते हैं?

131. उन प्रमुख बिंदुओं पर प्रकाश डालें जो इंजीनियरिंग तनाव को ट्रू स्ट्रेस से अलग करते हैं। 

132. मॉड्यूलर लोच के कुछ अनुप्रयोगों पर चर्चा करें।

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यहां कुछ सबसे दिलचस्प सवाल और आपके आईएएस की तैयारी के उनके जवाब दिए गए हैं। 

  • एक हत्यारे को मौत की सजा सुनाई गई और उसे तीन कमरे दिखाए गए।  पहला कमरा आग पर है। दूसरे में एक हत्यारे के साथ बंदूकें हैं तीसरा एक टाइगर है जिसने तीन साल से खाना नहीं खाया था। उसे क्या चुनना चाहिए? Ans. टाइगर, क्योंकि अगर उसने तीन साल से नहीं खाया है, तो वह मर चुका है।
  • जुड़वा बच्चों का जन्म अप्रैल में हुआ था लेकिन उनका जन्मदिन अगस्त में है। यह कैसे संभव है? Ans: अप्रैल वह शहर है जहां वे पैदा हुए थे (यह एक साधारण व्याकरण से संबंधित प्रश्न है।) 
  •  केवल 2 का उपयोग करके 23 कैसे लिखें? Ans: 22+ 2/2
  • सॉस और नृत्य दोनों क्या हैं?  Ans. साल्सा
  • मछली को तौलना आसान क्यों है? Ans. क्योंकि इसके अपने पैमाने हैं
  • अपने बारे में कुछ बताइए? ( …
  • आप यहां काम करना क्यों चाहते हैं? …
  • आप अपनी वर्तमान नौकरी को क्यों छोड़ना चाहती हैं? …
  • आपकी विशेष योग्यता किस क्षेत्र में है? …
  • आपकी सबसे बड़ी कमजोरी क्या है? …
  • आप स्वयं काम करना चाहेंगे या दूसरों की मदद लेंगे? …
  • करियर से क्या उम्मीदें हैं?
  • आपकी हॉबी क्या हैं?
  • आप तनाव और दबाव को कैसे सँभालते हैं?
  • आपकी सबसे बड़ी ताकत क्या है?
  • आप कितने वेतन की उम्मीद करते हैं?
  • आप एक नर्स के रूप में अपना करियर क्यों बनाना चाहते है?
  • आपके पिछले अस्पताल में एक नर्स के रूप में आपका अनुभव कैसा था?
  • आप यहाँ क्यों काम करना चाहते हैं?
  • इस नौकरी के बारे में आपको सबसे अच्छी बात क्या लगती है?
  • आप सेल्फ-केयर का अभ्यास कैसे करते हैं?
  • एक नर्स के रूप में आपका सबसे अच्छा कौशल क्या है?
  • आप किसी ऐसे व्यक्ति के साथ कैसे व्यवहार करते हैं, जो आपकी देखभाल से संतुष्ट नहीं होता है?
  • एक नर्स के रूप में आपकी ताकत और कमजोरियां क्या हैं?
  • आप नौकरी के तनाव को कैसे संभालते हैं?
  • आप इस नौकरी के लिए सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवार क्यों हैं?
  • क्या आप दूसरे डॉक्टरों और नर्सों के साथ काम करने में सहज हैं?
  • आप किसी डॉक्टर के साथ किसी तरह की असहमति को कैसे संभालेंगे?
  • आपको अपनी नौकरी या नर्स होने के बारे में सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा क्या लगता है?
  • आप अपने वर्तमान अस्पताल की नौकरी क्यों छोड़ रहे हैं?
  • आप उन रोगियों को चिकित्सा की जटिलताओं की व्याख्या कैसे करेंगे जो चिकित्सा क्षेत्र के बारे में अच्छी तरह से नहीं जानते हैं?
  • मरीज के परिवार और दोस्तों द्वारा पूछे गए सवालों को आप कैसे हैंडल करते हैं?
  • जब आपके मित्र हॉस्पिटल के बाहर आपके कोई निदान के लिए पूछते हैं तो आप उन्हें कैसी प्रतिक्रिया देते हैं?
  • क्या आपने ऐसी स्थिति का सामना किया है, जहाँ आप बहुत दबाव में थे?
  • आप एक प्रभावी रोगी और पारिवारिक शिक्षा के बारे में क्या सोचते हैं?

इंटरव्यू में ऐसे सवाल पूछे जाते हैं: 1. अपने बारे में बताएं? 2. आपकी सबसे बड़ी ताकत क्‍या है? 3. कंपनी आपको हायर क्‍यों करे? 4. आप खुद को 5 वर्ष के बाद कहाँ देखते हैं?

इस सवाल के जवाब में आप कंपनी के प्रति अपने झुकाव या लगाव की वजह को जाहिर करें। अपनी जानकारी के आधार पर आपने जो भी कंपनी के बारे में जाना है, उसे बताएं। साथ ही यह भी बताएं कि आपके योगदान से कंपनी को फायदा कैसे मिल सकता है।

इसके प्रश्न के जवाब में आप कंपनी के अचीवमेंट्स बता सकते हैं। या इसके जवाब के रूप में यह भी कहा जा सकता है कि यह कंपनी हर बार बेस्ट कंपनियों की सूची में दिखाई देती है।

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रश्मि पटेल विविध एजुकेशनल बैकग्राउंड रखने वाली एक पैशनेट राइटर और एडिटर हैं। उनके पास Diploma in Computer Science और BA in Public Administration and Sociology की डिग्री है, जिसका ज्ञान उन्हें UPSC व अन्य ब्लॉग लिखने और एडिट करने में मदद करता है। वर्तमान में, वह हिंदी साहित्य में अपनी दूसरी बैचलर की डिग्री हासिल कर रही हैं, जो भाषा और इसकी समृद्ध साहित्यिक परंपरा के प्रति उनके प्रेम से प्रेरित है। लीवरेज एडु में एडिटर के रूप में 2 साल से ज़्यादा अनुभव के साथ, रश्मि ने छात्रों को मूल्यवान मार्गदर्शन प्रदान करने में अपनी स्किल्स को निखारा है। उन्होंने छात्रों के प्रश्नों को संबोधित करते हुए 1000 से अधिक ब्लॉग लिखे हैं और 2000 से अधिक ब्लॉग को एडिट किया है। रश्मि ने कक्षा 1 से ले कर PhD विद्यार्थियों तक के लिए ब्लॉग लिखे हैं जिन में उन्होंने कोर्स चयन से ले कर एग्जाम प्रिपरेशन, कॉलेज सिलेक्शन, छात्र जीवन से जुड़े मुद्दे, एजुकेशन लोन्स और अन्य कई मुद्दों पर बात की है। Leverage Edu पर उनके ब्लॉग 50 लाख से भी ज़्यादा बार पढ़े जा चुके हैं। रश्मि को नए SEO टूल की खोज व उनका उपयोग करने और लेटेस्ट ट्रेंड्स के साथ अपडेट रहने में गहरी रुचि है। लेखन और संगठन के अलावा, रश्मि पटेल की प्राथमिक रुचि किताबें पढ़ना, कविता लिखना, शब्दों की सुंदरता की सराहना करना है।

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  9. Leadership Skills in Hindi: एक अच्छे लीडर बनने का मार्ग

    Leadership meaning in hindi. जो इंसान अपने टीम मेंबर्स के ऊपर नियंत्रण (Control) रखता है, उन्हें टारगेट पुरे करने के लिए मोटीवेट करता है, उन्हें अच्छे से मार्गदर्शन करता है ...

  10. Leadership: Styles, Benefits and Importance

    Read this article in Hindi to learn about:- 1. नेतृत्व की शैलियां (Styles of Leadership) 2. नेतृत्व के महत्वपूर्ण गुण (Benefits of Leadership) 3. महत्व (Importance). नेतृत्व की शैलियां (Styles of Leadership): मोटे तौर पर नेतृत्व ...

  11. 15 Leadership Skills in Hindi: क्या हैं अच्छे लीडर की Qualities

    15 Leadership Skills & Qualities in Hindi. "जल्दी हो या देर से, वे जो जीतते है वे लोग होते हैं, जो सोचते है कि वे जीत सकते है।" - रिचर्ड बक. Leader बनना चाहते हैं तो ...

  12. PDF National Institute of Educational Planning and Administration

    National Institute of Educational Planning and Administration

  13. Unit 5 Leadership Mcom Notes PDF Download in Hindi

    Covered Syllabus: -. Leadership: Concept, Leadership styles; Theories; Trait theory, Behaviour theory, Fielder's contingency theory; Harsey and Blanchard's situational theory; Managerial grid; Likert's four systems of leadership. PDF Downloading Link is Given Below. PDF Link: - Click Here. Unit 5 Leadership Mcom Notes. Related Post:-.

  14. Best Books on leadership in Hindi [Free PDF Download]

    Self-help books that will change your life [Free PDF Download] May 19, 2021; Best Books on leadership in Hindi [Free PDF Download] May 16, 2021; The Power of your subconscious mind in Hindi book review [Pdf Free Download] May 15, 2021; Network Marketing Books PDF in Hindi Free Downloads May 14, 2021

  15. नेतृत्व शिखर की डगर Leadership Wisdom Hindi PDF Download

    नेतृत्व शिखर की डगर Leadership Wisdom Hindi PDF Download. April 17, 2022July 9, 2021by LifeFeeling. Download नेतृत्व शिखर की डगर Leadership Wisdom from the Monk Who Sold His Ferrari Book by Robin Sharma for free using the direct download link from pdf reader.

  16. द बिग पिक्चर: महिला नेतृत्व और विकास

    विकास की नई कहानी को अपनाने के क्रम में भारत महिलाओं के विकास से महिलाओं के नेतृत्त्व वाले विकास की ओर आगे बढ़ रहा है।

  17. eGyanKosh: Unit-12 Leadership

    DSpace JSPUI eGyanKosh preserves and enables easy and open access to all types of digital content including text, images, moving images, mpegs and data sets

  18. PDF A Handbook of Leadership Styles

    Styles, was to highlight leadership styles in detail. Another reason is that a lot of explanations of leadership styles exist, but there are few books that have gathered these styles together in a detailed manner. The authors work mostly in the field of organizational behavior and they mostly deal with leadership theory in their courses.

  19. MCO-01 संगठन सिद्धांत और व्यवहार in Hindi Study Material Download

    Download IGNOU MCO-01 Study Material in PDF All Blocks in English and Hindi. IGNOU Study material / Book Download in PDF. ... Last Date of Assignment Submission. Year Wise. July 2023 Session:30th April 2024 (for June 2024 Term End Exam). January 2024 Session:31st October 2024 (for December 2024 Term End Exam). Semester Wise.

  20. PDF UNIT 5 THEORIES OF LEADERSHIP

    to follow a particular course of action". A recent theorist on leadership, Williams (2005), states that, "leadership is an interactive art in which the leader is dancing with the context, the problem, the faction, and the objective". A person in an organization may assume leadership both in a formal and informal way.

  21. 150+ इंटरव्यू में पूछे जाने वाले प्रश्न

    आशा करते हैं कि इस ब्लॉग से आपको interview questions in Hindi के बारे में जानकारी मिली होगी। यदि आप विदेश में पढ़ाई करना चाहते हैं, तो आज ही 1800 572 000 पर कॉल ...

  22. 10 Leadership Lessons from the Legend of Chhatrapati Shivaji ...

    Chhatrapati Shivaji Maharaj, always believed on one philosophy, of We over Me. He not only believed that but, also always practiced it during many critical incidents. He displayed immense ease in ...

  23. पर्सनैलिटी डेवलपमेंट गाइड

    Poornataavaadee Vyakti Doosaron Se Bhee Yah Apeksha Rakhate Hain Ki Unakee Tarah Ve Bhee Nishpaksh, Eemaanadaar Aur Lihaaj Karanevaale Hon. Personality Development Guide in hindi Pdf, Personality Development Guide in hindi Pdf download, Personality Development Guide book in hindi Pdf, Personality Development Guide book in hindi Pdf download ...